मुंबई (पीटीआई)। गुवाहाटी में एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दीपक केसरकर ने कहा कि उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है, लेकिन अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखा है। केसरकर ने कहा कि सिर्फ 16 या 17 लोग 55 विधायकों के समूह के नेता की जगह नहीं ले सकते हैं और शिवसेना का बागी गुट शिंदे को शिवसेना समूह के नेता के रूप में बदलने के महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के आदेश को अदालत में चुनौती देगा। केसरकर ने कहा कि विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से कहा था कि हमें उस पार्टी के साथ रहना चाहिए जिसके साथ हमने चुनाव लड़ा था.. शिंदे समूह की शुरुआती मांग थी कि शिवसेना को भाजपा के साथ अपना गठबंधन फिर से शुरू करना चाहिए और कांग्रेस और एनसीपी से संबंध तोड़ लेना चाहिए।

एनसीपी और कांग्रेस ने हाईजैक किया है

प्रेस कांफ्रेस के दौरान केसरकर से पूछा गया कि क्या शिंदे समूह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेगें इसके जवाब में केसरकर ने कहा कि हमें समर्थन क्यों वापस लेना चाहिए? हम शिवसेना हैं। हमने पार्टी को हाईजैक नहीं किया है, एनसीपी और कांग्रेस ने पार्टी को हाईजैक कर लिया है। केसरकर ने आगे कहा कि शिंदे समूह विधानसभा में बहुमत साबित करेगा लेकिन हम किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय नहीं करेंगे। हमने अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखने का फैसला किया है क्योंकि हम उनमें विश्वास करते हैं।

उचित समय पर वापस आ जाएंगे

उद्धव ठाकरे के बालासाहेब का नाम न प्रयोग करने वाले बयान पर केसरकर ने कहा कि वह इस पर विचार करेंगे। केसरकर ने कहा कि बागी विधायक कब मुंबई लौटेंगे, उन्होंने कहा कि वे उचित समय पर वापस आएंगे। केसरकर ने महाराष्ट्र में बागी विधायकों के कार्यालयों और आवासों पर हमले की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि मौजूदा समय में दबाव है, हमें नहीं लगता कि वापस लौटना सुरक्षित है।

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