-शहर में अब तक नहीं हुआ प्याऊ का इंतजाम

-पानी की तलाश में सूखे गले भटकने को लोग हो रहे मजबूर

VARANASI

गर्मी की शुरुआत में ही सूरज आग उगलने लगा है। बसंत को बीते अभी ज्यादा दिन नहीं हुए कि पारा 40 के पार जाने लगा है। तेज धूप और झुलसा देने वाले तपन में हर वक्त गला सूखा ही रहता है। ऐसे में अगर कोई इस शहर में चला आए तो प्यासा ही तड़पेगा क्योंकि यहां प्याऊ का इंतजाम नहीं है। मजबूरन पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है। जो नहीं खरीद सकते हैं वो

सरकारी नल, हैंडपंप या प्याऊ की तलाश में भटकते हैं। बनारस में पानी के संकट से सिर्फ इंसान ही नहीं पशु-पक्षी भी बेहाल है।

प्रमुख स्थानों पर भी नहीं इंतजाम

शहर में प्याऊ लगाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। हर साल दो दर्जन से अधिक अलग-अलग स्थानों पर प्याऊ लगाया जाता है। यहां लोगों को नि:शुल्क पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है। इस साल इतनी गर्मी होने के बावजूद प्याऊ का इंतजाम नहीं किया गया है। भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी कोई व्यवस्था नहीं है। रेलवे स्टेशन के बाहर, बस स्टैंड, पासपोर्ट ऑफिस, विकास भवन, जिला मुख्यालय, नगर निगम, समेत तमाम स्कूल कॉलेज के बाहर प्याऊ की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा शहर के प्रमुख व्यस्ततम मार्ग जैसे गोदौलिया, दशाश्वमेध, नई सड़क, चौक, जैस कई एरिया में भी प्याऊ नहीं लगाया गया है। जहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

एक नजर

19 लाख से अधिक है शहर की जनसंख्या

2 लाख से अधिक लोग हर रोज आते शहर में अलग-अलग वजहों से

122000 वैध कनेक्शन हैं पेयजल के

186 छोटे-बड़े पंप हैं पानी के इंतजाम के लिए

7 महापंप भेलूपुर का

2400 हैंडपंप शहर में

250 लगभग कुएं हैं शहर के अलग-अलग इलाकों में

100 सार्वजनिक नल

80 जगहों पर लगता हैं सामाजिक संस्थाओं की ओर से प्याऊ

17 जगहों पर लगा है वाटर एटीएम

2 दर्जन से अधिक स्थानों पर नगर निगम लगवाता है प्याऊ

फिलहाल शहर में घाट और उससे सटे एरिया में पानी के लिए 17 वाटर एटीएम का इंतजाम किया गया है। निगम की ओर से प्याऊ की व्यवस्था भी कराई जाएगी। जरूरत पड़ने पर निजी संस्थाओं से हेल्प ली जाएगी।

नितिन बंसल, नगर आयुक्त

प्यास से सब बेहाल, कोई नहीं ले रहा पुरसाहाल

-नगर निगम ने नहीं निभायी अपनी जिम्मेदारी अभी तक कहीं नहीं लगवाया प्याऊ

-समाज के लिए हर समय तत्पर रहने वाली स्वयं सेवी संस्थाएं भी हुई उदासीन

गर्मी में पानी के लिए परेशान हो रहे शहर के और बाहर से आने वाले लोग लेकिन उनकी तकलीफ दूर करने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है। या तो लोग पानी खरीदें या प्यासे गले ही तड़पें। प्याऊ लगाने की जिम्मेदारी जरूर नगर निगम की है लेकिन समाज की सेवा का दावा करने वाले आखिर कहां हैं।

अब तक किसी भी संस्था ने राहगिरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था नहीं की है। छोटे से छोटे कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता दिखाने वाली संस्थाएं सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती नजर आती हैं।

सूखे गए नल, हैण्डपम्प खराब

नदी-तालाबों से घिरा बनारस आज पानी के लिए तरस रहा है। नदियां विलुप्त हो रही हैं। तालाब पाटे जा रहे हैं। पानी के इंतजाम के लिए जो कुएं थे उनमें से कुछ का ही अस्तित्व बचा है। जो बचे हैं उनका पानी भी इस्तेमाल लायक नहीं रह गया है। शहर भर में लगाए गए दर्जनों हैण्डपम्प और सरकारी नल रखरखाव के अभाव में खराब पड़े हैं। उनसे पानी की एक बूंद नहीं निकलती है। ऐसे में सार्वजनिक जगहों पर प्याऊ का इंतजाम भी नहीं है। सालों पहले कुछ जगहों पर स्थायी प्याऊ थे अब वो खत्म हो गए हैं। सरकारी एजेंसियों की उदासीनता का ही नतीजा है कि लोगों की प्यास का एहसास उन्हें नहीं हो रहा है। शहर में सरकारी नल और हैंड पंप से निकलते शीतल जल की अगर व्यवस्था होती तो शायद लोगों को प्यास बुझाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

वर्षो से बनी हुई है स्थायी समस्या गर्मी में हर वर्ष लोगों को प्याऊ की जरूरत पड़ती है। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। निगम पार्षदों की ओर से हर साल गर्मी में प्याऊ लगाने को लेकर आवाज उठायी जाती है। लेकिन निगम में हर बार पैसे का हवाला देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।