इनके चक्कर में पड़े तो हो जाएंगे घनचक्कर

Example one
अल्लापुर में रहने वाले विजय की यूपीएसईई में रैंक अच्छी नहीं आई। विजय को फतेहपुर डिस्ट्रिक्ट के एक कॉलेज से कॉल आई। कहा, कि इंटर की मेरिट के बेस पर वह एडमिशन करते हैं। विजय ने इंटरनेट पर चेक किया तो कॉलेज का स्टेटस ठीक-ठाक मिला। फिर वह फतेहपुर जाकर कॉलेज देखने गए तो वहां पर उनके होश उड़ गए। एक अपार्टमेंट टाइप की बिल्डिंग में कॉलेज खुला हुआ था. 

Example Two 
तेलियरगंज में रहने वाली रश्मि को भी गाजियाबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से कॉल आई। इस कॉलेज का नाम वहां के एक नामी इंजीनियरिंग कॉलेज से मिलता जुलता था। रश्मि ने दिल्ली में रहने वाले अपने कजिन को भेजकर चेक किया तो उसके होश उड़ गए। वहां पर 15 फीट की एक गली की बिल्डिंग में कॉलेज खुला हुआ था।  


Allahabad:  कमाई की बात की जाए तो एजुकेशन सेक्टर में चांदी ही चांदी है। स्थिति यह है कि हर गली-मुहल्ले में इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए हैं। अगर आप भी इस बार किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए जा रहे हैं, तो फिर इंटरनेट व वेबसाइट के चक्कर में न पडि़एगा, नहीं तो आप घनचक्कर हो जाएंगे। समझ लीजिए न घर के रहेंगे और न ही घाट के। साल बेकार होगा, पैसा खराब होगा वो अलग। चार साल पढऩे के बाद कहीं पर जॉब की थोड़ी बहुत भी उम्मीद नहीं रहेगी। तो सावधान रहिए, एडमिशन सीजन स्टार्ट हो चुका है, ऐसे में इंटरनेट, टेलीकॉल के थू्र हर जगह जबरदस्त फर्जीवाड़ा स्टार्ट हो गया है. 

सोच-समझकर करें Online दुनिया पर भरोसा
स्टेट भर के इंजीनियरिंग कॉलेज में इस समय एडमिशन की प्लानिंग चल रही है। ऐसे में ऑनलाइन वल्र्ड में भी इंजीनियरिंग कॉलेज अपनी रेपुटेशन बनने के लिए गेम कर रहे हैं। हो यूं रहा है कि अगर आप सर्च इंजन में स्टेट के टॉप कॉलेज की लिस्ट को सर्च करेंगे तो ऐसे-ऐसे कॉलेज का नाम आ जाएगा, जिसका कभी आपने नाम तक नहीं सुना होगा, सिर्फ इतना ही नहीं एमएनएनआईटी, कानपुर का एचबीटीआई, गोरखपुर का गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज तक के नाम इस लिस्ट में नदारद हैं। इंटरनेट के सर्च इंजन में सर्च के दौरान 50 से ज्यादा टॉप कॉलेज की लिस्ट ओपेन हो जाती है। इस लिस्ट को ध्यान से देखेंगे तो आपको खुद इनकी असलियत पता लग जाएगी.

Website की सूचनाएं क्रास चेक करें 
इंजीनियरिंग कॉलेज की वेबसाइट को तैयार करने वाली फर्म एक्सप्लोर बिजनेस के ओनर ने बताया कि इस समय हर कॉलेज अपनी वेबसाइट को लेकर सीरियस है। जिन कॉलेज की वेबसाइट नहीं है, वह नई वेबसाइट बनवा रहे हैं और जिनकी वेबसाइट पुरानी हो गई है, वह उसको नए सिरे से अपडेट करवा रहे हंै। कई इंजीनियरिंग कॉलेज तो कॉलेज की रेटिंग करने वाली संस्थाओं को बकायदा सेटिंग करके उनकी रैंक को लिस्ट में टॉप फाइव, टॉप टेन व टॉप 20 में बनाए रखने की प्लानिंग कर रहे हैं। कई इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा तो बकायदा कैंपस सेलेक्शन की फर्जी फोटोग्राफ्स तक लोड की जा रही है, ताकि उसको देखने के बाद उनकी डिमांड बढ़ जाए. 

