मार्च तक बनेंगी वार्ड कमेटियां

वार्ड कमेटी में 10 मेंबर्स का सेलेक्शन होना है। इसमें वार्ड के मौजूदा पार्षद, पूर्व पार्षद और 2012 निकाय चुनाव में उस वार्ड से दूसरे सबसे ज्यादा वोट पाने वाले कैंडीडेट भी शामिल होंगे। वहीं कमेटी के बचे हुए 7 मेंबर्स के लिए वार्ड के सम्मानित लोगों का शामिल किया जाएगा। वार्ड कमेटी के गठन के लिए निगम की ओर से एक पॉलिसी बनाई जाएगी। जो सभी वार्डों में इन कमेटियों के गठन की रूपरेखा और गाइडलांइस तैयार करेगी। वार्ड कमेटी के लिए पॉलिसी मेकिंग का काम फरवरी की शुरुआत से होना है। इस प्रोसीजर में करीब एक महीने का समय लगने की उम्मीद है। इसके बाद मार्च तक सारी वार्ड कमेटियों का गठन कर लिया जाएगा।

डिसेंट्रलाइजेशन की जरूरत

नगर निगम भवन में बनी विकास की योजनाएं अक्सर वार्डों की जमीन पर आते आते धराशायी हो जाती हैं। वार्डों के विकास में कई बार पार्षदों की सुस्ती और निगम के अधिकारियों की लापरवाही भी रोड़ा बनती है। वार्ड कमेटी के गठन से डेवलपमेंट पॉलिसी निगम के लिहाज से सेल्फ सेंटर्ड न होकर डिसेंट्रलाइज्ड हो जाएगी। साथ ही वार्ड में डेवलपमेंट न होने पर कमेटी के सभी मेंबर्स को पŽिलक के सवालों का सामना करना होगा। वहीं वार्डों में डेवलपमेंट होने पर वहां के रेजिडेंट्स की भी जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। कमेटी पर अपने वार्ड के लोगों को टैक्स के दायरे में लाने और टैक्स अदा कराने की भी जिम्मेदारियां बढ़ेंगी। इससे निगम को काफी रेवेन्यू मिलेगा, जो डेवलेपमेंट पर खर्च किया जा सकेगा।

फंड और डेवलपमेंट पर कंट्रोल

वार्ड कमेटी के गठन से निगम की ओर से वार्ड को अलॉट होने वाले बजट और डेवलपमेंटल वर्क पर जिम्मेदारों का कंट्रोल बढ़ जाएगा। कमेटी अपने स्तर पर यह फैसला ले सकेगी कि वार्ड को मिलने वाले फंड का यूज किन विकास कार्यों में और कैसे किया जाए। इससे वार्ड में अधूरे और अनियमित विकास कार्यों को पूरा करने में हेल्प मिलेगी। साथ ही पार्षद की ओर से सिर्फ कुछ ही जगहों और लोगों के लिए विकास कराने की कंप्लेंस को खत्म किया जा सकेगा। वहीं कंस्ट्रक्शन और रेनोवेशन के कामों में निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही पर भी लगाम कसी जा सकेगी। डेवलपमेंट वक्र्स पर कमेटी की एनओसी मिलने के बाद ही ठेकेदारों को निगम की ओर से भुगतान किया जा सकेगा।

दस दिखाएंगे दम

वार्ड कमेटियों में सेलेक्ट किए गए 10 मेंबर्स पर ही अपने पूरे वार्ड की जरूरतों और समस्याओं को निगम तक सीधे पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी। साथ ही वार्ड में डेवलेपमेंट के कामों में हो रही लेटलतीफी पर जवाबदेही भी बढ़ेगी। कमेटी के मेंबर्स प्राथमिकता के आधार पर वार्ड की जरूरतों और समस्याओं पर बैठक करेंगे। इस बैठक में निगम का एक क्लर्क सभी बिदुंओं की प्रोसिडिंग कर निगम को फॉरवर्ड करेगा। हालांकि इस कमेटी के पास कोई अधिकार नहीं होंगे। लेकिन वार्ड के विकास के लिए मिले बजट को वह प्राथमिकता और जरूरत के मुताबिक डेवलेपमेंट और रेनोवेशन पर खर्च कर सकेगी। कमेटी में नए पुराने पार्षद और जिम्मेदार लोगों के होने से वार्ड के विकास से जुड़ी पॉलिसी और फैसलों में पक्षपात नहीं होगा।