-इविवि ने छह छात्रावासों में किया प्रशासनिक फेरबदल

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का हॉस्टल पढ़ाकूओं की बजाय कत्ल की वारदात से सुर्खियों में है। ऐसे वक्त में विवि प्रशासन हॉस्टल्स में केवल प्रशासनिक फेरबदल करके अपनी पीठ थपथपाने पर उतारू है। विश्वविद्यालय प्रशासन एक ही झटके में छह छात्रावासों के वार्डन और सुपरिटेंडेंट बदल दिए जाने को बड़ी कार्रवाई करके प्रचारित करने की कोशिश कर रहा है। जबकि सच का आइना कुछ और ही तस्वीर बयां करता है।

जिम्मेदारी से बचते रहे हैं जिम्मेदार

यह कोई छुपी बात नहीं है कि विवि के छात्रावासों में रहने वाले बहुतेरे अन्त:वासी ऐसे हैं जो अपने ही वार्डन और सुपरिटेंडेंट का नाम भी एक ही झटके में नहीं बता पाते। इसकी वजह हॉस्टल्स की खस्ताहाल व्यवस्था से ज्यादातर वार्डन और सुपरिटेंडेंटद्वारा दूरी बनाकर रखना है। कई ऐसे वार्डन और सुपरिटेंडेंट हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे हास्टल में आते ही नहीं। बुलाने पर बहानेबाजी करते हैं और ऐसा माहौल क्रिएट करते हैं, जिससे अक्सर आन्दोलनों की पृष्ठभूमि भी तैयार होती रही है। कई वार्डन और सुपरिटेंडेंट के बारे में यह भी बड़ा सच है कि वे व्यवस्था से इतने आजिज हैं कि हॉस्टल की जिम्मेदारी ही नहीं लेना चाहते।

इनको दी गई नई तैनाती

इविवि के रजिस्ट्रार कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार प्रोफेसर संतोष भदौरिया को जीएन झा हॉस्टल का वार्डन बनाया गया है। वहीं प्रो। शिव प्रसाद शुक्ला को सर सुंदरलाल हॉस्टल तथा प्रो। योगेन्द्र प्रताप सिंह को ताराचंद हॉस्टल का वार्डन बनाया गया है। जबकि प्रो। राकेश सिंह ताराचंद के और डॉ। संतोष कुमार सिंह सर सुंदरलाल हॉस्टल के सुपरिटेंडेंट नियुक्त किए गए हैं। राहुल पटेल तथा डॉ। विनम्र सेन को क्रमश: पीसीबी और डायमंड जुबली हॉस्टल का सुपरिटेंडेंट बनाया गया है। ट्रस्ट द्वारा संचालित हिंदू हॉस्टल के सुपरिटेंडेंट और वार्डन दोनों बदल दिए गए हैं। अमरेंद्र त्रिपाठी हिंदू हॉस्टल के वार्डन होंगे। वहीं महेंद्र तिवारी को सुपरिटेंडेंट का दायित्व सौंपा गया है। ताराचंद हॉस्टल, सर सुंदरलाल हॉस्टल और हिंदू हॉस्टल के वार्डन और सुपरिटेंडेंट दोनों बदले गए हैं।

पूर्व में हॉलैंड हॉल और अब पीसीबी हॉस्टल की घटना को विवि प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक माना है और इसी के मद्देनजर शुक्रवार को प्रशासनिक फेरबदल किया गया है। यह कार्रवाई कुलपति के आदेश पर की गई है।

-डॉ। चित्तरंजन कुमार, पीआरओ इविवि