- स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर सरकार ने शुरू की कार्रवाई

- नौ मार्च से जिला प्रशासन की टीम करेगी स्कूलों की जांच

फीगर स्पीक्स

70 बड़े स्कूलों से मांगी सरकार ने रिपोर्ट

40 प्वाइंट्स पर मांगा गया है स्पष्टीकरण

35 स्कूलों ने दिया है डीटीओ को जवाब

14 टीमों का हुआ है निरीक्षण के लिए गठन

12 मार्च तक होगी स्कूलों में सुरक्षा की जांच

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RANCHI (06 Mar) : सिटी के प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है। प्रशासन ने स्कूली बसों से लेकर स्कूल में मौजूद सुविधाओं और सुरक्षा के मानकों के पालन के मुद्दे पर जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। कमेटी छह दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट एसडीओ को सौंपेगी, जिसके बाद स्कूलों में अगर किसी प्रकार की गड़बड़ी पायी जाती है, तो उनकी मान्यता रद्द करने की अनुशंसा तक करने की तैयारी हो चुकी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बार अगर स्कूलों ने तय मापदंडों का पालन करने में जरा भी कोताही की, तो कड़ी कार्रवाई होगी। इसे लेकर प्रशासन ने 14 टीमों का गठन किया है, जो नौ मार्च से लेकर 12 मार्च तक स्कूलों का दौरा करेगी और 40 प्वाइंट्स पर स्कूल प्रबंधन से जवाब मांगेगी।

बुक लिस्ट से लेकर बस तक के मामलों की जांच

रांची की एसडीओ अंजली यादव ने स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था और स्कूल बसों में मौजूद सुविधाओं को लेकर मंगलवार को एक बैठक बुलाई। इस बैठक में जिला परिवहन पदाधिकारी नागेंद्र पासवान, कार्यपालक दंडाधिकारी सागर कुमार सहित 14 जांच टीमों के प्रभारी मौजूद थे। एसडीओ ने टीम के सदस्यों को निर्देश दिया कि 12 मार्च तक हर हाल में सभी स्कूलों की जांच पूरी कर लेनी है। जांच में सभी पहलुओं का ख्याल रखना है। अकेले स्कूल बसों से जुड़े 40 बिंदुओं पर जानकारी इकट्ठा की जानी है। इसके अलावा स्कूल में जाकर पदाधिकारी शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत लिए गए नामाकंन की अद्यतन स्थिति, स्कूलों द्वारा बुक लिस्ट कब जारी की गई है या फिर बुक लिस्ट में अगर फेरबदल हुए हैं, तो कितने वर्षो के बाद ऐसा हुआ है, इन सभी बिंदुओं पर बारीकी से जांच करेंगे।

केवल 32 स्कूलों ने दिया है जवाब

डीटीओ नागेंद्र पासवान द्वारा बताया गया कि अब तक सिर्फ 32 स्कूलों द्वारा ही स्कूल बसों से जुड़ी जानकारी मुहैया कराई गई है। कई बार स्कूलों को रिमाइंडर भेजा जा चुका है। इस पर एसडीओ अंजली यादव ने निर्देश दिया कि स्कूलों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट की जांच की जाए। इसके अलावा स्कूलों में जाकर उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट को क्रॉस चेक किया जाए।

पान-बीड़ी की दुकान नहीं होनी चाहिए

एसडीओ ने निर्देश दिया कि जांच के दौरान यह जरूर देखें कि किन-किन स्कूलों के 100 गज के दायरे में तंबाकू व सिगरेट कमी दुकान चल रही हैं। ऐसा होने पर कार्रवाई कर हर्जाना वसूलें। दो सौ रुपये का हर्जाना लगाया जाए। 12 मार्च के बाद सभी सदस्यों को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

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अधिकतर स्कूलों ने नहीं नियुक्त किया स्टाफ

सिटी के कई बड़े स्कूल ऐसे हैं, जिनमें सुरक्षा को लेकर न तो सुप्रीम कोर्ट के गाईडलाइन का पालन हो रहा है और न ही सीबीएसई के सुझावों पर अमल किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि स्कूल आते और जाते समय बच्चों की निगरानी के लिए स्कूल प्रशासन की ओर से कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति करनी चाहिए। यह तब ज्यादा जरूरी है, तब जब बच्चों की छुट्टी का समय हो, उनके खेलने का समय हो या फिर टॉयलेट जा रहे हों। इस आदेश का रांची के सिर्फ सात स्कूलों में पालन हो रहा है। शेष 63 बड़े स्कूलों में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। छोटे स्कूलों में तो गाईडलाइन का पता ही नहीं है।

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कर्मचारियों का कैरेक्टर ही पता नहीं

रांची में 630 स्कूल बसें चलती हैं। इनमें 1300 कर्मचारी कार्यरत हैं। ये कहां से आते हैं, कहां जाते हैं और इनका कैरेक्टर कैसा है, इस बारे में मुकम्मल जानकारी न तो पुलिस को दी गई है और न ही जिला प्रशासन को। तय मापदंड के अनुसार बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट, कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट और वाहनों में जीपीएस, अग्निशमन व कैमरे की व्यवस्था होनी चाहिए। अधिकतर स्कूल बसों में आज भी न तो कैमरे लगे हैं और न ही जीपीएस काम कर रहा है। यह बच्चों की सुरक्षा के साथ गंभीर स्तर का समझौता है, जिस पर स्कूल प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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स्कूल बसों को लेकर तय गाइडलाइन

- स्कूल बस के ड्राइवर का यूनिफॉर्म नीला और खलासी का खाकी होना चाहिए।

- ड्रेस के बायीं ओर स्कूल ड्राइवर का नेम प्लेट लगा होना चाहिए।

- बसों में जीपीएस लगाना अनिवार्य किया गया है।

- बसों के खुलने व रुकने पर खलासी द्वारा सीटी बजाने का प्रावधान है।

- स्कूल बसों में ओवरलोडिंग किसी कीमत पर नहीं होनी चाहिए।

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कोट

स्कूल बसों की जांच को लेकर जो बिंदू निर्धारित किये गए हैं, उनका क्रॉस वेरिफिकेशन भी किया जाएगा। स्कूलों ने जो जानकारी उपलब्ध करायी है, यदि भौतिक सत्यापन में वे गलत पाये गए, तो कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।

नागेंद्र पासवान, डीटीओ, रांची

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