- एक्स डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने संवैधानिक संकट केलिए नीतीश को जिम्मेवार कहा

- कहा कि बीजेपी का नाम बेवजह घसीटा जा रहा

PATNA : एक्स सीएम नीतीश कुमार की पदलिप्सा के कारण आज बिहार में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है। सत्तारूढ़ जेडीयू में मची कुर्सी की लड़ाई सड़कों पर लड़ी जा रही है। जेडीयू अपनी ही पार्टी के महादलित नेता और सीएम जीतन राम मांझी को लगातार अपमानित करने के बाद अब उन्हें हटाने के लिए किसी भी हद तक जाने को आमादा है। इस अंदरूनी कलह में बीजेपी का नाम बेवजह घसीटा जा रहा है। ये कहा है एक्स डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने नैतिकता के नाम पर सीएम पद छोड़ा था, लेकिन उन्होंने मांझी को कभी आत्मसम्मान के साथ काम करने नहीं दिया। वे मुख्यमंत्री से अपनी पसंद की ट्रांसफर-पोस्टिंग कराना चाहते थे। जब मांझी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और नीतीश कुमार के करीबी प्रधान सचिवों के तबादले हो गए, तब पार्टी के प्रवक्ताओं से बयान दिलवा कर सीएम को अपमानित किया जाने लगा। सारा झगड़ा करोड़ों रुपये के तबादला उद्योग के हाथ से निकलने की रंजिश का परिणाम है। इसके पीछे न कोई नैतिकता है, न कोई सिद्धांत।

मुख्यमंत्री मांझी आठ महीने में ही नीतीश कुमार को भारी लगने लगे। नीतीश कुमार की दखलअंदाजी के कारण मांझी सरकार फैसले लेने में गलती करती रही, लेकिन नीतीश समर्थक दोष मांझी पर मढ़ते रहे। मांझी को हटाने की हठधर्मी के खिलाफ आज बिहार में सैकड़ों स्थान पर दलित समुदाय के लोग प्रर्दशन कर रहे हैं। नीतीश बताएं कि इस तनाव के लिए जिम्मेदार कौन है.?

नीतीश कुमार ने जब बीजेपी से गठबंधन तोड़कर जनादेश का अपमान किया था, तब भी कोई नैतिकता नहीं थी। वे बतायें कि जिस लालू प्रसाद को उन्होंने जंगलराज के लिए जिम्मेदार ठहराया था और जिनके खिलाफ ख्0 साल तक चुनाव लड़ते रहे, उसी लालू प्रसाद के गोड़ पर गिरने में कौन सी नैतिकता थी.? आठ महीने में ही वे सत्ता के लिए फिर बेचैन हो गए हैं। अगर उनके पास बहुमत है, तो उन्हें राज्यपाल के फैसले का इंतजार करना चाहिए। बहुमत का दावा सड़क पर नहीं, सदन में ही सिद्ध होता है। नीतीश कुमार को संविधान की व्यवस्था और मर्यादा का पालन करना चाहिए।