विनेश फोगाट

एशियन गेम्स

2018 - जकार्ता-50 किग्रा भार वर्ग- स्वर्ण पदक

2014 - इंचियोन-48 किग्रा भार वर्ग- कांस्य पदक

कॉमनवेल्थ

2018 -गोल्ड कोस्ट- 50 किग्रा भार वर्ग-स्वर्ण पदक

2014 -ग्लासगो-48 किग्रा भार वर्ग- स्वर्ण पदक

 

lucknow@inext.co.in
LUCKNOW : जब से होश संभाला, तब से सिर्फ कुश्ती को ही जिया है। पिछले कई सालों से सुबह उठने के बाद रात सोने तक सिर्फ कुश्ती के दांव-पेंच की बातें ही होती रहीं। और तो और कुश्ती के लए पूड़ी-खीर और मिठाई को भी कामयाबी की राह का रोड़ा मान उससे भी किनारा कर लिया। बस मन में यही ख्वाब चलता था कि तिरंगे की शान के लिए मेडल जीतना है। यह कहना है कि कॉमनवेल्थ (गोल्डकोस्ट 2018) और एशियन गेम्स (जकार्ता 2018) में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट का। सोमवार को वह स्पो‌र्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया के राजधानी स्थित सब सेंटर पहुंचीं, जहां उनका भव्य स्वागत और सम्मान हुआ।

अब निगाह में ओलंपिक
यहां पर विनेश ने बताया कि भले ही उन्होंने कामयाबी के आसमान पर पांव रख दिए हैं लेकिन अभी भी खेलों के महाकुंभ ओलम्पिक में पद लाने की ख्वाहिश पूरी नहीं हुई है। अब मेरा अगला टारगेट ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई कर वहां पदक लाकर देश का मान बढ़ाना है।

सब कुछ छोड़ घर लौट जाऊं
अपनी कामयाबी के सफर के दौरान भावुक हुई विनेश ने यह भी कहा कि कई बार वह निराश हो जाती हैं। जब चोट लगती है या फिर मुकाबला हारती हूं तो यही दिल करता है कि सब कुछ छोड़ घर चली जाऊं। लेकिन देश के प्रति दीवानगी और देशवासियों से मिला प्यार उन्हें फिर से मैट पर उतरने और जीतने के लिए प्रेरित करता है।

किसी से कम नहीं, भारतीय कोच
खेल के बारे में उन्होंने बताया कि हमारे प्रशिक्षक को एक साथ कई खिलाडि़यों पर फोकस करना होता है। ऐसे में यह आसान नहीं होता। विदेशों में एक खिलाड़ी पर एक कोच होने से उनकी तैयारी बेहतर होती है। हंगरी में मैंने एक कोच के अंडर में ट्रेनिंग की है। मैं फिर कुछ माह के लिए वहां ट्रेनिंग के लिए जाना चाहती हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे यहां के कोच किसी मामले में कम हैं। अब तक उनके दम पर ही मेडल आ रहे हैं।

और लड़कियां भी बनें विनेश
विनेश ने बताया कि अभी खेल के अलावा कुछ नहीं सोचा है। आज इस बात की खुशी है कि लड़कियां इस फील्ड में करियर बना रही हैं। मेरी तमन्ना है कि देश की और भी लड़कियां मेरी तरह देश के लिए इस खेल में पदक लाएं।

यहां तक मिली कामयाबी के पीछे कई लोग हैं। फैमिली, कोच, संघ के साथ ही आपका ट्रेनिंग सेंटर, जहां आप प्रैक्टिस करते हैं। फिर देशवासियों का प्यार और उनकी दुआओं के बल पर ही यह सफर तय किया।

विनेश फोगाट, इंटरनेशनल रेसलर

लखनऊ में लगने वाले कैम्प के खिलाड़ी मेडल ला रहे हैं और देश की शान बन गए हैं। विनेश ने आज अपनी मेहनत के दम पर यह मुकाम हासिल किया है। हमें उसकी कामयाबी पर गर्व हैं।

रचना गोविल, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर

स्पो‌र्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया

हर खेल में भारत का वर्चस्व बढ़ रहा है। जिस तरह से खिलाड़ी सफलता हासिल कर रहे हैं, ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब हम पदकों की सूची में चीन को टक्कर देना शुरू कर देंगे।

आनन्देश्वर पांडेय, सचिव,

यूपी ओलम्पिक एसोसिएशन

घर में सम्मान की बात ही कुछ और

यह साल मेरे लिए बहुत लकी रहा। इस साल कॉमनवेल्थ (गोल्ड कोस्ट) और एशियन गेम्स (जकार्ता) दोनों ही जगह मेरा प्रदर्शन शानदार रहा। दोनों ही जगह मेडल जीते हैं, लेकिन जीत की भूख अभी खत्म नहीं हुई है। अभी आगे और भी खेलना है।

साई में खिलाडि़यों का सम्मान

जैसे ही एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रचना गोविल ने विनेश फोगाट को मंच पर बुलाया तो हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। साई सब सेंटर में सोमवार को महिला कुश्ती पहलवानों को सम्मानित किया गया। साई की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रचना गोविल ने स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट और कांस्य पदक विजेता दिव्या काकरान को उनके चित्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष आनन्देश्वर पांडेय, नेशनल रेसलिंग टीम के कोच कुलदीप मलिक और नेशनल कोच साहिल शर्मा मौजूद रहे।