लंदन (पीटीआई) शराब कारोबारी विजय माल्या को राहत देते हुए, लंदन में उच्च न्यायालय ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के समूह की याचिका पर सुनवाई टाल दी है। दरअसल, बैंकों ने अपनी याचिका में अदालत से माल्या को दिवालिया घोषित करने की मांग की थी ताकि वह उससे लगभग 1.145 बिलियन पाउंड का लोन वसूल सकें। हाईकोर्ट के दिवालियेपन डिवीजन के जस्टिस माइकल ब्रिग्स ने माल्या को राहत देते हुए फैसला सुनाया कि जब तक भारत के सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिकाओं व कर्नाटक उच्च न्यायालय के सामने समझौते के उनके प्रस्ताव का निपटारा नहीं हो जाता तब तक उन्हें समय मिलना चाहिए। गुरुवार को दिए गए अपने फैसले में चीफ इन्सॉल्वेंसी एंड कंपनी कोर्ट के जज ब्रिग्स ने कहा कि इस समय इस तरह की कार्रवाई को आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है।

दिसंबर में जज ने सुरक्षित रख लिया था फैसला

अपने फैसले में जज ने कहा, 'मेरे फैसले में बैंक सुरक्षित हैं, कम से कम इस याचिका पर सुनवाई को संशोधन के उद्देश्य से और समय के लिए पूर्ण रूप से लोन का भुगतान करने तक स्थगित किया जाना चाहिए।' बता दें कि जज ब्रिग्स ने पिछले साल दिसंबर में माल्या की अब तक की दोषपूर्ण किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए कर्ज पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गौरतलब है कि पिछले चार साल से विदेश में रह रहे माल्या आरोपों का सामना करने के चलते भारत लौटने को तैयार नहीं हैं। उसपर कथित रूप से 13 भारतीय बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।

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