- नगर निगम जल निकासी की समस्या से निपटने के लिए कर रहा हवाई दावे

- सिटी में कई नाले और 3 से अधिक संपवेल केवल कागजों में

- अगर यह योजनाएं बन जाती तो शायद सिटी को 20 प्रतिशत एरिया को मिलती राहत

GORAKHPUR: मानसून आने वाला है, गोरखपुरराइट्स बारिश का इंतजार भी कर रहे हैं लेकिन सिटी के करीब साठ मोहल्लों के लोगो की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि बारिश होते ही इन मोहल्लों के लोगों का जीवन नरक हो जाएगा। हर वर्ष की तरह इस साल भी जलजमाव से निपटने के लिए तैयार नगर निगम तैयार है लेकिन मौके पर उसकी तैयारी आधी-अधूरी ही साबित होने वाली है.नगर निगम ने पिछले कुछ सालों में जल भराव की समस्या से निपटने के लिए कुछ प्लान बनाया था लेकिन लापरवाही के कारण उनमें से एक भी पूरा नहीं हो पाया है। अगर ये काम पूरे हो गए होते तो सिटी के लगभग 20 प्रतिशत एरिया जल जमाव से मुक्त हो जाता।

कागजी दावों में फंसे संपवेल

स्थान- लालडिग्गी

प्रस्ताव पास- 2013

नहीं बना तो क्या होगा-

लालडिग्गी पर नाला बना हुआ है। यह नाला गीता प्रेस के पीछे, साहबगंज मंडी, बसंतपुर, मिर्जापुर और खुनीपुर एरिया का पानी निकालता है। बरसात के समय राप्ती नदी में बाढ़ आने के कारण यह नाला बंद हो जाता है। जिसके कारण इस एरिया का पानी उल्टा रेती चौक के नाला से निकलने लगता है। उल्टा पानी बहने के कारण इन एरिया में एक दिन की बारिश का पानी 3 दिन में निकलता है। इसी जल जमाव से निजात दिलाने के लिए लालडिग्गी के पास 2013 में संपवेल का प्रस्ताव बना। नगर निगम कार्यकारिणी और बोर्ड ने स्वीकृति भी दे दी, लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हो सका।

प्रस्ताव बनाने के बाद शुरू हुई जमीन की तलाश

स्थान- रसूलपुर

प्रस्ताव पास- 2013

नहीं बना तो क्या होगा-

2012 में रसूलपुर में भारी जल जमाव का सामना करना पड़ा था। इस एरिए में रहने वाली करीब 5 हजार पब्लिक पलायन के लिए मजबूर हो गई। इसके अलावा सूरजकुंड, अधियारीबाग में भारी जल जमाव का सामना करना पड़ा। इसको देखते हुए 2013 में नगर निगम कार्यकारिणी और बोर्ड ने रसूलपुर में एक संपवेल का प्रस्ताव बनाया। प्रस्ताव बने दो साल हो गए, लेकिन अभी तक संपवेल का नींव तक नहीं पड़ी।

यहां तो केवल कागज में है प्रस्ताव

स्थान- विशुनपुरवां

प्रस्ताव पास- 2015

नहीं बना तो क्या होगा-

कूड़ाघाट, नंदा नगर और सिंघाडिया एरिया का पानी निकालने के लिए 2010 में एक नाले का प्रस्ताव बना अभी नाला आधा ही बन पाया था कि विवाद में फंस गया और काम बंद हो गया। जिसके कारण नंदानगर, सिंघाडिया, गन्ना विकास संस्थान के पीछे, विशुनपुरवां एरिया में पूरे साल जल जमाव बना रहता है। अगर यह संपवेल बन जाता तो इन एरिया के लोगों को लाभ मिलता। संपवेल के लिए अभी जमीन की तलाश हो रही है।

कागज में कहीं धरी न रह जाए योजना

स्थान- नकहा क्रासिंग से लच्छीपुर तक

प्रस्ताव पास- 2014

नहीं बना तो क्या होगा-

विकास नगर बरगदवां में रेलवे लाइन के किनारे के पानी को निकालने के लिए 2014 में नकहा क्रासिंग से लेकर लच्छीपुर तक नाले का प्रस्ताव बना। प्रस्ताव बने एक साल हो गए, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। जिसके कारण सबसे अधिक परेशानी विस्तार नगर पूर्वी और नकहा क्रासिंग के आसपास के लोगों को जल जमाव से होगी।

यहां का नाले को हकीकत बनने का इंतजार

स्थान- जटाशंकर से रामलाली मैदान तक

प्रस्ताव पास- 2014

नहीं बना तो क्या होगा-

बारिश होते ही जटांशकर चौराहे का पानी का सड़क पर जमा हो जाता है। स्थिति यह होती है कि यहां का पानी निकालने के लिए नगर निगम को पूरे बरसात पंपिग सेट लगाना पड़ जाता है। इस जल जमाव से निपटने के लिए नगर निगम ने एक साल पहले 100 मीटर लंबे नाले का प्रस्ताव पास किया, नगर निगम का यह प्रस्ताव आज तक केवल कागजों में ही है।

बाहरी एरिया होने से नहीं देते ध्यान

स्थान- लीलहवां गांव के रामनिवास के घर से मौर्या के घर तक

प्रस्ताव पास- जनवरी 2015

नहीं बना तो क्या होगा-

वार्ड नं 15 शिवपुर सहबाजंग नगर निगम का बाहरी वार्ड है। इस वार्ड के जल जमाव से सबसे अधिक त्रस्त लीलहवां गांव में एक नाला बनाने का प्रस्ताव सात माह पहले बना। इस नाने के बनने से लीलहवां गांव के साथ ही साथ मानस चौराहा और चौराहे के पास के मोहल्लों को जल जमाव से मुक्ति मिल जाती लेकिन अभी तक इस नाले की नींव तक नहीं पड़ी है।