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PRAYAGRAJ: नये भारत के निर्माण में युवाओं को बड़ा रोल प्ले करना है। गवर्नमेंट का फोकस मेक इन इंडिया और स्टार्टअप प्रोग्राम है। इसे सक्सेजफुल बनाने में अहम भूमिका टेक्निकल एंड प्रोफेशनल एजुकेशन की है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की कैंपेन मिलेनियम स्पीक का आयोजन शनिवार को संगम पैलेस सिविल लाइंस स्थित यूपीटेक कम्प्यूटर कंसल्टेंसी में किया गया। इसमें शामिल यूथ्स ने इसी तरह की बातें रखें। इसमें यूथ्स से जानने की कोशिश की गई कि पांच साल में सरकार ने टेक्निकल एंड प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए क्या कुछ किया? वे कितने संतुष्ट या असंतुष्ट हैं?

जॉब की नीड के एकार्डिग नहीं स्किल

डिस्कशन में शामिल युवाओं का कहना था कि युवाओं के सामने रोजगार बड़ी समस्या है। युवा पढ़ाई तो कर रहे हैं। लेकिन, इस पढ़ाई के बाद जब वे रोजगार के लिए तैयार होते हैं तो पता चलता है कि काम्पिटीशन तो बहुत ही टॅफ है। युवाओं ने कहा कि वे जब जॉब सर्च करने के लिए जाते हैं तो कंपनियां एक्सट्रा एडवांस इम्पलाई को ही नौकरी पर रखना चाहती हैं। युवाओं ने कहा कि देश में ऐसे एजुकेशन इंस्टीट्यूशन की संख्या कम है जो कंपनीज की नीड के एकार्डिग इम्पलाईज तैयार कर पा रहे हैं।

एकेडमिक एक्सीलेंस पर करें फोकस

उन्होंने कहा कि यदि मेक इन इंडिया बनाना है तो गवर्नमेंट को चाहिए कि वह इंस्टीट्यूशंस को फोर्स करें कि वे स्टडी बेस्ड सिलेबस को एडवांस बनाएं। स्किल डेवलपमेंट के लिहाज से थ्योरी के साथ ही प्रैक्टिकल नॉलेज भी जमकर दी जाए। इसके लिए जिन फैसेलिटीज की जरूरत है। उनके लिए भी काम किए जाने की जरुरत है। स्टूडेंट्स ने कहा कि हमारी कंट्री में यह भी बड़ी दिक्कत है कि जहां फैसेलिटी है, वहां ऐसे टीचर्स की कमी है, जिनके अंदर एकेडमिक एक्सीलेंस भरपूर है। स्टूडेंट्स ने कहा कि गवर्नमेंट के पास प्लानिंग की कमी नहीं है। लेकिन उसके यूज के लिए बहुत सारी व्यावहारिक दिक्कतें हैं। इससे युवा सीधे तौर पर इफेक्टेड हो रहे हैं। उनके लिए डिफिकल्ट सिचुएशन तब क्रिएट हो जाती है जब वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी जॉब के लिए भटकते रहते हैं।

वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा

डिस्कशन की अगुवाई कर रहे असिस्टेंट मैनेजर रत्नेश कुमार दीक्षित ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मतदान को लेकर जन जागरुकता अभियान काफी समय से चल रहा है। देश में चुनाव के दौरान सबसे बड़ी समस्या वोटर लिस्ट से नाम गायब रहने को लेकर होती है। उन्होंने कहा कि देश में यह चिंता की बड़ी बात है कि उत्तर भारत में चुनाव के दौरान वोटिंग परसेंटेज काफी कम होता है। ऐसे में जरुरी है कि सरकार अभी से यह सुनिश्चित करे कि जिनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है, उनका नाम जोड़ा जाए। दूसरा यह कि जिनका नाम लिस्ट में है, यह सुनिश्चित किया जाए कि वे किसी भी प्रकार की असुविधा से मतदान से वंचित न हों। इस बातचीत के दौरान स्टूडेंट्स और टेक्निकल एजुकेशन के एक्सपर्ट्स ने कांवेंट एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस की खामियों, एनवायरनमेंट पालिसीज, भारत-पाक के मौजूदा संबंधों आदि पर बात रखी और कहा कि उनकी नजर में ये सब युवाओं के चुनावी एजेंडे होंगे।

कड़क मुद्दा

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टेक्निकल एजुकेशन का हाल बेहाल है। प्रदेश के ज्यादातर इंस्टीट्यूशंस की हालत बहुत ही खराब है। यहां से पढ़ाई करने वाले लाखों रुपए खर्च करते हैं और तीन से चार साल तक का समय लगाते हैं। लेकिन जब वे अपनी पढ़ाई करके निकलते हैं तो उन्हें क्0 से क्भ् हजार रुपए की जॉब भी कोई ऑफर नहीं कर रहा। ऐसे युवाओं की आज फौज खड़ी हो चुकी है। ऐसे समय में स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया की बात ही बेमानी हो जाती है।

सतमोला

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डिस्कशन में भारत-पाक रिश्तों पर बात हुई तो पाकिस्तान द्वारा भारतीय पायलट को छोड़े जाने के निर्णय का स्वागत किया गया। साथ ही युवाओं ने जोर देकर कहा कि देश की सुरक्षा और सेना से जुड़ी उनकी भावनाओं का राजनैतिक उपयोग किसी भी हाल में वे बर्दाश्त नहीं कर सकते। युवाओं ने भारत सरकार की एयर स्ट्राईक को बेहद जरुरी कदम बताया, साथ ही कहा कि हमें इसके सियासी मायने निकालने वालों के प्रति सतर्क रहने की जरुरत है।

