PATNA : पटना यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी के सौ वर्ष पूरे होने के मौके पर पटना साइंस कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि मां, जन्मभूमि, मातृभाषा और मदरलैंड को हमेशा याद रखने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मां को कभी नहीं भूलना चाहिए। मां के साथ पिता को भी नहीं भूलना चाहिए। लेकिन मां सबसे पहले है उसकी पिता हैं। उन्होंने कहा कि आप कितना भी बड़ा बन जाइए, कहीं भी रहिए लेकिन जन्मभूमि से नाता नहीं तोड़ना चाहिए। मातृभाषा को लेकर उन्होंने कहा कि घर, परिवार और पड़ोसी से हरदम अपनी मातृभाषा में बात करनी चाहिए। क्योंकि भाषा और भावना एक साथ चलती है।

स्टूडेंट्स को दी नसीहत

कार्यक्रम के संबोधन के दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स को नसीहत देते हुए कहा कि कुछ भी बोलने से पहले सोचों। सोचने से पहले खूब पढ़ो फिर आगे बढ़ो। नालंदा, विक्रमशीला और तक्षशीला यूनिवर्सिटी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन विश्वविद्यालयों ने भारत को विश्व गुरु बनाया। इन यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए दूर-दूर से लोग पढ़ने आते थे। नॉलेज के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि इसी की बदौलत भारत आज देश की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना है।

पुराने दिनों की याद हुई ताजा

जेपी आंदोलन की चर्चा करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि यहां आकर मुझे वह जमाना याद आ गया। पटना में नीतीश कुमार, सुशील मोदी सहित कई दिग्गज जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। मैं उस समय आंध्र यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट था। मैं उस आंदोलन से जुड़ गया। आगे चलकर मैंने वकालत छोड़ दी और राजनीति में कूद पड़ा।

फोर सी पर दिया जोर

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं राजनीति से संन्यास ले चुका हूं। लेकिन आज की पीढ़ी को नेताओं को सेलेक्ट नहीं इलेक्ट करें। इसके लिए उन्होंने कैरेक्टर, कैलिबर, कैपिसिटी और कंबैट के आधार पर नेताओं का चुनाव करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये फोर सी आज राजनीति से गायब हो गई है। इन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है।

जो काम आएगा उसे पूरा करूंगा

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि पटना यूनिवर्सिटी के विकास के लिए विधि सम्मत जो भी संभव होगा वह करूंगा। पटना यूनिवर्सिटी ने बदलते परिवेश में भी गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया। इस यूनिवर्सिटी से निकले कई स्टूडेंट सफलता की नई ऊंचाई को छुआ है। स्टूडेंट्स को सफल बनाने में सेंट्रल लाइब्रेरी ने अच्छी भूमिका निभाई है। लाइब्रेरी को और विकसित किया जाएगा। गवर्नर होने के नाते मेरे अधिकार में जो होगा उसे अवश्य पूरा करूंगा।

तो एशिया का बड़ा यूनिवर्सिटी होगा पीयू

पटना सेंट्रल लाइब्रेरी के सौ वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि इस यूनिवर्सिटी में दूसरे राज्यों के स्टूडेंट्स भी पढ़ने आते थे। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार पटना यूनिवर्सिटी को अपना ले तो यह देश ही नहीं, एशिया का सबसे बड़ा यूनिवर्सिटी हो जाएगा। इस यूनिवर्सिटी को विशिष्ट बनाने के लिए जितने धन की जरूरत होगी उसे देने को तैयार हूं। उन्होंने कहा कि सेंट्रल लाइब्रेरी में पांच से ज्यादा पांडुलिपियां हैं। इसे संरक्षित करने की जरूरत है।

हर डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी मॉडर्न बने

लोगों को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सेंट्रल लाइब्रेरी को नए सिरे से पुनर्जीवित करने की जरूरत है। पावर प्वाइंट, वाई फाई, ई-बुक्स, ई-रीडर की व्यवस्था की जाए ताकि गरीब छात्र भी यहां आकर इसका इस्तेमाल कर सके। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के हर कॉलेज और डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी की मॉडर्न बनाने पर जोर दिया। पीयू के पुराने दिनों की चर्चा करते हुए कहा कि यह ज्ञान का ही केंद्र नहीं था बल्कि अन्याय, शोषण और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का भी केंद्र था।

रूट रहे डायवर्ट

उपराष्ट्रपति के आगमन को लेकर शहर के कई रूट डायवर्ट रहे। एयरपोर्ट से लेकर पटना यूनिवर्सिटी तक सड़कों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। अशोक राजपथ पर बैरिकेडिंग कर आमलोगों के आने जाने पर पूरी तरह रोक थी। गांधी मैदान से पटना सिटी की तरफ आने-जाने वाली गाडि़यों को बाकरगंज की तरफ मोड़ दिया गया।