- तीन तलाक पीडि़ताओं को न्याय दिला रहीं निदा खान और फरहत नकवी

- पीडि़ताओं को कानूनी मदद दे रहीं हैं एडवोकेट राशि

बरेली : बात चाहे तीन तलाक के खिलाफ जंग की हो या फिर महिला अधिकारों की शहर की महिलाओं ने अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। आज यानि गणतंत्र दिवस के मौके पर बात अधिकारों की होगी। अपनों की सताई महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए बीड़ा उठाकर इन महिलाओं ने न सिर्फ अपनी अलग पहचान बनाई है बल्कि दूसरी महिलाओं के सामने भी मिसाल कायम की है। बात करेंगे कुछ ऐसी ही महिलाओं की, जो बाकी लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं।

महिलाओं की ढाल राशि पाराशरी

पेशे से वकील शहर के जनकपुरी की राशि पाराशरी महिलाओं के लिए किसी ढाल से कम नहीं हैं। परिवारिक तनाव और प्रशासनिक मार झेल रही महिलाओं को इंसाफ दिलाने का राशि ने बीड़ा उठा रखा है। उन्होंने अब तक 120 पीडि़ताओं की कानूनी मदद ही नहीं दी, बल्कि उनके परिवार को टूटने से बचाया भी है। राशि बताती हैं कि एक महिला ही दूसरी महिला का दर्द बेहतर तरीके से समझ सकती है, वह जो कर रही हैं यह अहसान नही बल्कि उनके संस्कार हैं।

केस 1

पति ने समझौते के लिए बढ़ाए हाथ

शहर की मधु प्रजापति की शादी को चार साल हो चुके हैं, उनके दो बच्चे हैं। अक्सर पति उनके साथ मारपीट कर दहेज की मांग करता था, उत्पीड़न से तंग आकर वह अपने मायके आ गई। कई बार किला थाने जाकर पुलिस से मदद की गुहार लगाई लेकिन यहां भी उपेक्षा ही मिली। फिर मधु की मुलाकात राशि पाराशरी से हुई। राशि ने एफआईआर दर्ज कराई। अब पति मधु से समझौते की बात रहा है।

केस 2

शहर की रहने वाली लक्ष्मी देवी पति की यातनाओं से इस कदर तंग आ गईं कि दो मिनट भी उसके साथ रहना लक्ष्मी को नागवार हो रहा था। थाने के चक्कर काट-काट कर जब वह थक गई तो वह राशि पाराशरी से मिलीं। कई दिनों तक राशि ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रयास किए। सफलता भी मिली और लक्ष्मी के पति को जेल भिजवाया।

तीन तलाक के खिलाफ लड़ी जंग

तीन तलाक का जिक्र आता है तो आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष शहर की निदा खान और मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी का नाम जरूर आता है। ये वो नाम हैं जिन्होंने तीन तलाक पीडि़ताओं को इंसाफ दिलाने के लिए न सिर्फ लंबी जंग लड़ी बल्कि उसे मुकाम तक पहुंचाने में अहम किरदार निभाया। इस जंग में उन्हें विरोध का सामाना भी करना पड़ा और उनके खिलाफ फतवे भी जारी हुए, लेकिन वह पीछे नहीं हटीं और तीन तलाक पीडि़ताओं को इसके खिलाफ लड़ने के लिए कानूनी हक भी दिलाया। निदा खान बताती हैं कि तीन तलाक पीडि़ताओं को उनका हक दिलाने के लिए उन्होंने आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की शुरुआत की और अब तक उन्होंने 50 से ज्यादा तलाक पीडि़ताओं को इंसाफ दिलाया है।

बना रहीं सेल्फ डिपेंड

निदा खान ने तीन तलाक पीडि़ताओं को सिर्फ इंसाफ ही नही दिलाया बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बना रही हैं। शासन की कौशल विकास योजना से जोड़कर तलाक पीडि़ताओं को ब्यूटीशियन, सिलाई-कढ़ाई समेत अन्य क्षेत्रों में ट्रेनिंग भी दिलवा रही हैं। निदा कहती हैं कि महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए उनकी यह जंग जारी रहेगी। जहां भी महिलाओं के सम्मान पर कोई चोट करेगा उसकी सोच को बेपर्दा करने के लिए वह महिलाओं की ढाल बनेंगी।

अब तक करीब 300 से अधिक तलाक पीडि़ताओं सहित अन्य महिलाओं को न्याय दिला चुकी हूं। इसके साथ ही समझौता अदालत से भी सैकड़ों को फ्री एडवोकेट सलाह दिलाकर लाभ दिला चुकी हूं।

फरहत नकवी, अध्यक्ष मेरा हक फाउंडेशन

सोच पर किया वार

जैसे ही आप शहर डिस्ट्रिक्ट फीमेल हॉस्पिटल में प्रवेश करेंगे, एक छोटे से कद की महिला हाथ में रजिस्टर लेकर हॉस्पिटल के वार्डो को रोशन करने में व्यस्त नजर आएगी। जी हां हम बात कर रहे हैं हॉस्पिटल की महिला इलेक्ट्रिशियन पम्पी गंगवार की। चार वर्ष पहले इलेक्ट्रिशियन के पद पर उन्हें तैनाती मिली। हाल ही में, निरीक्षण को आई टीम ने प्रकाश व्यवस्था की काफी सराहना की थी। पम्पी बताती हैं कि उन्होने सीबीगंज स्थित आईटीआई कॉलेज से वर्ष 2009 में आईटीआई किया तब कॉलेज में इलेक्ट्रिशियन की स्ट्रीम में वह अकेली महिला स्टूडेंट थी। लोग मजाक भी बनाते थे।