- सैकड़ों पार्क, नगर निगम ने दो दर्जन जल संचयन प्लांट लगाए

- प्लांट लगाने में केवल तीन से पांच हजार का आता है खर्च

LUCKNOW: पानी की बर्बादी रोकने के लिए नगर निगम और जिला प्रशासन ने सख्त नियम-कानून बना दिए। ये नियम कितना फॉलो हो रहे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पानी की बर्बादी करने वालों पर अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। जल संचयन के नाम पर महकमा खुद खिलवाड़ कर रहा है। खुद नगर निगम ने दो दर्जन जल संचयन प्लांट लगाए, लेकिन उनकी सुध लेने की महकमे के पास फुर्सत ही नहीं है।

पार्क सैकड़ों और प्लांट दो दर्जन

लखनऊ नगर निगम के सैकड़ों पार्क हैं और विकसित पार्को की संख्या बढ़ती जा रही है। प्राइवेट कंपनी भी पार्क का सौंदर्यीकरण कर रही है। इनमें से मात्र दो दर्जन पार्क ही हैं, जहां जल संचयन प्लांट बनाए गए हैं। और, जहां प्लांट लगे हैं वहां देखभाल करने वाला कोई नहीं है।

कहीं पत्थर टूटे, कहीं कचरा भरा

पार्को में वर्षा जल संचयन के लिए रीचार्ज पिट बनाए गए हैं। जिनके ऊपर पत्थर रखे हुए हैं। कई जगह तो पत्थर टूट चुके हैं और इनके अंदर कूड़ा कचरा भरा है। लोगों का कहना है कि कभी सफाई नहीं की गई, इन्हें केवल दिखाने के लिए लगा दिया गया। अगर इनकी सफाई हो, तो बरसात में कुछ पानी तो जमीन में जाएगा। वर्ष 2011-12 में जल विभाग ने नगर निगम पार्को में वर्षा जल संचयन के लिए प्रयास किया था। यहां रीचार्ज वेल, रीचार्ज गैलरी, रीचार्ज पिट बनाई गई थी। देखरेख ना होने की वजह से ये बेकार हो गए हैं।

प्राइवेट मकानों में बनाये जा रहे प्लांट

गोमती नगर एरिया में दो महीने में तीन मकानों में जल संचयन प्लांट बनाया गया। जिससे घरों से निकलने वाला पानी पाइप के प्लांट में जाता है। जिससे पानी की बर्बादी भी रोकी जा रही है और जल संचयन भी हो रहा है।

कई जल संचयन प्लांट बनाए हैं। आशियाना क्षेत्र में दो प्लांट और बनाये जा रहे हैं। लोग जागरूक हो रहे हैं और घरों में प्लांट लगा रहे हैं। नगर निगम प्लांट लगाने वालों को हाउस टैक्स में छूट भी दे रहा है।

डॉ। दिनेश शर्मा, मेयर

1684 पार्क

445 विकसित पार्क

24 पार्को में लगा प्लांट

110 वार्ड के लिए दिए थे 5-5 लाख