जयपुर (आईएएनएस / एएनआई)। राजस्थान में मची सियासी जंग के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाैतरफा घिरते जा रहे हैं। इस राजनीतिक संकट के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने व्हिप जारी करते हुए अपने विधायकों से कांग्रेस के खिलाफ खड़े होने को कहा है। बसपा ने अपने राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के माध्यम से रविवार को राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए अपने छह विधायकों के लिए एक व्हिप जारी किया जिसमें सभी को किसी भी 'अविश्वास प्रस्ताव' के मामले में कांग्रेस के खिलाफ वोट करने का निर्देश दिया गया। व्हिप के जरिए कहा कि यदि उनमें से कोई भी विधायक पार्टी के आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसे भारत के संविधान की 10 वीं अनुसूची के पैरा 2 (एल) (बी) के तहत अयोग्यता का सामना करना पड़ेगा।

वर्तमान में अभी ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया

सभी विधायकों को अलग-अलग नोटिस जारी जारी कर ये भी बताया है कि बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है। इसलिए दसवीं अनुसूची के पैरा (4) के तहत छह विधायकों का राज्य स्तर पर कोई विलय तब तक नहीं किया जा सकता है, जब तक कि राष्ट्रीय स्तर पर हर जगह पूरी बसपा का विलय नहीं होता है। वर्तमान में अभी ऐसा कुछ नहीं है। बता दें कि बसपा ने यह निर्देश तब जारी किया जब सियासी संकट के बीच बसपा के सभी विधायकों ने कांग्रेस का दामन थामते हुए गहलोत सरकार का समर्थन का ऐलान किया है। विधायकों का दावा है कि उन्‍होंने कांग्रेस में विलय कर लिया है।

सभी विधायकों ने ली थी कांग्रेस की सदस्यता

गाैरतलब है कि राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के छह विधायकों ने इसी साल जनवरी में औपचारिक रूप से कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसमें राजेंद्र गुड्ड (उदयपुरवाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली, लखन सिंह मीणा (करोली), संदीप यादव (तिजारा) और दीपिका खेरिया (किशनगढ़बास) ने पार्टी बदलने के पीछे की वजह का हवाला देते हुए कहा था कि वे राज्य में सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ना चाहते हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ काम करना चाहते हैं।

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