- दून में 150 हैंडपंप पर जल संस्थान ने लगाई मोटर, लाइनों के जरिये कर रहा वाटर सप्लाई

- क्षमता से ज्यादा पानी खींचे जाने के कारण गिर गया वाटर लेवल, कई हैंडपंप हुए बेकार

- पेयजल निगम के थे हैंडपंप, बिना परमिशन जल संस्थान ने लगाए मोटर पंप

- अब फिर 51 हैंडपंप में मोटर लगाए जाने की तैयारी, 28 दून में

देहरादून. वाटर क्राइसिस के दौरान इमरजेंसी के लिए पेयजल निगम द्वारा दून में खोदे गए हैंडपंप जल संस्थान के मोटर पंप डकार गए. जल संस्थान ने नए ट्यूबवेल खोदने के बजाय हैंडपंप में मोटर पंप लगा दिये और सीधे पाइपलाइन से कनेक्ट कर दिये. ऐसे में कुछ दिन तो पानी की किल्लत से लोग बच गए लेकिन हैंडपंप से मोटर के जरिए पानी खींचने के कारण वाटर लेवल गिर गया और अब इनका उपयोग पब्लिक नहीं कर पा रही है.

बिना परमिशन 150 हैंडपंप पर लगाए मोटर पंप

पेयजल निगम द्वारा शहरभर में हैंडपंप लगाए गए थे. इनका उपयोग पब्लिक पानी की किल्लत के दौरान आसानी से कर सकती थी. ये बेहतर काम भी कर रहे थे. इसके बाद 150 हैंडपंप पर जल संस्थान द्वारा मोटर पंप इंस्टॉल कर दिए गए और पानी मोटर के जरिए खींचा जाने लगा और इसकी सप्लाई पेयजल लाइनों से कई इलाकों को की जाने लगी. क्षमता से ज्यादा पानी खींचे जाने के कारण वाटर लेवल नीचे गिर गया. इसके लिए पेयजल निगम से परमिशन लेने की जरूरत भी जल संस्थान ने नहीं समझी.

51 हैंडपंप और डकारने की तैयारी

जल संस्थान ट्यूबवेल के खर्चे से बचने के लिए आसान तरीका अपना रहा है. हैंडपंप पर मोटर लगाने का खर्चा कम है, ऐसे में ट्यूबवेल की बजाय हैंडपंप डकारे जा रहे हैं. अब राज्यभर में 51 और हैंडपंप पर जल संस्थान मोटर इंस्टॉल करने की तैयारी. इनमें दून के 28 हैंडपंप शामिल हैं.

44 लाख में लगेंगे मोटर पंप

राज्यभर के 51 और हैंडपंप में मोटर पंप इंस्टॉल करने की तैयारी पूरी हो चुकी है. इसका एस्टीमेट तैयार कर लिया गया है. बताया जा रहा है कि 51 हैंडपंप पर मोटर पंप लगाने के लिए 44 लाख रुपए खर्च होंगे.

गिर गया वाटर लेवल

क्षमता से ज्यादा पानी खींचे जाने के कारण हैंडपंप तो बेकार हो ही रहे हैं, वाटर लेवल भी गिर रहा है. इसका असर केवल हैंडपंप तक सीमित नहीं है, इनके आसपास लगे ट्यूबवेल भी प्रभावित हो रहे हैं. वाटर लेवल गिरने के कारण ट्यूबवेल का वाटर डिस्चार्ज भी गिर रहा है.

यहां लगी हैं हैंडपंप पर मोटर

कौलागढ़, बाजावाला, मोहनपुर, स्मिथनगर, गणेशपुर, नहर वाली सड़क, राघव विहार, माजरी माफी, मोहकमपुर

पानी की क्वालिटी पर सवाल

हैंडपंप्स से मोटर से पाइपलाइनों के जरिये सप्लाई किए जा रहे पानी की क्वालिटी पर भी सवाल उठ रहे हैं. इस पानी का क्लोरीनेशन नहीं किया जा रहा, न ही इसकी गुणवत्ता की जांच हो रही है. ऐसे में सीधे पानी घरों तक पहुंच रहा है, जिसे लोग पीने के उपयोग में ले रहे हैं. अगर कोई पानी की क्वालिटी को लेकर जल संस्थान से शिकायत करता है, तो संस्थान हैंडपंप पेयजल निगम का होने का हवाला देता है और वहीं शिकायत करने को कहता है.

खराब हैंडपंप हादसे का सबब

पेयजल निगम द्वारा लगाए गए कई हैंडपंप वाटर लेवल गिरने के कारण बेकार हो चुके हैं, लेकिन इन्हें हटाया नहीं जा रहा. कई हैंडपंप सड़कों के किनारे हादसों का सबब बने हुए हैं. माजरा, चकराता रोड, कारगी रोड सहित कई इलाकों में ऐसे खतरे सड़क पर खड़े हैं. अक्सर इनसे वाहन टकराकर लोग चोटिल हुए हैं. स्थानीय लोगों द्वारा इन्हें हटाए जाने की मांग की गई है.

जल संस्थान की ओर से जिले में 150 और सिटी में 30 हैंडपंपों पर मोटर पंप डाला गया है. लेकिन इसके लिए पेयजल निगम से कोई परमिशन नहीं ली गई है. यदि हैंडपंप में खराबी आती है तो निगम इसकी मरम्मत के लिए जल संस्थान से खर्चा वसूलता है.

- जीतेंद्र देव, अधिशासी अभियंता, पेयजल निगम