Building से लेकर campus तक है different
वेबसाइट पर आपको फर्जीवाड़ा देखना है तो ज्यादा दूर जाने की जरूरत है। नैनी एरिया में एक इंजीनियरिंग कॉलेज स्थित है। अगर उसकी बेवसाइट और रियलिटी चेक करेंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे। हालांकि इंजीनियरिंग कॉलेज ने वेबसाइट में कहीं पर एक्चुअल इमेज नहीं लिखी है। ऐसे में उसका नाम मेंशन करना ठीक नहीं होगा। लेकिन, आमतौर इस इतनी टेक्निकलिटी स्टूडेंट्स व पैरेंट्स समझ नहीं पाते हैं। और वह एडमिशन के इस खुली मंडी में फंस जाते हैं। वैसे इसी एरिया में एक रिनाउंड इंजीनियरिंग कॉलेज भी है जिसका इस वेबसाइट पर नाम तक नहीं है.

तसल्ली कीजिए, जाकर जरूर check कीजिए 
आईआईआईटी के प्रो। जनक पांडेय ने कहते हैं कि जो जिन लोगों का काउंसलिंग व मेरिट के थू्र सेलेक्शन होता है, आमतौर पर उनको कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जो पेरेंट्स बच्चों का मेरिट में नाम न आने के बाद भी जबरदस्ती उनको इंजीनियरिंग करवाने की जिद्द करते हैं वह भी कॉलेजेज की इस धांधली में फंस जाते हैं। कहीं भी एडमिशन फाइनल करने से पहले उस कॉलेज की स्थिति को खुद जाकर देख लीजिए। संभव हो तो वहां के सीनियर्स से भी वहां की पोजिशन पर डिस्कस कर लीजिए। ऑनलाइन के चक्कर में फंसे तो फिर फंसने की पूरी आशंका है. 

कॉलेज क्या-क्या कर रहे हैं इस समय खेल 

-डिफरेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की लिस्ट में टॉप पोजिशन में नाम डलवाने की कोशिश. 
-कॉलेज की वेबसाइट को कैंपस सेलेक्शन, कल्चरल प्रोग्राम की फर्जी फोटो डालकर किया जा रहा है अपडेट. 
-इंजीनियरिंग कॉलेज की वेबसाइट में कॉलेज के इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी फर्जी फोटो लोड करके स्टूडेंट्स को भ्रमित किया जा रहा है. 
-इस तरह के कॉलेज में पिछला रिकार्ड लगभग फर्जी लोड किया गया है. 
-कॉलेज की फैकल्टी में रिनाउंड आर्गेनाइजेशन के प्रोफेसर का नाम एड किया जा रहा है. 
-वेबसाइट में कॉलेज की लोकेशन भी सिटी के बस स्टाप व रेलवे स्टेशन से गलत प्रजेंट की जाती है. 

Admission से पहले रहिए alert

-एडमिशन से पहले कॉलेज का फिजिकल वेरिफिकेशन कीजिए. 
-जिस डिस्ट्क्टि में कॉलेज हो वहां के स्थानीय लोगों से उनकी पोजिशन का पता कीजिए. 
-कॉलेज में एक्स स्टूडेंट्स व सीनियर मिल जाएं तो उनसे भी अंदाजा लगाया जा सकता है. 
-कॉलेज की फैकल्टी व लैब की स्थिति का भी अंदाजा ठीक से लगा लीजिए. 

