- पानी की बर्बादी के चलते हर साल गिर रहा है जल स्तर

- कार वॉश के नाम पर बर्बाद किया जा रहा लाखों लीटर पानी

- घरों में मुफ्त बोरिंग होने से भी धड़ल्ले से हो रही पानी की बर्बादी

<- पानी की बर्बादी के चलते हर साल गिर रहा है जल स्तर

- कार वॉश के नाम पर बर्बाद किया जा रहा लाखों लीटर पानी

- घरों में मुफ्त बोरिंग होने से भी धड़ल्ले से हो रही पानी की बर्बादी

GORAKHPUR:

GORAKHPUR: जिले में पानी का स्तर साल दर साल गिरता जा रहा है। आने वाले समय में लोगों को पानी की भीषण किल्लत का सामना करना पड़ेगा। कई इलाकों में तो लोगों को पीने के पानी के लिए भी तरसना पड़ सकता है। इस जानकारी के बाद भी लोग धड़ल्ले से पानी की बर्बादी कर रहे हैं। हालांकि अगर पानी के संचयन या रिसाइकिलिंग की व्यवस्था की जाए तो कहीं हद तक बिगड़ी हुई स्थिति को कंट्रोल किया जा सकता है।

बोरिंग पर नहीं है कोई टैक्स

गोरखपुर शहर में खास बात यह है कि यहां बोरिंग पर को शुल्क नहीं है। इसका नतीजा है कि लोग अपनी जरूरत के मुताबिक धड़ल्ले से बोरिंग कराकर मोटर के जरिए धड़ल्ले से पानी की बर्बादी कर रहे हैं। ऐसे में अगर वाटर टैक्स की बात करें तो नगर निगम के आकड़ों के मुताबिक शहर में महज 8भ् हजार घर में वाटर टैक्स के दायरे में आते हैं, जोकि हाउस टैक्स के साथ नगर निगम को वाटर टैक्स चुका रहे हैं।

मोटर का उठा रहे फायदा

जलकल की धीमी सप्लाई होने की वजह से अब शहरवासियों की जिंदगी बोरिंग पर ही निर्भर हो चुकी है। इसकी एक वजह से भी है कि बोरिंग में जब चाहे मोटर चलाकर पानी मिल सकता है। लेकिन जलकल की सप्लाई में निर्धारित समय पर ही पानी की सप्लाई की जाती है। इस वजह से लोग बोरिंग में मोटर का इस्तेमाल करके इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं। लेकिन शायद यह कोई नहीं सोचता कि पानी की बर्बादी से एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब यहां भी ट्रेनों में भरकर पानी की सप्लाई की जाएगी।

ऐस वेस्ट हो रहा पानी

सिटी में कार वॉश और टू व्हीलर की वॉशिंग की भ्00 दुकानें है। जिसमें से 80 प्रतिशत अवैध रुप से बोरिंग कर चलाई जा रही है। वॉशिंग के नाम पर हर रोज लाखों लीटर पानी वेस्ट किया जा रहा है। वॉशिंग पिट में न तो रिसाइक्लिंग की व्यवस्था है और न ही वहां पानी को संचयन किया जाता है। इसके अलावा भरपूर पानी मिलने से घरों में भी पानी को धड़ल्ले से वेस्ट किया जा रहा है। पानी पर किसी तरह का कोई अंकुश नहीं है। चूंकि यहां बोरिंग पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होता। इस वजह से बोरिंग की भी संख्या लगातार बढ़ी जा रही है।

प्रतिदिन ख्00 लीटर पानी प्रति व्यक्ति

गोरखपुर शहर की जनसंख्या करीब क्फ् लाख है। जहां हर रोज प्रति व्यक्ति पानी की खपत का मानक ख्00 लीटर है। हर वर्ष ग्राउंड वाटर लेवल घट रहा है। नगर निगम के आकड़ों के मुताबिक क्ब्भ् मिलीयन लीटर लीटर पानी की जरूरत प्रतिदिन होती है। क्ब्भ् मिलियन लीटर पानी के एवज में नगर निगम क्0फ् मिलियन लीटर की सप्लाई कर रहा है। करीब ब्ख् मिलियन लीटर पानी की कमी है। इतने पानी की डिमांड दो तरीके से पूरी की जाती है। पहला जलकल विभाग और दूसरा ग्राउंड वाटर रिसोर्स के जरिए। शहर में करीब फ्0 प्रतिशत लोग भी जलकल से सप्लाई नहीं लेते। जबकि वहीं, 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग ग्राउंड वाटर सप्लाई से अपनी जरूरत पूरी करते हैं।

पानी का इस्तेमाल कब कैसे और क्यों?

- एक बाल्टी में औसतन फ्0- फ्भ् लीटर पानी आता है।

- हर रोज म् बाल्टी पानी की जरूरत होती है प्रति व्यक्ति

- दो बाल्टी पानी कपड़े धोने में होता है यूज

- डेढ़ बाल्टी पानी नहाने पर किया जाता है यूज

- आधी बाल्टी पानी शौच के लिए किया जाता है यूज

- एक से डेढ़ बाल्टी पानी खाना बनाने और पीने के लिए यूज किया जाता है

गार्डन में यूज करे किचन का पानी

आप अपने घर में किचन में यूज करने वाले पानी का वेस्ट करने की जगह उसे अपने गार्डन या फिर पौधों के लिए यूज कर सकते हैं। ताकि अतिरिक्त पानी का संचयन किया जा सके। साथ ही कपड़े धुलने में कम से कम पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। कोशिश करें कि उस पानी का भी कहीं इस्तेमाल कर लिया जाए। घर से कहीं बाहर जाने से पहले बाथरूम और किचन के नल को जरूर चेक कर लें।

पानी की कीमत

अगली जनरेशन को पानी कि किल्लत ना हो इसके लिए हमें आपको अभी से ध्यान देने की जरूरत है। कई इलाके अक्सर इसलिए जलमग्न रहते हैं। क्योंकि वहां वॉटर टैंक फुल होने के बाद ट्यूबवेल मशीन को बंद करने वाला कोई नहीं होता। वहीं कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां पानी के लिए सुबह से ही लाइन लग जाती है। ऐसे में वॉटर वेस्टेज को रोकने की जरूरत है। पानी की बर्बादी पर लगाम लगाएं और व्यर्थ का पानी बहने से बचाने के लिए संकल्प लें।