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PATNA : पानी का इस्तेमाल रोजमर्रा की जरूरतों के अलावा अन्य कई कार्यो के लिए किया जाता है. इसमें रूटीन के काम की तुलना में कई गुणा अधिक जल की खपत होती है. यदि ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले समय में इन्हीं कारणों से जल संकट का खतरा उत्पन्न हो जाएगा. जिस पानी का हम सीधे तौर पर इस्तेमाल नहीं करते हैं अंग्रेजी में उसके लिए वर्चुअल वाटर टर्म का इस्तेमाल होता है. इस नजरिये से पटना शहर की स्थिति भी ठीक नहीं है. यहां हर दिन लाखों गैलन पानी इन्ही कार्यो में खपत हो जाता है. बदले जीवन शैली के कारण भी इसके लिए जल की खपत बहुत अधिक हो गई है. इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र शामिल हैं. जहां शहरी क्षेत्र में कार वाश, अपार्टमेंट में साफ -सफाई और उद्योग धंधों में वर्चुअल वाटर की खबर होती है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में फसलों के उत्पादन पर इसका बड़ी मात्रा में यूज होता है.

सर्वे में हुआ खुलासा

हाल ही में 'वॉटरऐड' नामक एक संस्था के सर्वे में पानी को लेकर एक सर्वे किया गया है. इस सर्वे में सबसे बड़ी बात यह सामने आई कि भले ही हम सीधे तौर पर बहुत कम पानी का इस्तेमाल करते हों लेकिन उसका कई गुना ज्यादा अधिक वर्चुअल वाटर का प्रयोग हो रहा है. जब तक इसका प्रयोग को न्यूनतम स्तर पर नहीं लाया जाता है. जल संरक्षण की बात को सफल नहीं बनाया जा सकता है. भारत में भी इस समस्या का हल ढूंढना होगा.

शहरों में 20 गुना अधिक खपत

भारत में एक व्यक्तिऔसतन 3000 लीटर पानी का यूज करता है. इस 3,000 लीटर में आभासी जल की बड़ी मात्रा शामिल है. भारत में शहरों और गांव में रहने वाले लोगों के लिए रोजाना इस्तेमाल होने वाले पानी की मात्रा निर्धारित की गई है. शहरों के लिए 150 लीटर और गांवों के लिए 55 लीटर रोजाना. इस तरह हम देखें तो भारत का हर व्यक्ति शहर के लिए निर्धारित प्रति व्यक्ति रोजाना जल इस्तेमाल के मुकाबले में 20 गुना ज्यादा और गांवों के लिए निर्धारित मात्रा के मुकाबले करीब 50 गुना ज्यादा पानी इस्तेमाल करता है. आभासी जल का इस्तेमाल किस पैमाने पर होता है, उसका अंदाजा इस उदाहरण से लगा सकते हैं. अगर चार सदस्यों वाले एक परिवार में रोजाना 1 किलोग्राम चावल का इस्तेमाल होता है तो वहां करीब 84,600 लीटर पानी की खपत होती है.

पटना की चिंताजनक स्थिति

यदि वर्चुअल वाटर की बात करें तो पटना की स्थिति भी खराब है. यहां कार धोने, अपार्टमेंट की साफ - सफाई और छोट - बडे उद्योग धंधों और भवन निर्माण में काफी पानी का इस्तेमाल किया जाता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलाजी के वैज्ञानिक विश्वजीत चक्रवर्ती का कहना है कि जल प्राकृतिक संसाधन है. लेकिन हर वस्तु की एक मात्रा होती है. उसके आधार पर ही उपयोग करना चाहिए.

23 फीसदी तक घटा ग्राउंड वाटर

दुनिया के भूमिगत जल का 24 फीसदी अकेले भारत इस्तेमाल करता है. यानी भारत दुनिया में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. साल 2000 से 2010 के बीच भारत में भूमिगत जल के घटने की दर 23 फीसदी बढ़ गई है. वैसे तो कई विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति पानी का इस्तेमाल बहुत कम है. लेकिन बड़ी आबादी वाले उन देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति रोजाना पानी का इस्तेमाल काफी है जहां बड़ी आबादी जल संकट का सामना करती हैं.