प्रजेंट में करीब दो दर्जन से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज ने हमसे कांटेक्ट किया है। वह सभी अपनी वेबसाइट को अपडेट करना चाहते हैं। कुछ फोटोग्राफ चेंज करना चाहते हैं तो वेबसाइट का लुक भी चेंज करना चाहते है। गूगल सर्च में कॉलेज की वेबसाइट ऊपर आ जाए, इसके लिए वह ऐसा कहते है. 

-रजनीकांत, ओनर, बिजनेस एक्सप्लोर 
Example one

अल्लापुर में रहने वाले विजय की यूपीएसईई में रैंक अच्छी नहीं आई। विजय को फतेहपुर डिस्ट्रिक्ट के एक कॉलेज से कॉल आई। कहा, कि इंटर की मेरिट के बेस पर वह एडमिशन करते हैं। विजय ने इंटरनेट पर चेक किया तो कॉलेज का स्टेटस ठीक-ठाक मिला। फिर वह फतेहपुर जाकर कॉलेज देखने गए तो वहां पर उनके होश उड़ गए। एक अपार्टमेंट टाइप की बिल्डिंग में कॉलेज खुला हुआ था. 

Example Two 

तेलियरगंज में रहने वाली रश्मि को भी गाजियाबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से कॉल आई। इस कॉलेज का नाम वहां के एक नामी इंजीनियरिंग कॉलेज से मिलता जुलता था। रश्मि ने दिल्ली में रहने वाले अपने कजिन को भेजकर चेक किया तो उसके होश उड़ गए। वहां पर 15 फीट की एक गली की बिल्डिंग में कॉलेज खुला हुआ था।  

सोच-समझकर करें Online दुनिया पर भरोसा

स्टेट भर के इंजीनियरिंग कॉलेज में इस समय एडमिशन की प्लानिंग चल रही है। ऐसे में ऑनलाइन वल्र्ड में भी इंजीनियरिंग कॉलेज अपनी रेपुटेशन बनने के लिए गेम कर रहे हैं। हो यूं रहा है कि अगर आप सर्च इंजन में स्टेट के टॉप कॉलेज की लिस्ट को सर्च करेंगे तो ऐसे-ऐसे कॉलेज का नाम आ जाएगा, जिसका कभी आपने नाम तक नहीं सुना होगा, सिर्फ इतना ही नहीं एमएनएनआईटी, कानपुर का एचबीटीआई, गोरखपुर का गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज तक के नाम इस लिस्ट में नदारद हैं। इंटरनेट के सर्च इंजन में सर्च के दौरान 50 से ज्यादा टॉप कॉलेज की लिस्ट ओपेन हो जाती है। इस लिस्ट को ध्यान से देखेंगे तो आपको खुद इनकी असलियत पता लग जाएगी।

Website की सूचनाएं क्रास चेक करें 

इंजीनियरिंग कॉलेज की वेबसाइट को तैयार करने वाली फर्म एक्सप्लोर बिजनेस के ओनर ने बताया कि इस समय हर कॉलेज अपनी वेबसाइट को लेकर सीरियस है। जिन कॉलेज की वेबसाइट नहीं है, वह नई वेबसाइट बनवा रहे हैं और जिनकी वेबसाइट पुरानी हो गई है, वह उसको नए सिरे से अपडेट करवा रहे हंै। कई इंजीनियरिंग कॉलेज तो कॉलेज की रेटिंग करने वाली संस्थाओं को बकायदा सेटिंग करके उनकी रैंक को लिस्ट में टॉप फाइव, टॉप टेन व टॉप 20 में बनाए रखने की प्लानिंग कर रहे हैं। कई इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा तो बकायदा कैंपस सेलेक्शन की फर्जी फोटोग्राफ्स तक लोड की जा रही है, ताकि उसको देखने के बाद उनकी डिमांड बढ़ जाए. 

