-भैरवघाट पंपिंग स्टेशन से गंगा बैराज के बीच डाली जा रही है 1500 एमएम की वाटर लाइन का काम एनक्रोचमेंट के चलते 6 महीने से रुका

-बस्ती के दायरे में आ रही 160 मीटर लाइन, मुआवजे को लेकर स्थानीय लोग अड़े, लाइन पड़ने से गंगा से पानी मिलने में नहीं आती प्रॉब्लम

KANPUR: इस गर्मी में भी कानपुराइट्स की प्यास नहीं बुझेगी। उन्हें भारी वाटर क्राइसिस से जूझना पड़ेगा। जल निगम की लापरवाही का खामियाजा लाखों कानपुराइट्स भुगतेंगे। दरअसल, भैरवघाट पंपिंग स्टेशन से गंगा बैराज तक 1500 एमएम की वॉटर लाइन डाली जा रही है। इस वाटर लाइन के पड़ने के बाद गर्मियों में होने वाली पानी की किल्लत खत्म हो जाती। लेकिन, प्रोजेक्ट बनाते समय जल निगम अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया कि बीच में बस्ती भी है। अब इसे अतिक्रमण कहकर ऑफिसर्स अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं और अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन से हेल्प मांग रहे हैं। इसी वजह से महीनों से लाइन डालने का काम ठप पड़ा है।

वाटर क्राइसिस हाे जाती दूर

इस वाटर लाइन के पड़ने के बाद गर्मियों में गंगा पर बंधा बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बंधा बनाने के खर्च में जल निगम को हर साल 1 से 1.50 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। अब लगता है इस बार भी गंगा में बंधा बनाना ही पड़ेगी, क्योंकि अभी तक सिर्फ लाइन डालने का 60 परसेंट काम ही पूरा हो पाया है। बस्ती की वजह से 160 मीटर लाइन डाली ही नहीं गई है। पिछले 6 महीने से इसका काम बंद पड़ा है। जबकि 31 दिसंबर 2019 तक काम पूरा होने की लास्ट डेट थी।

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100 से ज्यादा घर

जल निगम, बैराज इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर एनके जौहरी के मुताबिक परमिया तक पाइप लाइन डालकर टेस्टिंग भी की जा चुकी है। लेकिन 160 मीटर तक स्थानीय लोगों ने अवैध रूप से अमरूद के पेड़ लगा दिए हैं। अब वह 3,000 रुपए प्रति पेड़ के हिसाब से मुआवजा मांग रहे हैं। इसकी वजह से स्थानीय लोगों ने काम रोक दिया है। वहीं अवैध बस्ती की वजह से भी पाइप लाइन का एलाइनमेंट नहीं हो पा रहा है। लाइन डालने की वजह से 100 से ज्यादा घर जद में आ रहे हैं।

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नहीं पड़ेगी पंपिंग की जरूरत

लाइन डालने के बाद गंगा बैराज में वाटर सप्लाई के लिए पंप लगाने की जरूरत नहीं होगी। बैराज पर 113 मीटर की गहराई में लाइन डाली जाएगी, इससे पानी खुद ही भैरवघाट पंपिंग स्टेशन तक पहुंच जाएगा। वहीं एग्रीमेंट के मुताबिक गंगा बैराज से 1600 एमएलडी पानी लिया जा सकता है। इस लाइन की वजह से रोज 200 एमएलडी वाटर सप्लाई हो सकेगी।

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लाइन डालने के 2 ऑप्शन

1. बस्ती में 4 से 5 मीटर जगह खोद कर लाइन डाल दी जाए, इसमें सिर्फ 40 से 50 मकान तोड़ने पड़ेंगे।

2. जमीन के अंदर ट्रेंचलेस खुदाई कर वाटर लाइन डाल दी जाए, इसमें योजना का खर्च 1 करोड़ रुपए तक बढ़ जाएगा।

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ये होगा फायदा

-गर्मियों में गंगा पर बंधा बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

-गंगा बैराज से पानी मिलने पर साफ पानी मिलेगा।

-पानी की किल्लत पूरी तरह से दूर हो जाएगी।

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एक नजर में प्रोजेक्ट

-8 करोड़ से प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना है

-1500 एमएम की पाइप लाइन डाली जा रही है

-1900 मीटर लाइन गंगा बैराज से भैरवघाट तक डाली जाएगी

-1 फरवरी से शुरू हुआ वाटर लाइन डालने का कार्य

-6 महीने से बस्ती की वजह से रुका है प्रोजेक्ट

-200 एमएलएडी वाटर सप्लाई शहर को मिल सकेगी

-1.50 करोड़ रुपए हर साल जल निगम को होगी बचत

- 31 दिसंबर 2019 में पूरा किया जाना था प्रोजेक्ट

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नगर निगम को कई बार अतिक्रमण हटवाने के लिए लिखा जा चुका है। परमिया तक लाइन की टेस्टिंग भी की जा चुकी है। अतिक्रमण की जद में 100 मकान आ रहे हैं। इन्हें हटवाना आवश्यक है।

-एनके जौहरी, प्रोजेक्ट मैनेजर, बैराज इकाई, जल निगम।