- विपक्षी विधायकों का सदन में हंगामा, पूर्व सीएम हरीश रावत ने सड़क पर दिया धरना

- जब हरीश रावत सीएम थे, किसानों के लिए क्या किया: त्रिवेंद्र

>DEHRADUN: बजट सत्र के तीसरे दिन भी विपक्ष तीखे तेवरों के साथ सरकार पर हमलावर रहा। विपक्ष ने गन्ना किसानों के लंबित भुगतान पर सदन के भीतर और बाहर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। सदन से बाहर सड़क पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मोर्चा संभाला। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह सहित विधायक काजी निजामुद्दीन और कांग्रेसी कार्यकर्ता मौजूद रहे। वहीं, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के नेतृत्व में विपक्ष के विधायकों ने सदन के भीतर विरोध जारी रखा। विपक्ष के विधायकों ने वेल में आकर नियम 310 में कार्यस्थगन की सूचना देकर गन्ना भुगतान पर चर्चा कराने की मांग कर हंगामा किया।

विधायक आए वेल में, किया वॉकआउट

पीठ ने नियम 58 में मुद्दे पर चर्चा कराने को कहा, लेकिन विपक्षी सदस्य नहीं माने। विधायकों ने हाथों में गन्ना लेकर वेल में जोर-शोर से नारेबाजी की। जबकि विपक्षी सदस्य वेल में ही जमीन पर बैठ गए। जहां पर उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विपक्ष को शांत न होता देख स्पीकर ने 11.17 बजे सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद दो बार 11.55 व 12.10 के लिए स्थगन की अवधि को आगे बढ़ा दिया गया। स्थगन के बाद 12.10 पर सदन की कार्यवाही जैसे ही दुबारा शुरू हुई, विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा। विपक्षी विधायक दोबारा वेल में आकर चर्चा कराए जाने की मांग पर अड़े रहे। स्पीकर ने शांत कराने की कोशिश करते हुए प्रश्नकाल शुरू करा दिया। वहीं, वेल में खड़े विपक्षी सदस्यों ने फिर से नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने विपक्ष पर सदन की कार्यवाही में सहयोग न करने का आरोप लगाया। कहा, विपक्ष स्वस्थ चर्चा करने की बजाय सिर्फ हंगामा करना चाहता है। हंगामा बढ़ता देख स्पीकर ने एक बार फिर प्रश्नकाल तक के लिए सदन की कार्यवाही 12.20 पर स्थगित कर दी। विपक्ष के हंगामे के कारण बुधवार को भी प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया। स्थगन के बाद 12.25 बजे सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, लेकिन विपक्ष इसमें शामिल नहीं हुआ। विपक्ष ने सदन का वॉकआउट कर विधानसभा के बाहर गेट पर धरना दे दिया। लंच तक विपक्ष की गैरमौजूदगी में सदन की कार्यवाही चलती रही।

चीन मिलों के प्रवक्ता बने हैं हरीश रावत: सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर दिये गये धरने पर पलटवार किया है। कहा है कि हरीश रावत को इस प्रकरण पर अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि जब वे सीएम थे तो तब उन्होंने गन्ना किसानों के लिये क्या किया। जबकि आज वे निजी चीनी मिलों के प्रवक्ता बने हुए है।

गन्ना किसानों का ि1कया भुगतान

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश की सहकारी व सरकारी चीनी मिलों द्वारा पेरे गये समस्त गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को कर दिया है। जबकि किसानों को धान के मूल्य का भुगतान भी 10 दिन में किया गया है, जो रिकॉर्ड है। सीएम ने पूर्व सीएम को सुझाव दिया कि उन्हें निजी चीनी मिलों के सामने गन्ना किसानों के साथ धरना देना चाहिए। इस मामले में हरीश रावत दोहरी चाल चल रहे हैं। आज उन्हें निजी चीनी मिल मालिकों का हित सर्वोपरि लग रहा है। अगर वे किसानों के सच्चे हितेषी हैं तो उन्हें निजी चीनी मिलों के बाहर किसानों को साथ लेकर धरना देना चाहिए।

- पेराई सत्र 2017-18 में सहकारी व सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों में पेरे गये कुल देय गन्ना मूल्य 440.41 करोड़ रुपए का भुगतान

- सरकार ने वर्ष 2017-18 व 2018-19 में सरकारी एवं सार्वजनिक चीनी मिलों को 507.61 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई

- हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2015-16 व 2016-17 में यह धनराशि 231.59 करोड़ रुपए थी

- राज्य की निजी क्षेत्र की चीनी मिलों इकबालपुर, लक्सर व लिब्बरहेडी के पेराई सत्र 2017-18 के अवशेष गन्ना मूल्य भुगतान दिये जाने को लेकर सरकार सॉफ्ट लोन दिये जाने पर कर रही विचार

- सूबे के निजी क्षेत्र की चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2017-18 में 270.26 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की गयी

- पेरे गये गन्ने के कूल देय मूल्य 851.98 करोड़ के सापेक्ष 655.18 करोड़ का भुगतान हुआ।