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KANPUR: अभिनेता कादर खान का निधन कनाडा में हुआ। वह 81 वर्ष के थे। पांच दशक से ज्यादा लंबे करियर में उन्होंने हर तरह के किरदारों को पर्दे पर पेश किया। पर उनकी सबसे ज्यादा चर्चा उनके खास डायलॉग्स के लिए होती रही, जिनमें जिंदगी का फलसफा छिपा रहता था।

अफगानिस्तान में जन्में थे कादर खान

काबुल, अफगानिस्तान में जन्में कादर खान अपने कई इंटरव्यू में बता चुके थे कि उनके तीन भाइयों की मौत के बाद उनके माता-पिता अफगानिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे। जल्द ही माता-पिता का तलाक हो गया और सौतेले पिता के साथ बचपन बहुत गरीबी में निकला। बावजूद इसके उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया और मुंबई के एक कॉलेज में बच्चों को पढ़ाने लगे।

यहां से शुरू हुआ कादर खान का करियर

मुंबई में कादर खान के घर के पास एक यहूदी क्रबिस्तान था जहां बैठकर वह डायलॉग्स बोलने की प्रैक्टिस करते थे। एक रात प्रैक्टिस के दौरान उन्हें एक ऐसा शख्स मिला जिसने उनसे नाटक में काम करने के लिए पूछा। फिर वह थिएटर करने लगे। कह सकते हैं कि उनके करियर की शुरुआत वहीं से हुई। इस दौरान एक नाटक प्रतियोगिता हुई जहां नरेंदर बेदी और कामिनी कौशल जज थे। कादर को बेस्ट राइटर का इनाम मिला, साथ ही एक फिल्म के लिए डायलॉग्स लिखने का मौका भी मिला। ये फिल्म थी 1972 में आई जवानी-दीवानी।

कादर ने बतौर एक्टर करियर शुरू किया
कादर खान ने 1973 की फिल्म दाग से बतौर एक्टर करियर शुरू किया था जिसमें वह एक वकील के किरदार में थे। पर उनका पहला बड़ा किरदार फिल्म खून पसीना में ठाकुर जालिम सिंह का था जिसके लेखक वे खुद थे। उन्होंने 300 से भी ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग की और 250 से ज्यादा फिल्मों के डायलॉग्स लिखे।

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