डीएन कॉलेज में सेशन की पहली पेरेंट्स टीचर मीटिंग

बीकॉम के तीनों इयर के पेरेंट्स को बुलाया गया तीन सेशन में

पेरेंट्स ने भी साझा की समस्याएं, कॉलेज ने दी जानकारी

Meerut। आपका बच्चा कॉलेज जा रहा है या फिर कॉलेज के नाम पर किसी गलत रास्ते पर भटक रहा है, उसकी पढ़ाई कैसी चल रही है, उसके कॉलेज में कैसी व्यवस्था दी जा रही है, इन्हीं सब बातों की जानकारी दी गई जब सोमवार को डीएन डिग्री कॉलेज में पेरेंट्स टीचर मीटिंग की शुरुआत की गई। मौके पर प्रिंसिपल डॉ। बीएस यादव ने मीटिंग की अध्यक्षता की व पेरेंट्स के साथ कॉलेज की जानकारी साझा की साथ ही उनकी समस्याएं भी सुनी।

शार्ट अटेंडेंस है बड़ी समस्या

मौके पर प्रिंसिपल डॉ। बीएस यादव का कहना था कि अक्सर स्टूडेंट कॉलेज के साथ कोचिंग ज्वाइन कर लेते हैं, जिसके चलते वो कॉलेज स्टडी पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिसका परिणाम ये होता है कि उनकी शार्ट अटेंडेंस के चलते उनकी एजुकेशन व रिजल्ट पर बुरा असर पड़ता है। वहीं उन्होनें पेरेंट्स को कॉलेज की वेबसाइट बताई जिसके जरिए वो हर महीने के अंत में अपने बच्चे की अटेंडेंस चेक कर सकेंगे।

पेरेंट्स भी दिखे उत्सुक

कॉलेज में मीटिंग को लेकर पेरेंट्स काफी उत्सुक दिखे। कुछ पेरेंट्स का कहना था कि मीटिंग से उनको भी अपने बच्चों के बारे में पूरी नॉलेज रहेगी। इसके साथ ही उनको ये भी पता रहेगा कि कॉलेज में कहां कब कैसे चलता है, कैसे कॉलेज में उनके बच्चों को क्या समस्याएं आती हैं और उनका बच्चा भटक तो नहीं रहा ये टीचर के जरिए पता लगेगा।

ये थे पेरेंट्स के सवाल

सवाल- कैसे पता लगाए कि उनका बच्चा कॉलेज रेगुलर है या फिर नही

जवाब- कॉलेज की वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू। डीएनकॉलेज। एनईटी पर जाकर हर महीने के मंथ में अटेंडेंस देख सकेंगे।

सवाल- कई ग‌र्ल्स दूर दराज से आती हैं, उनके लिए किसी सुविधा का इंतजाम होना चाहिए

जवाब- इस संबंध में भी जल्द ही कुछ बेहतर होने वाला है।

सवाल- कॉलेज में अनुशासन को लेकर कितनी जागरुकता है

जवाब- कॉलेज में काफी अनुशासन है, स्पेशल गेट से लेकर पूरे कॉलेज में प्रॉक्टल बोर्ड की रुटीन चेकिंग रहती है।

सवाल- अगर किसी को समस्या है तो वो प्रिंसिपल के अलावा किससे बात कर सकता है

जवाब- इसके लिए प्रोक्टल बोर्ड के मेम्बर है, एंटी रेगिंग सेल है, कई बोर्ड है जिनपर नम्बर लिखे है।

क्या कहते है पेरेंट्स

मेरी बेटी कॉलेज में आती है, आज की मीटिंग से मुझे कई ऐसी जानकारियां मिली जो पहले नहीं थी। कॉलेज में पढ़ाई का स्तर, टीचर की नॉलेज, अनुशासन आदि।

नरेश

मीटिंग से पता लगा हम कैसे पता लगा सकते है कि बच्चा रेगुलर कॉलेज है या नहीं। कितनी प्रतिशत अटेंडेंस जरुरी है।

अश्वनी

दूर से आने में बहुत ही दिक्कत होती है। ये मीटिंग में मुद्दा रखा है। फायदा हुआ कि मेरी समस्या कॉलेज तक पहुंच सकी।

कमलपाल सिंह

हमे ये लगता था कि कॉलेज में सेकेंड इयर में भेजने की ज्यादा जरुरत नहीं। हम सोचते थे सेल्फ स्टडी काफी है, लेकिन आज पता लगा कि अटेंडेंस जरुरी है।

शिल्पी गोयल

अक्सर मैं बेटी से कहती थी कि पढ़ाई घर बैठकर हो सकती है, एग्जाम देने जाना जरुरी है, अब पता लगा कि अटेंडेंस भी जरुरी है।

आरती