इनवेस्टमेंट का होगा डायवर्सिफिकेशन
EPFO चीफ के.के.जालान ने बताया कि संस्थान बेहतर रिटर्न के लिये शेयरों जैसे जोखिम भरे इनवेस्टमेंट करेगा. उन्होंने बताया कि बेहतर रिटर्न के लिये फंड को इनवेस्टमेंट के डायवर्सिफिकेशन की जरूरत है, जिसका ज्यादा हिस्सा फिलहाल सरकारी बॉन्ड में लगा है. जालानने का कहना है कि,'जिस तरह से फंड का साइज बढ़ रही है, इस कंडीशन में और कोई विकल्प नहीं बचा है.'

मोदी सरकार का भी है प्लॉन
नरेंद्र मोदी सरकार भी चाहती है कि EPFO शेयर मार्केट में निवेश करे. EPFO के इस कदम से इंडियन शेयर मार्केट को सपोर्ट मिल सकता है. इस साल नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी सूचकांक का परफॉर्मेंस काफी बढि़या रहा है. इस सूचकांक में इस साल 26 परसेंट से भी ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है. हालांकि, EPFO की इनवेस्टमेंट कमेटी ने शेयरों की खरीद ब्लॉक कर दी है. पिछले महीने कमेटी ने फंड के 5 परसेंट हिस्से को स्टॉक मार्केट में इनवेस्ट करने का फाइनेंस मिनिस्ट्री का प्रस्ताव ठुकरा दिया था. आपको बता दें कि कमेटी ने यह भी कहा है कि इससे एंप्लॉइज की सेविंग्स के लिये जोखिम बढ़ सकता है.

70 परसेंट होता है इनवेस्ट
जालान ने यह नहीं बताया कि, वह इस विरोध से किस तरह निपटेंगे लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में बदलाव जरूरी है, जब इनफ्लेशन में गिरावट के कारण बॉन्ड यील्ड कम हो गई है. जालान ने बताया,'अगर आपके पास डेट मार्केट नहीं है, तो आप क्या करेंगे? यह सिर्फ समय की बात है. हमें बाकी विकल्पों पर विचार करना ही होगा.' फंड अपने सालाना फंड का तकरीबन 70 परसेंट यानी 700 अरब रुपये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI सिक्योरिटीज, HSBC और रिलायंस कैपिटल जैसे पोर्टफोलियो मैनेजरों के जरिये केंद्र और राज्य सरकारों के बॉन्ड में निवेश करता है.

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