- इंडिविजुअल में दो मेडल जीतने वाले जयंत तालुकदार ने मेरठ को बताया लकी

- कहा जब भी आता हूं तभी मेरे परफॉर्मेस बेहतर होती है

- इस बार ओलंपिक में मेडल की जगाई उम्मीद

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : देश के बेहतरीन आर्चर और नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप में डिस्टेंस और ओलंपिक राउंड में गोल्ड जीतने वाले जयंत तालुकदार ने मेरठ को अपना लकी मैदान बताया। उन्होंने कहा मैं जब भी यहां आता हूं तभी मेरा बेस्ट परफॉर्मेस रहता है। यहां का क्लाइमेट से लेकर ग्राउंड काफी अच्छा है। यूपी आर्चरी संघ काफी अच्छे से सपोर्ट करता है और बेहतर होस्ट भी करता है। आइए आपको भी बताते हैं उन्होंने मेरठ और इंडियन आर्चरी के बारे में क्या कहा

शानदार फॉर्म में रहने का क्या राज है?

सिर्फ फोकस में रहता हूं। मेरे आसपास क्या हो रहा है? अपोनेंट के तीर निशाने पर लग रहे हैं या नहीं? इस बारे में कभी नहीं सोचता। सिर्फ अपने तीरों और टारगेट को देखता हूं।

एथेंस ओलंपिक के बाद हम टॉप टेन में भी जगह नहीं बना सके क्या वजह रही?

ओलंपिक एक बड़ा इवेंट होता है। एशियन चैंपियनशिप, व‌र्ल्ड कप, व‌र्ल्ड चैंपियनशिप और जितनी भी व‌र्ल्ड क्लास चैंपियनशिप होती हैं वहां का प्रेशर और अकेले ओलंपिक के प्रेशर में काफी बड़ा डिफ्रेंस है। हम कोशिश कर रहे हैं। हम काफी नजदीक हैं। इस बार हम मेडल लाने की पूरी कोशिश करेंगे।

ओलंपिक में किस टीम से सबसे ज्यादा चुनौती मिलने की संभावना है?

सभी टीमों से। आर्चर का दिन होता है तो वो किसी भी प्लेयर को हरा सकता है। फिर वो किसी भी उम्र का हो। अगर उस दिन बड़े से बड़े खिलाड़ी का दिन नहीं है तो उसके निशाने ठीक नहीं लगेंगे। बड़े से बड़ा प्लेयर भी हार जाएगा।

क्या इंडियन टीम को विदेशी कोच की जरुरत है?

देश के खिलाडि़यों को विदेशी कोच की कोई जरुरत नहीं है। कंट्री व‌र्ल्ड नंबर टू रैंकिंग पर बिना विदेशी कोच के ही पहुंचा है, लेकिन देश के खिलाडि़यों को इक्विपमेंट की जरुरत है। ताकि हम सभी बेहतर से बेहतर परफॉर्म कर सकें। ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस कर सकें।

मेरठ और यहां का स्टेडियम कैसा लगा?

बहुत कम ऐसे स्टेडियम हैं जो आर्चरी के लिए सूट करते हैं। मेरठ का ये स्टेडियम तो मेरे काफी लकी रहता है। मैंने जितने भी एनआरएटी और प्राइज मनी इवेंट खेले सभी में मैंने अपना बेस्ट परफॉर्मेस दिया है। अब दो गोल्ड मेरे पास हैं। मैं इस शहर में बार-बार आना चाहूंगा।