लखनऊ (आईएएनएस)। कानुपर के चौबेपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे मारा गया। शुक्रवार को एसटीएफ सड़क मार्ग से विकास को उज्जैन से कानपुर ला रही थी। कानपुर के नजदीक अचानक एसटीएफ की गाड़ी पलट गई। जिसमें विकास दुबे बैठा था। मौका पाकर उसने भागने की कोशिश, जिसमें वह मारा गया। एसटीएफ की तरफ से बताए जा रहे इस पूरे घटनाक्रम पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल उठाने वाले उन्हीं की बिरादरी के हैं। यूपी में जब पहली बार एसटीएफ का गठन हुआ, उस वक्त टीम में एक जाबांज अफसर थे, वह विकास दुबे एनकाउंटर को शक की निगाह से देख रहे।

एसटीएफ के पास अब बहुत खराब स्क्रिप्ट राइटर है

एसटीएफ पर सवाल उठाने वाले सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा, 'स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के पास अब बहुत खराब स्क्रिप्ट राइटर है और विकास दुबे की कहानी इसे साबित करती है। मध्य प्रदेश में गुरुवार को जिस व्यक्ति ने मौत से बचने के लिए आत्मसमर्पण कर दिया हो, वह भागने की कोशिश कैसे कर सकता है।' 3 जुलाई से इस घटना की जांच में जुटी एसटीएफ की टीम के काम करने के तरीके पर लोगों को पहले ही शक था। अधिकारी का कहना है, 'एसटीएफ की सबसे बड़ी विफलता यह रही कि, नरसंहार के बाद दो दिनों तक विकास कानपुर के पास छुपा रहा और पुलिस टीम उसको नहीं ढूंढ पाई। हमने 1997-98 में श्रीप्रकाश शुक्ला के मामले की जांच की थी और एनकाउंटर से पहले उसके हर मूवमेंट को ट्रैक किया।'

यह एसटीएफ की नाकामी है

सीनियर एसटीएफ ऑफिसर ने कहा, 'दुबे भी बीच-बीच में अपने मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन एसटीएफ उसे पिन नहीं कर पा रही थी, यह उनकी नाकामी है।' समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस एनकाउंटर पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे। उन्होंने कहा," दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है। गैंगस्टर के राजनीतिक लिंक को चुपचाप जांच में दफन कर दिया गया है और लोगों को कभी भी सच्चाई का पता नहीं चलेगा। " कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा:" हमारे डर सच हो गए हैं। कल मध्य प्रदेश में उसके आत्मसमर्पण के बाद, मैंने अपनी आशंका व्यक्त की थी कि क्या विकास दुबे को सुरक्षित वापस लाया जाएगा। एसटीएफ का मुठभेड़ सिद्धांत आश्चर्यजनक रूप से समान है। पूरा प्रकरण उच्चस्तरीय जांच का आह्वान करता है।"

रिटायर्ड डीजीपी ने भी जताया संदेह

इस बीच, एक रिटायर्ड डीजीपी ने कहा कि कुछ राजनीतिक नेताओं को बचाने के लिए विकास को मार दिया गया। वह कहते हैं, "पूरा परिदृश्य स्पष्ट है। राजनेताओं, शीर्ष सरकारी अधिकारियों के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं और जाहिर है कि उसका जीने नहीं दिया जाता। लोगों को पता है कि सच्चाई क्या है और यह मुद्दा एक बड़े विवाद में बदल जाएगा।' कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए।

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