आंधी-तूफान के आने से मानसून पर नहीं पड़ेगा कोई प्रभाव

माने जा रहे शुभ संकेत, मौसम विज्ञानियों ने जताया पारा चढ़ने के आसार

ALLAHABAD: पिछले कुछ दिनों से शहर में लगातार आ रहे आंधी-तूफान से भले ही जन जीवन अस्त व्यस्त हुआ हो लेकिन इसका मानसून पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ने वाला। मौसम विज्ञानी इसे बारिश के लिहाज से अच्छा संकेत मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह स्थिति मई के दूसरे सप्ताह में बन जानी चाहिए थी। मानसून अपने नियत समय पर ही जिले में दस्तक देगा।

क्यों बन रहीं है बार-बार ये स्थिति

मौसम विज्ञानियों का मानना है कि जब लगातार पारा अपने उच्च पर लगातार बना रहता है तो निम्न वायुदाब की स्थिति बनती है। इलाहाबाद में इस बार अप्रैल से तापमान ने कुछ ऐसा ही व्यवहार किया। निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनने से पूरब और पश्चिम से आने वाली हवाएं एक साथ आंधी-तूफान के हालात बनाती हैं। यही कारण है कि पिछले तीन-चार दिनों से लगातार शहर में तेज हवाओं के साथ हल्की बारिश भी हो रही है। यह स्थिति भविष्य में भी बनी रह सकती है।

अभी और सताएगी गर्मी

ऐसा नहीं है कि इस मौसम में लोगों को गर्मी से निजात मिल जाएगी। इलाहाबाद विवि के प्रो। बीएन मिश्रा कहते हैं कि पारा अभी चढ़ेगा। अधिकतम तापमान चालीस डिग्री से अधिक रहेगा लेकिन पूर्व की भांति 46 से 47 डिग्री नहीं पहुंचेगा। फिलहाल, मानसून की दस्तक होने तक लोगों को अभी गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन, रात का तापमान सामान्य रहेगा। लोगों की नींद बहुत अधिक गर्मी से खराब नहीं होगी।

कायम रहेगा लालीना का वर्चस्व

पिछले तीन साल से प्रशांत महासागर में अलनीनो के सक्रिय रहने से सूखे की स्थिति बनी रही लेकिन इस बार लालीना काफी सशक्त हो चला है जिसकी वजह से समूचे उत्तर भारत में अच्छी बारिश के आसार बन रहे हैं। बता दें कि इस बार पांच जून प्री मानसून और 15 जून तक एक्टिव मानसून की संभावना बनी हुई है। समुद्र और प्रायद्वीप के बीच बने बेहतर सामंजस्य ने भी बेहतर मानसून की संभावना को बढ़ावा दिया है। मौसम विज्ञानी मानते हैं कि हालात ऐसे ही रहे तो इस साल सूखे की मार से बचना आसान होगा।

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धूल से बचें, वरना होगी एलर्जी

उधर, लगातार आ रहे आंधी तूफान के चलते सड़कों पर उड़ने वाली धूल ने लोगों को खासा परेशान किया है। टीबी एंड चेस्ट फिजीशियन डॉ। आशुतोष गुप्ता कहते हैं कि धूल के कण सांस के जरिए श्वास नली में जाकर एलर्जी पैदा कर रहे हैं, जिससे खांसी की दिक्कत में बढ़ोतरी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि खासतौर से अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को भी अधिक होशियार रहना होगा। ओपीडी में बढ़ती सांस के मरीजों की संख्या इस स्थिति की ओर इशारा कर रही है। बता दें कि शहर में डेवलपमेंट के नाम पर जगह-जगह खोदी गई सड़कों की धूल से जन जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।