क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. सप्लाई और बोरिंग होने के बावजूद मरीजों की प्यास नहीं बुझ पा रही है. ऐसे में परिजन बूंद-बूंद पानी के लिए हॉस्पिटल के चक्कर लगा रहे हैं. इसके बाद भी जब उन्हें पानी नहीं मिल रहा तो पानी खरीदकर प्यास बुझा रहे हैं. इतना ही नहीं, मंदिर के बाहर बना प्याऊ मरीजों और उनके परिजनों के लिए प्यास बुझाने का सहारा बना हुआ है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर रिम्स प्रबंधन मरीजों को पीने के लिए भी पानी क्यों नहीं उपलब्ध करा पा रहा है. जबकि सप्लाई के अलावा बोरिंग की भी सुविधा उपलब्ध है.

मंदिर के पास प्याऊ पर भीड़

हॉस्पिटल के इनडोर में पानी की किल्लत से लोग परेशान हैं. पीने के पानी के लिए परिजन हॉस्पिटल के बाहर दौड़ लगाते हैं. ऐसे में कैंपस में मंदिर के बाहर बना प्याऊ लोगों के लिए बड़ी राहत है. सुबह से लेकर शाम तक वहां पर परिजनों की लाइन लगी रहती है. आखिर पीने के लिए पानी जो चाहिए.

पिछले साल हुई तीन डीप बोरिंग

हॉस्पिटल कैंपस में जगह-जगह पर बोरिंग कराई गई हैं, ताकि हॉस्पिटल में पानी की किल्लत न हो. लेकिन मोटर से पानी नहीं चढ़ने की वजह से पानी की किल्लत हो रही है. वहीं पिछले साल तीन डीप बोरिंग भी कराई गई थी ताकि इमरजेंसी में भी पानी हॉस्पिटल में मिलता रहे. लेकिन एक साल पूरा होने के बाद भी पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है.

वाटर वेंडिंग मशीन में 24 घंटे पानी

इमरजेंसी के सामने ही केंट कंपनी की वाटर वेंडिंग मशीन लगाई गई है, जिसमें कॉइन डालने पर नार्मल और चिल्ड पानी निकलता है. यह मशीन 24 घंटे पानी देता है. जबकि वार्ड में लगे सभी वाटर कूलर जवाब दे चुके हैं. इसमें फ्री पानी मरीजों को उपलब्ध होता है. वहीं वाटर प्यूरीफायर से भी पानी के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

मिनरल वाटर की काफी डिमांड

वार्ड में पीने के पानी की दिक्कत से सभी परेशान हैं. वहीं गर्मी के कारण लोगों का गला भी सूख रहा है. ऐसे में जब कहीं पीने का पानी नहीं मिले तो मिनरल वाटर तो है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुकानों से एक दिन में दस-दस पेटी मिनरल वाटर की बिक्री हो रही है.