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Vikas Dubey वाला बिकरू गांव: आज मेरी गलियां सुनसान हैं, नहीं भूले लोग 2 जुलाई 2020 की वो काली रात

By: Chandra Mohan Mishra | Publish Date: Sat, 02 Jul 2022 06:05:18 (IST)

Vikas Dubey वाला बिकरू गांव, आज मेरी गलियां सुनसान हैं, नहीं भूले लोग 2 जुलाई 2020 की वो काली रात. धमकी, फायरिंग और भगदड़ आज भी दिमाग में बसी हुई है। घटना से पहले ही चहल-पहल और खुशहाली अब यहां नजर नहीं आती।
2 जुलाई 2020 की काली रात, आज भी मेरे जेहन में जिंदा है. गांव के बीच में रहने वाले दबंग दुर्दांत दुबे यानी विकास दुबे ने अंदर घुसने के आखिरी रास्ते पर जेसीबी मशीन लगवा दी थी. पुलिस की कुछ टीमें आईं और जेसीबी की वजह से बाहर ही रुक गईं. वहां से वे पैदल ही गांव में आने लगे. एक-एक कर कई पुलिसकर्मी दुर्दांत दुबे के घर के आस-पास पहुंच गए, वे कुछ कार्रवाई कर पाते, इससे पहले ही दुर्दांत दुबे ने अपने गैैंग के लोगों के साथ पुलिसकर्मियों पर चौतरफा फायरिंग कर दी. गोलियों से मेरा सीना छलनी हो गया, आंचल तार-तार हो गया. हर तरफ गाली गलौैज, गोलियों की आवाज और चीख पुकार मच गई. कुछ घंटे बाद ही फायरिंग की आवाज बंद हो गई और हर तरफ खून ही खून दिखाई देने लगा. चारों ओर लाशें ही लाशें पड़ी थी. कुएं के पास बने शौचालय से एक-एक कर पांच शव निकाले गए. एक पुलिस कर्मी का शव शौचालय के बाहर पड़ा था. जबकि सीओ देवेंद्र मिश्र का शव प्रेम चंद्र पांडेय के घर में खून से लथपथ पड़ा था. रात होते ही गोलियों की आवाज आज भी मेरे कानों में गूंजती है.

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