सबकुछ अस्त व्यस्त

सोर्सेस का कहना है कि इलेक्शन में देरी की वजह मतदान के लिए उपयोग में लाई जाने वाली ओएमआर शीट  का देरी से आना मुख्य कारण रहा। चुनावी कार्य में लगे कुछ अफसरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इलेक्शन हो गया यही बड़ी बात है। वरना, चुनाव ड्यूटी से लेकर, वोटर लिस्ट चिपकाए जाने, पेन की व्यवस्था और बाकी कार्यों में भारी लापरवाही बरती गई। उन्होंने क्वेशचन मार्क लगाते हुए मुख्य लोगों को रेसपांसिबल ठहराते हुए कहा कि चुनाव से पहले ही ओएमआर शीट मंगवा ली जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

अंत समय तक झोंकी ताकत

इलेक्शन के लास्ट डे और शाम पांच बजे तक कैंडिडेट्स और उनके समर्थक सड़क से लेकर कैम्पस तक डटे रहे। इस दौरान जमकर नारेबाजी और कैम्पेनिंग का दौर जारी रहा। जिससे सडकें और कैम्पस प्रचार सामग्री से पटे रहे। प्रत्याशी हर एक कैंडिडेट्स से हाथ जोड़कर और पैर पकड़कर वोट मांगते नजर आए।  

आधों ने डाला वोट

इसे देर से शुरु हुई वोटिंग का असर कहें या और, कुछ मतदाता स्टूडेंट्स ने वोटिंग में कुछ खास उत्साह नहीं दिखाया। कई पोलिंग बूथ के बाहर शाम तक लम्बी लम्बी लाइनें तो लगी नजर आईं, मगर, सोर्सेस ने बताया कि वोटिंग का कुल पर्सेंटेज मात्र 50 फीसदी ही रहा। जिसमें 43 फीसदी छात्र एवं सात फीसदी छात्राएं शामिल हैं। हालांकि, रिटर्निंग आफिसर ने कुल 43 फीसदी ही वोटिंग की बात को स्वीकार किया है। जानकारों का कहना है कि तीन घंटे की देरी के चलते ज्यादातर स्टूडेंट्स वापस लौट गए.  बता दें कि एयू में कुल मतदाताओं की संख्या 21,973 थी। जिनमें 14,861 छात्र एवं 7112 छात्राएं शामिल थीं।

इन्हें प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट, जनरल सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेटरी, कल्चरल सेक्रेटरी और फैकेल्टी रिप्रजेंटेटिव की पोस्ट पर खड़े 74 उम्मीदवारों में से चुनाव करना था। मालूम हो कि वोटिंग के लिए आर्ट फैकेल्टी में 39 और वुमेन कॉलेज कैम्पस में 15 पोलिंग बूथ बनाए गए थे।

Voting है कि  PCS की परीक्षा

उधर, वोटिंग के दौरान पहली बार अपनाई गई ओएमआर शीट के जरिए वोटिंग में स्टूडेंट्स के पसीने छूट गए। कइयों ने ने मजाकिया लहजे में कहा कि वोटिंग न हुई पीसीएस की परीक्षा हो गई। बता दें कि ओएमआर शीट पर प्रत्याशी के नाम के सामने ब्लैक बाल प्वाइंट पेन से गोले को काला करके भरना था। जिसमें स्टूडेंट्स का माथा कई तरह की इन्स्ट्रेक्शन को पढ़कर चकराया रहा।  

ओएमआर शीट दिल्ली में प्रिंट करवाई गई थी। जिसे बाहर दूसरी जगह पर रखवाया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के डिसिजन की मूल कापी को स्टडी करने के चलते और ओएमआर मंगवाने में देर हुई है।  

प्रो। रामकृपाल, रिटर्निंग आफिसर एयू