- तारामंडल में नाला जाम रहने के चलते बरसात में घरों में कैद हो जाती पब्लिक

-10 करोड़ में बनना था नया नाला, वीसी चेंज होते ही भूल गए जिम्मेदार

GORAKHPUR: शहर बढ़ता जा रहा है और इसे हाईटेक बनाने के लिए कई नए प्रोजेक्ट भी शासन द्वारा पास किए जा रहे हैं। इसके बाद भी बरसात में कॉलोनियों में पानी लगने की गोरखपुर की समस्या अभी तक बरकरार है। इस प्रॉब्लम को दूर करने में जिम्मेदार फेल रहे हैं। अब तारामंडल एरिया का ही हाल देख लिजिए। पॉश कॉलोनी होने के बाद भी हर साल बरसात में यहां की सड़कें डूब जाती हैं। हालत ये हो जाती है कि यहां घरों में भी पानी घुस जाता है। जिससे लोग अपने-अपने घरों में कैद होकर रह जाते हैं। पानी लगने का कारण यहां का पुराना नाला है जिसके अगल-बगल अब घर बन गए हैं। जिसकी वजह से इस नाले की कभी सफाई भी नहीं हो पाती है और जब बरसात होती है तो ये नाला ओवरफ्लो होकर सड़कों पर आ जाता है। जिससे करीब 3 से 4 लाख लोग प्रभावित होते हैं।

घरों में कैद हो गए लोग

तारामंडल एरिया का हाल शनिवार को और खराब हो गया। शुक्रवार देर रात हुई बारिश के बाद इस एरिया की दर्जन भर कॉलोनियां पानी में डूब गईं। कई घरों में पानी तक घुस गया। पूरे दिन यहां के लोग घर का सामान इधर से उधर करते रहे। वहीं कई लोगों के घर खड़ी गाडि़यों में भी पानी घुस गया। इतना ही नहीं यहां सड़कों पर घुटने तक पानी लग जाने के कारण कॉलोनीवासी घरों में कैद रहे।

इन कॉलोनियों में भरा पानी

तारामंडल एरिया के सिद्धार्थ नगर कॉलोनी, आजाद नगर कॉलोनी, भरवलिया, सरस्वतीपुरम, सिद्धार्थ इंक्लेव बुद्ध विहार के सभी फेज में सड़कों पर पानी भरा रहा। इसको निकालने के लिए जीडीए के जिम्मेदार भी जरूरी मशीनों को लगवाए हुए थे।

नाले के दोनों तरफ बन गए घर

तारामंडल एरिया के इस पुराने नाले से लाखों घर जुड़े हुए हैं। जब नाला बना था तब यहां पर घर बहुत कम हुआ करते थे। मौजूदा समय में हालत ये है कि नाले के दोनों तरफ घर बन गए हैं। जिसके कारण कई साल से इस नाले की सफाई ही नहीं हो पाई है। इस कारण हल्की बरसात में ही ये नाला ओवरफ्लो होकर बहने लगता है।

10 करोड़ से बनना था नया नाला

कॉलोनीवासियों ने बताया कि दो साल पहले इस प्रॉब्लम को देखते हुए जीडीए प्रशासन ने यहां नया नाला बनाने का प्रस्ताव बनाया था। जिसे बनाने के लिए 10 करोड़ का खर्च सामने आ रहा था। इसे पूरा करने के लिए पुराने नाले को पाटकर जिनके घरों से ये सटा था उन्हें बेचने की स्कीम बनी थी और इसी पैसे से नया नाला बनाना था। लेकिन किसी कारणवश ये नहीं हो पाया।

कोट्स

हर साल यही प्रॉब्लम झेलनी पड़ती है। इसके बाद भी इस परेशानी को जीडीए दूर नहीं कर रहा है।

- प्रीति त्रिपाठी

घरों में भी गंदा पानी चला जाता है। बरसात में तो यहां की बहुत ही खराब स्थिति हो जाती है।

प्रतिभा दूबे

घर से निकलने के बाद सड़कों पर घुटनेभर पानी से होकर निकलना पड़ता है। मजबूरी है तो घर से निकलना तो पड़ेगा ही।

- पूनम

एक बार उम्मीद जगी थी कि अब यहां पर नया नाला बन जाएगा लेकिन सपना दिखाकर जीडीए भूल गया।

रजनीश

बच्चों को स्कूल ले जाने से लेकर और भी काम रहते हैं। जो पानी लगने की वजह से प्रभावित हो रहे हैं।

नन्हे राय

कई साल से ये प्रॉब्लम है इसके बाद भी जीडीए इसे ठीक नहीं करा रहा है। जिससे बीमारियों का भी खतरा है।

ओमवीर यादव

कई साल बीत गए लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। केवल आश्वावासन मिलता है, काम नहीं होता है।

आलोक कुमार

वर्जन

इस नाले को ठीक कराने के लिए बात चल रही है। बहुत जल्द इसे दुरुस्त कराकर दूसरी तरफ जो नया नाला बन रहा है उसमें मिला लिया जाएगा।

संजय सिंह, चीफ इंजीनियर, जीडीए