कानपुर (पीटीआई)। गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार सुबह एनकाउंटर में मारा गया। विकास उत्तर प्रदेश का वांछित अपराधी था जिस पर पांच लाख रुपये का इनाम था। विकास ने रियल इस्टेट का काम शुरु कर, अपराध की दुनिया में कदम रखा था। लूट और हत्या करना उसका पेशा था। इसके बाद जिला स्तर का चुनाव जीतकर वह राजनैतिक दलों का करीबी बन गया। पिछले शुक्रवार को, लगभग 50 वर्षीय दुबे ने तब सुर्खियां बटोरीं थी जब उसके गुर्गों ने कथित रूप से आठ पुलिस कर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी। तब से वह 'वांटेड' अपराधी बन गया। बीते दिनों उसकी पिछली जिंदगी की कुछ परतें भी खुलीं। सोशल मीडिया पर एक पुरानी तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वह उत्तर प्रदेश के एक मंत्री के बगल में खड़ा नजर आया।
2000 में जीता था जिला पंचायत चुनाव
अधिकारियों के अनुसार, 2000 में विकास दुबे ने जिला पंचायत चुनाव में शिवराजपुर सीट जीती थी, उस वक्त वह जेल में था। हालांकि, गुरुवार को उसकी गिरफ्तारी के बाद, दुबे की मां सरला देवी ने कहा, "इस समय, वह भाजपा में नहीं हैं, वह सपा के साथ हैं।" लेकिन, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि दुबे "पार्टी के सदस्य नहीं हैं" और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा, पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके लिंक को उजागर करने की मांग की थी। साथ ही उसके कॉल रिकॉर्ड विवरण को सार्वजनिक किए जाने की मांग की थी।


एक हफ्ते में क्या-क्या हुआ
विकास दुबे पिछले एक हफ्ते से फरार चल रहा था। वह कानपुर से फरीदाबाद गया, वहां से उज्जैन आया। दुबे को गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन से अरेस्ट किया गया। सांसद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गुरुवार को कहा, "दुबे अपनी कार में (महाकाल) मंदिर पहुंचा। एक पुलिस कांस्टेबल ने उन्हें पहले पहचान लिया, जिसके बाद तीन अन्य (सुरक्षाकर्मियों) को सतर्क कर दिया गया और उन्हें पूछताछ के लिए अलग ले जाया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।' हालांकि, मंदिर के सूत्रों का कुछ अलग कहना था। उन्होंने कहा कि दुबे सुबह मंदिर के गेट पर पहुंचा और पुलिस चौकी के पास एक काउंटर से 250 रुपये का टिकट खरीदा। जब वह प्रसाद खरीदने के लिए पास की एक दुकान पर गया, तो दुकान के मालिक ने उन्हें पहचान लिया और पुलिस को सतर्क किया।
उज्जैन में गिरफ्तारी, कानपुर में एनकाउंटर
जब पुलिसकर्मियों ने उससे उसका नाम पूछा, तो उसने जोर से कहा, "मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला", जिसके बाद मंदिर में तैनात पुलिस और निजी सुरक्षाकर्मियों ने उसे दबोच लिया। इसके बाद मप्र पुलिस ने फिर उसे यूपी पुलिस को सौंप दिया। शुक्रवार को यूपी एसटीएफ विकास को लेकर कानपुर पहुंचने वाली थी कि, रास्ते में गाड़ी पलट गई और विकास भागने लगा जिसके बाद पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया। पुलिस महानिरीक्षक (कानपुर) मोहित अग्रवाल ने कहा कि, इंस्पेक्टर की पिस्तौल छीनने के बाद दुबे ने मौके से भागने की कोशिश की। एडीजी कानपुर रेंज जेएन सिंह ने कहा, "दुबे मुठभेड़ में घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया।"


थाने में की थी मंत्री की हत्या
पुलिस ने दावा किया कि दुबे लगभग 60 मामलों में शामिल था। लेकिन अधिकारियों से प्राप्त विवरण से पता चलता है कि उन्हें हत्या जैसे मामलों में भी दोषी नहीं ठहराया गया था। एक अधिकारी के अनुसार 2001 में विकास शिवली पुलिस स्टेशन के अंदर भाजपा नेता संतोष शुक्ला की हत्या का मुख्य आरोपी था। दुबे ने सभी में इतना भय पैदा कर दिया था कि राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता की हत्या करने के बावजूद किसी पुलिसकर्मी ने उसके खिलाफ गवाही नहीं दी।' अधिकारी ने कहा, "अदालत के सामने कोई सबूत नहीं रखा गया और उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।"
इतनी हत्याओं के आरोप लगे
उन्होंने दावा किया कि दुबे जेल के अंदर से हत्या सहित अपराधों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने का काम करता था। विकास की पुलिस पर अच्छी पकड़ थी। यही वजह है कि चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी को विकास की मदद करने के चलते गिरफ्तार कर लिया गया। यही नहीं विकास द्वारा आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के केस की कड़ी डीआईजी अनंतदेव तक पहुंची, जिसके बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया। दुबे 2000 में कानपुर के ताराचंद इंटर कॉलेज में प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडे की हत्या का भी आरोपी था। उस पर उसी साल जेल से एक राम बाबू यादव की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा। इसके बाद विकास का नाम 2004 में एक व्यापारी दिनेश दुबे की हत्या में सामने आया। दुबे पर 2018 में अपने चचेरे भाई अनुराग की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगा।

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