Gita Press, Gorakhpur: कैसे छपती है श्रीमद्भगवद्गीता, जानें 100 वर्षों का यह सफर।
हिंदू धार्मिक और पौराणिक किताबों की बात जब भी जहन में आती है, तो सबसे पहले जो नाम सामने आता है वो है गीताप्रेस गोरखपुर। श्रीमद्भगवद्गीता हो या फिर रामचरितमानस या फिर कल्याण जैसी धार्मिक मासिक पत्रिका सभी को पूरी संपूर्णता के साथ घर-घर पहुंचाने और धार्मिक ज्ञान की गंगा को बहाने में गीताप्रेस का योगदान सराहनीय है। अप्रैल 1923 से लेकर अब तक गीताप्रेस अपने प्रकाशन के 100 वर्ष पूरे कर चुका है। जन जन से अपने गहन धार्मिक जुड़ाव के साक्षी गीताप्रेस में कैसे छपती है आपकी श्रीमद्भगवद्गीता और अन्य पुस्तकें, देखें जरा... बता दें कि 29 अप्रैल 1923 से हो रहा है गीताप्रेस का प्रकाशन। 1800 प्रकार की धार्मिक पुस्तकें छप रही हैं गीताप्रेस में। गीताप्रेस में 15 भाषाओं में छपती हैं धार्मिक पुस्तकें और ग्रंथ। गीताप्रेस अब तक 75 करोड़ किताबें प्रकाशित कर चुका है।