शो का नाम : हंड्रेड

कलाकार : लारा दत्ता, रिंकू राजगुरु, सुधांशु पांडे, परमीत सेठी, करण वाही, अरुण नाल्वाड़े, मकरंद देशपांडे

निर्देशक : रूचि नारायण, आशुतोष शाह, ताहेर सबीर, अभिषेक दुबे

एपिसोड्स : आठ

चैनल : डिज्नी+हॉट स्टार

रेटिंग : 3 स्टार

कानपुर। इस बार लेडी चुलबुल पांडे बनकर आई हैं अपनी लारा दत्ता। बोले तो एकदम धांसू कहानी के साथ। उनके साथ में है सैराट फेम वाली रिंकू राजगुरु।अब ये दो लेडीज मिल कर अखा मुंबई में क्या बवाल मचाती हैं, सबकी कैसे वाट लगाती है। यही हंड्रेड का पूरा किस्सा। सौम्या (लारा दत्ता) को अपना नौकरी बचानी है। वो पुलिस अफसर है, काबिल भी है, लेकिन वही औरत से जेलस वाली फिलिंग जो मर्दों को होती है। उसका बॉस उसका सारा क्रेडिट खुद ले जाता है। ऐसे में नेत्रा ( रिंकू राजगुरू) की उसकी लाइफ में एंट्री होती है। नेत्रा के पास जीने के लिए सिर्फ 100 दिन हैं और उसको अपना बकेट लिस्ट पूरा करना है। नेत्रा के पास दिमाग है और सौम्या के पास ताकत। दोनों एक दूसरे का डिमांड पूरा करते हुए एक दूसरे का कैसे इस्तेमाल करते हैं। यह आठ एपिसोड में देखना एकदम रोमांचक है। दोनों की रापचिक केमेस्ट्री में क्या नया चैप्टर लिख जाता है, कौन किसको ऐड़ा बनाता है, पॉलिटिक्स, क्राइम, मेल इगो के बीच क्या-क्या फैन्टास्टिक थ्रेड निकला है, कौन हंड्रेड का शतक पूरा करता है और कौन जीरो पर होता है आउट। ये सब जानने के लिए तो भीड़ू आप सबको एक बार ये रिव्यू पढ़ कर सीरिज को देखना ही पड़ेगा।

क्या है कहानी

कहानी मुंबई की है। सौम्या असिस्टेंट कमिश्नर है, मगर उसको लाइफ में अपने काम के लिए कोई पॉप्युलैरिटी नहीं मिली है। उसका अपना हसबैंड उसके रास्ते का रोड़ा है। सौम्या को कैसे भी खुद को फेमस करना है। उसके पास केसेस भी हैं, लेकिन मेहनत करे यह ले जाये कोई और उसके साथ ये हर बार होता है। ऐसे में मुंबई में, जो कि इत्तेफाकों का शहर है, अचानक उसकी मुलाकात एक ऐसी लड़की नेत्रा ( रिंकू) से होती है, जिसको डॉक्टर ने कहा है कि उसको ट्यूमर है और उसके पास सिर्फ 100 दिन हैं। रिंकू के पास बेहद शार्प ब्रेन है। उसका दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता है। वह याद रखने में सबकी बाप है। सौम्या कहती है कि उसको वह बचे-खुचे 100 दिन फिल्मी दुनिया की तरह जीने चाहिए, और इस तरह नेत्रा का दिमाग और सौम्या की दादागिरी चलती है। अचानक कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट आता है, जब क्वीन अपने प्यादे के साथ एक गेम खेलती है। अब शो में यह देखना ही दिलचस्प है कि क्वीन कौन है और प्यादा कौन। चार निर्देशकों ने शो की कहानी अच्छे से प्रेजेंट की है।

क्या है अच्छा

शो का प्लॉट धांसू है, नो डाउट। एक्टिंग भी जबरदस्त है। एक साथ कई पैरेरल सिचुएशन है। पुलिस प्रशासन की राजनीति है। सबसे अच्छी बात इस शो की है कि यह फीमेल के पॉइंट ऑफ व्यू से दिखाया है और दोनों महत्वपूर्ण कैरेक्टर्स में लड़कियां ही हैं।

क्या है बुरा

कहानी का पेस, और कहीं-कहीं एक एपिसोड्स से दूसरे एपिसोड्स में आते-आते लिंक का टूटना, जैसे जबरदस्त कैरेक्टर स्केच थे, वैसे में और धांसू सिचुएशन होते तो मजा आता, ऐसी कहानी में सब कुछ प्रीडेक्टबल हो तो मजा नहीं आता। थोड़ा थ्रिल और सस्पेंस तो मांगेगी ही पब्लिक, तो वह एक ही नेगेटिव पॉइंट है।

अदाकारी

लारा और रिंकू दोनों का ही वेब पर फर्स्ट शो है, मतलब दोनों का डेब्यू है। लारा फिल्म्स में आजकल कम ही दिखती हैं। ऐसे में इस बार पुलिस की भूमिका में उनके लिए एक्टिंग दिखाने का स्पेस तो काफी था, मगर वह इसमें 50 प्रतिशत ही एक्टिव दिखी हैं। दबंग कैरेक्टर होने के बावजूद उनमें वह तेवर, वह स्पार्क नजर नहीं आया। दूसरी तरफ कमाल किया है रिंकू ने, कॉमेडी तो कॉमेडी, इमोशनल तो इमोशनल, एकदम खतरनाक एक्टिंग हैं उनकी।बहुत कांफिडेंट और बहुत अपीलिंग। बाकी करन वाही, परमीत सेठी, मकरंद देशपांडे वगैरह तो नाम के ही हैं। सबने टाईमपास एक्टिंग की है। इन सबके बावजूद फीमेल फैन्स को एक बार यह शो जरूर देखने का।

वर्डिक्ट: लारा दत्ता के फैन्स तो ऑफकोर्स देखेंगे। शो का ट्रेलर भी धांसू है और रिंकू की अपनी फैन फोलोइंग तो है ही। सो, वन टाइम वाच के लिए शो अच्छा है।

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