- राजधानी संग पूरे प्रदेश में वाहनों की सेल में गिरावट
- आरटीओ ऑफिस में वाहनों के रजिस्ट्रेशन की संख्या घटी
sanjeev.pandey@inext.co.in
LUCKNOW: वाहनों की लगातार सेल कम होने से राजधानी संग पूरे प्रदेश की ऑटो इंडस्ट्री चौपट हो गई है। पिछले साल की तुलना में इस बार यहां आरटीओ ऑफिस में दो फीसद वाहनों के रजिस्ट्रेशन कम हुए हैं। वाहनों के रजिस्ट्रेशन कम होते देख परिवहन विभाग ने इस मामले की अधिकारियों से जानकारी मांगी है। वाहनों की डिमांड कम होने से राजधानी में ही ऑटो सेक्टर से जुड़े 20 हजार लोगों की जॉब के सामने भी संकट होने का अदेशा है। वहीं प्रदेश में इनकी संख्या करीब 75 हजार के करीब है।
एक नहीं कई कारण
वाहनों की सेल कम होने के कई कारण हैं। एक तरफ कंपनियां मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर तैयारियां नहीं कर पर रही हैं, वहीं कलपुर्जो को लेकर भी उनके सामने समस्या आ रही है। इंडिया में अभी स्टेज-4 वाहनों की सेल हो रही है, वहीं 2020 से स्टेज-6 यहां लागू होना है। इसे देखते हुए कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियां सोच समझकर ही प्रोडक्ट तैयार कर रही हैं। उन्हें डर है कि उनका माल कहीं डंप न हो जाए। वहीं वाहनों पर जीएसटी भी 28 फीसद है, जिसे कम किए जाने की मांग हो रही है।
उठाना पड़ा था नुकसान
विभागीय अधिकारियों के अनुसार स्टेज-4 शुरू करने से पहले वाहन कंपनियों को कनवर्जन का टाइम नहीं मिला, जिससे डीलर्स को काफी नुकसान का समना करना पड़ा। इसे देखते हुए कंपनियां सोच-समझकर कदम उठा रही हैं। सरकार की ओर से भी सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्यूफैक्चरिंग पर जोर दिया जा रहा है।
बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था
विभागीय अधिकारी इसका एक कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में सुधार होना भी बता रहे हैं। उनका कहना है कि अब लोग निजी वाहन से ज्यादा रेडियो टैक्सी आदि में सफर करना पसंद कर रहे हैं। राजधानी में मेट्रो के कारण भी वाहनों की सेल पर असर पड़ा है।
कोट
परिवहन विभाग को कहां-कहां से राजस्व मिलता है, इसकी आख्या मांगी गई है। वाहनों की सेल कम होने की जांच की जा रही है। प्रदेश भर में वाहनों की सेल कम हुई है।
धीरज साहू
परिवहन आयुक्त, यूपी
कोट
राजधानी में वाहनों के रजिस्ट्रेशन में कमी आई है। जीएसटी के साथ ही वाहन सेक्टर में हो रहे बदलाव के चलते यह असर देखने को मिल रहा है।
संजय तिवारी, एआरटीओ प्रशासन
आरटीओ ऑफिस ट्रांसपोर्ट नगर
बॉक्स
वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू हैं। फोर व्हीलर में सेस 8 से 12 प्रतिशत तक अतिरिक्त वसूला जाता है।
शक्ति सिंह
डिप्टी कमिश्नर, जीएसटी
बॉक्स
नौकरी जाने का खतरा
विभागीय अधिकारियों के अनुसार वाहनों की सेल कम होते देख शोरूम के संचालक भी स्टॉफ कम करने लगे हैं। त्योहारों के सीजन में जहां लोगों को रख लिया जाता है वहीं परमानेंट स्टॉफ को लगातार लोग कम कर रहे हैं। ऐसे में राजधानी में जहां 20 हजार लोग तो प्रदेश भर में 75 हजार लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।
बाक्स
राजधानी में इस तरह आई गिरावट
ईयर फोर व्हीलर टू व्हीलर
2018 50055 14632
2019 47484 14227
कम रजिस्ट्रेशन प्रतिशत में 2.14 2.72
नोट- लखनऊ में अप्रैल से जुलाई तक आरटीओ ऑफिस में रजिस्ट्रेशन
--------------------
बाक्स
यूपी में अप्रैल से जुलाई तक रजिस्ट्रेशन
ईयर फोर व्हीलर टू व्हीलर
2018 100659 1062914
2019 94311 982198
कम रजिस्ट्रेशन प्रतिशत में 6.31 7.59