शांतिपूर्ण विश्व के सांझे विकास की बात की
संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में शुक्रवार को 193 सदस्य देशों के नेताओं के बीच सतत विकास सम्मेलन में मोदी ने अपना भाषण हिंदी में देते हुए कहा, ‘सतत विकास सभी देशों की साझा जिम्मेदारी है। किसी भी देश को चुनौतियों से बचने की छूट नहीं है। सम्मेलन के मुख्य एजेंडे गरीबी उन्मूलन पर बल देते हुए उन्होंने कहा, ‘यह ख़ुशी की बात है कि हम सब गरीबी से मुक्त विश्व का सपना देख रहे हैं। अगर हम सब का साझा संकल्प है कि विश्व शांतिपूर्ण हो, व्यवस्था न्यायपूर्ण हो और विकास समग्र हो तो गरीबी के रहते यह कभी भी संभव नहीं होगा। इसलिए गरीबी को मिटाना यह हम सब का पवित्र दायित्व है।’ उन्होंने कहा कि सबके लिए आवास, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ और स्वच्छता हमारी प्राथमिकता हैं। ये सभी एक गरिमामय जीवन के लिए अनिवार्य हैं। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक ठोस योजना और एक निश्चित समय सीमा तय की गई है। महिला सशक्तिकरण हमारे विकास कार्यक्रमों का एक महत्वपूर्ण अंग है। जिसमे हमने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ इसे घर-घर का मंत्र बना दिया है। हम अपने खेतों को अधिक उपजाऊ तथा बाजार से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ बना रहे हैं।
जहां धरती को मां कहते हैं उस संस्कृसति से आया हूं
मोदी ने कहा कि इस बार महासभा में स्वीकृत सतत विकास लक्ष्य : 2030 के महत्वाकांक्षी विजन को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के विषय में परिपक्व होती सोच का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करते हुए अब ‘क्लाइमेट जस्टिस’ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगले सात साल में भारत के अक्षय ऊर्जा से 175 गीगा वॉट बिजली बनाने का भी दावा किया। उन्होंने कहा कि समृद्धि की ओर जाने के मार्ग पर हम कटिबद्ध हैं लेकिन हम हमारी परंपरा और संस्कृति से जुड़े हैं। मैं उस संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता हूं जहां धरती को मां कहते है और मानते हैं। भारतीय परंपरा में पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखा जाता है।
सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे का जिक्र
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