Building से लेकर campus तक है different

वेबसाइट पर आपको फर्जीवाड़ा देखना है तो ज्यादा दूर जाने की जरूरत है। नैनी एरिया में एक इंजीनियरिंग कॉलेज स्थित है। अगर उसकी बेवसाइट और रियलिटी चेक करेंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे। हालांकि इंजीनियरिंग कॉलेज ने वेबसाइट में कहीं पर एक्चुअल इमेज नहीं लिखी है। ऐसे में उसका नाम मेंशन करना ठीक नहीं होगा। लेकिन, आमतौर इस इतनी टेक्निकलिटी स्टूडेंट्स व पैरेंट्स समझ नहीं पाते हैं। और वह एडमिशन के इस खुली मंडी में फंस जाते हैं। वैसे इसी एरिया में एक रिनाउंड इंजीनियरिंग कॉलेज भी है जिसका इस वेबसाइट पर नाम तक नहीं है।

तसल्ली कीजिए, जाकर जरूर check कीजिए 

आईआईआईटी के प्रो। जनक पांडेय ने कहते हैं कि जो जिन लोगों का काउंसलिंग व मेरिट के थू्र सेलेक्शन होता है, आमतौर पर उनको कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जो पेरेंट्स बच्चों का मेरिट में नाम न आने के बाद भी जबरदस्ती उनको इंजीनियरिंग करवाने की जिद्द करते हैं वह भी कॉलेजेज की इस धांधली में फंस जाते हैं। कहीं भी एडमिशन फाइनल करने से पहले उस कॉलेज की स्थिति को खुद जाकर देख लीजिए। संभव हो तो वहां के सीनियर्स से भी वहां की पोजिशन पर डिस्कस कर लीजिए। ऑनलाइन के चक्कर में फंसे तो फिर फंसने की पूरी आशंका है. 

कॉलेज क्या-क्या कर रहे हैं इस समय खेल 

-डिफरेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की लिस्ट में टॉप पोजिशन में नाम डलवाने की कोशिश. 

-कॉलेज की वेबसाइट को कैंपस सेलेक्शन, कल्चरल प्रोग्राम की फर्जी फोटो डालकर किया जा रहा है अपडेट. 

-इंजीनियरिंग कॉलेज की वेबसाइट में कॉलेज के इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी फर्जी फोटो लोड करके स्टूडेंट्स को भ्रमित किया जा रहा है. 

-इस तरह के कॉलेज में पिछला रिकार्ड लगभग फर्जी लोड किया गया है. 

-कॉलेज की फैकल्टी में रिनाउंड आर्गेनाइजेशन के प्रोफेसर का नाम एड किया जा रहा है. 

-वेबसाइट में कॉलेज की लोकेशन भी सिटी के बस स्टाप व रेलवे स्टेशन से गलत प्रजेंट की जाती है. 

Admission से पहले रहिए alert

-एडमिशन से पहले कॉलेज का फिजिकल वेरिफिकेशन कीजिए. 

-जिस डिस्ट्क्टि में कॉलेज हो वहां के स्थानीय लोगों से उनकी पोजिशन का पता कीजिए. 

-कॉलेज में एक्स स्टूडेंट्स व सीनियर मिल जाएं तो उनसे भी अंदाजा लगाया जा सकता है. 

-कॉलेज की फैकल्टी व लैब की स्थिति का भी अंदाजा ठीक से लगा लीजिए. 

प्रजेंट में करीब दो दर्जन से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज ने हमसे कांटेक्ट किया है। वह सभी अपनी वेबसाइट को अपडेट करना चाहते हैं। कुछ फोटोग्राफ चेंज करना चाहते हैं तो वेबसाइट का लुक भी चेंज करना चाहते है। गूगल सर्च में कॉलेज की वेबसाइट ऊपर आ जाए, इसके लिए वह ऐसा कहते है. 

-रजनीकांत, ओनर, बिजनेस एक्सप्लोर