देश की नंबर एक महिला आर्चर दीपिका ने रखी अपनी मन की बात

 कहा देश में नहीं है आर्चरी खिलाडि़यों के लिए बेहतर सुविधाएं

नहीं दिया जाता है डायट और फिटनेस पर ध्यान

Meertut : देश के लिए व‌र्ल्ड चैंपियनशिप, व‌र्ल्ड कप, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स में कई पदक देने वाली देश की ओलंपिक में पदक दिलाने वाली नई उम्मीद दीपिका कुमारी का कहना है कि हम मेहनत करते हैं। मेडल लेकर आते हैं फिर भी हमें उतना एक्सपोजर नहीं मिल पाता जितना साइना नेहवाल और सानिया मिर्जा को मिलता है। वहीं देश में आर्चरी को कम तवज्जो और सुविधाएं न होने को लेकर खुलकर बात की।

 

देश में दुनिया के सबसे बेहतर आर्चर्स होने बाद भी ओलंपिक में कोई मेडल नहीं क्या कारण हैं?

हम बहुत आसानी से इस बात को कह देते हैं, लेकिन एक खिलाड़ी के अलावा इसे कोई नहीं महसूस कर सकता कि 10-10 घंटे मेहनत करने के बाद भी हम मेडल नहीं ले पाते हैं। हमें इस बात का सबसे ज्यादा दुख है।

 

रियो ओलंपिक में देश आर्चरी में मेडल की उम्मीद करें?

हम काफी मेहनत कर सकते हैं और कर भी रहे हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर मैं सिर्फ इतना भरोसा दिला सकते हैं कि हम अपना बेस्ट परफॉर्मेस देंगे।

 

आप ओलंपिक में सबसे बड़ा कांपीटीटर किसे मानती हैं?

विश्व में कोरिया की टीम सबसे बेहतरी टीम है। हर बार उन्हीं से हमें सबसे ज्यादा टक्कर मिलती है। उनके तीरंदाज टेक्निकली और फिजीकली साउंड हैं।

 

आर्चरी में डायट और फिटनेस की क्या इंपोर्टैस है?

सभी को यही लगता है कि आर्चरी सिर्फ खड़े होकर खेला जाता है। कांसनट्रेशन का गेम है। प्रोपर डाइट ओर फिटनेस भी काफी जरूरी है। डाइट पूरी नहीं होगी तो पैर कमजोर रहेंगे। वहीं फिटनेस भी काफी जरूरी है। लगातार खड़े रहकर आर्चरी करने से बैक और शोल्डर में प्रॉब्लम होने लगती है।

 

देश को विदेशी कोच की कमी तो नहीं खल रही?

हमारे देश में काफी अच्छे कोच हैं। कमी है सिर्फ नई टेक्नोलॉजी और बेहतर प्लानिंग की। अगर हमारे कोच विदेशों में ट्रेनिंग लेकर आएं और यहां के लोगों को सिखाएं तो इंडियन आर्चरी में काफी सुधार आ सकता है।

 

विदेश और यहां की आर्चरी में कितना डिफ्रेंस है?

बहुत ज्यादा डिफ्रेंस है। वहां छोटे से बच्चे को ही सिखाना शुरू कर दिया जाता है। उसकी फिटनेस और डाइट का प्रॉपर ध्यान दिया जाता है। उन्हें बाहर के खिलाडि़यों पर रिसर्च कराई जाती है। जब हम बाहर जाते हैं तो विदेशी प्लेयर्स की एवरेज एज 15 साल के आसपास होती है, जबकि यहां काफी है। यहां खिलाडि़यों की डाइट और फिटनेस पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है।

 

आप भी सानिया और साइना जैसे एक्सपोजर की उम्मीद करती हैं?

बिल्कुल जब देश हमसे उम्मीद करता है तो हमें भी थोड़ी उम्मीद रहती है। जिस तरह से बैडमिन्टन और टेनिस और बाकी खेलों को हाइलाइट किया जाता है। वैसे ही आर्चरी को भी हाइलाइट करने की जरुरत है। तभी खिलाडि़यों को एक्सपोजर मिल पाएगा।

 

आर्चरी के अलावा आप कौन सा स्पो‌र्ट्स देखना या खेलना पसंद करती हैं?

वैसे तो किसी दूसरे स्पो‌र्ट्स के लिए कम टाइम मिल पाता है। फिर भी मैं फुटबॉल देखना और खेलना भी पसंद करती हूं।