मेरी बात

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री आज जो भाषा बोल रहे हैं। वह हमारी बेहतर रणनीति और जज्बे का ही परिणाम है। लेकिन सोशल नेटवर्किंग के माध्यमों पर बड़ी बड़ी बात करने वालों को देशहित में गंभीर नजरिया दिखाने की जरुरत है। युद्ध हमेशा आखिरी विकल्प होना चाहिए। इससे पहले यदि कोई समाधान का रास्ता हो तो उसपर संयमित तरीके से विचार करने की जरुरत है।

उमम अफजल

छोटे-छोटे स्कूली बच्चों के बैग का बोझ बढ़ता जा रहा है। इसके लिए पब्लिसर्श और स्कूल्स के बीच कमीशन का खेल चरम पर है। बच्चा जो पढ़ाई एक किताब से कर सकता है। उसके सिलेबस को पांच किताबों में बांटकर बैग का बोझ बढ़ाया जा रहा है। यह काम केवल पैसे के लिए हो रहा है।

शिवम भारद्वाज

कांवेंट स्कूल्स में केवल बिजनेस किया जा रहा है। डोनेशन और भारी भरकम फीस ने नैतिक शिक्षा को पीछे ढकेल दिया है। शिक्षा के बाजारीकरण के दौर में आप यह कैसे सोच सकते हैं कि हमारी पढ़ाई शुद्धता पर आधारित होगी। जहां नींव ही गलत डाली जा रही है। वहां मजबूत इमारत की उम्मीद ही बेमानी है।

गौरव सिंह

जब आप बच्चों को बेसिक और माध्यमिक स्तर पर ही सही तरीके से तैयार नहीं कर सकेंगे तो यह कैसे सोच सकते हैं कि वह उच्च शिक्षा में पहुंचकर एकदम से टॉप गियर लगा देगा? शिक्षा का सतत विकास होते रहना जरुरी है। नहीं तो समस्या यूं ही बनी रहेगी।

अबु हमजा

परीक्षा में टेन सीजीपीए हासिल करना या 9भ् फीसदी अंक पा लेना ही सफलता का मानक नहीं है। यदि ऐसा है तो क्या कारण है कि अच्छे से अच्छे पढ़े लिखे अभ्यर्थी को नौकरी के लिए इतना घिसना पड़ रहा है? युवाओं को सही समय पर जॉब भी मिलना आवश्यक है। नहीं तो वे अवसाद में चले जाते हैं।

अभिषेक कुशवाहा

हमने यह तो पढ़ा है कि हम सभी को मतदान करना चाहिए। लेकिन ज्यादातर पढ़े लिखे लोग ही मतदान से कटे रहते हैं जोकि किसी मजबूत लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जहां की पढ़ी लिखी आबादी इस तरह का व्यवहार कर रही हो। वहां सबसे पहले जनता से ही पूछना चाहिए कि वह सरकार से इतनी उम्मीद क्यों कर रहे हैं?

अनुमेहा श्रीवास्तव

पहले यह बात समझनी होगी कि मतदान का प्रतिशत बढ़ना क्यों जरुरी है? एक मजबूत सरकार चुनने के लिए तो यह जरुरी है। साथ ही एक मजबूत विपक्ष के चुनाव के लिए भी मतदान जरुरी है। इससे नेता और विपक्ष को भी पता होता है कि यदि वह एक बार हार गया तो कुछ करने के लिए वह अच्छे मत प्रतिशत के साथ दोबारा चुनाव जीत सकता है।

अनुष्का केशरवानी

इस्लामिक संगठनों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बैठक में भारत का नेतृत्व करना और पाकिस्तान का पीछे हट जाना हमारी बढ़ती शक्ति का उदाहरण है। भारत की चाल के साथ पाकिस्तान का चरित्र और चेहरा बदल लेना ही अब अंतिम उपाय है। नहीं तो वह खुद को ही खोखला करने का काम करेगा।

स्वाती मुखर्जी

पाकिस्तान में आतंकी कुछ करते हैं। वहां के पीएम कुछ बोलते हैं और सेना कुछ और कर गुजरती है। ऐसे में उसकी बातों में आखिर हम कब तक विश्वास करेंगे और चुप बैठे रहेंगे? सरकार ने एयर स्ट्राईक का फैसला लेकर बहुत ही सही काम किया। इसकी जितनी सराहना की जाए कम है।

अदिती

गवर्नमेंट को अपनी एनवायरनमेंट पालिसीज को पूरी मजबूती से लागू करना होगा। किसानो की हालत भी जस की तस है। केवल पीएम के मन की बात करने से कुछ नहीं होगा। सरकार और प्रशासन को पूरे मन से काम भी करना होगा।

अजय यादव

मतदान हम सबका अधिकार है। लेकिन चुनाव के दिन जिस तरह की दिक्कतें वोटर लिस्ट को लेकर होती हैं। वह इतने महत्वपूर्ण दिवस में एक तरह से सरकार की कार्ययोजना की पोल ही खोलती हैं। समस्या के लिए लोग जिम्मेदार हैं तो सिस्टम भी उतना ही दोषी है।

शिल्पी खरे