अलविदा 2016

-अधर में लटकीं कई केंद्रीय और राज्य योजनाएं

-फाइलों में लगे पंख, मगर धरातल पर मामला जीरो

Meerut: 2016 में मेरठ के विकास का पहिया थमा रहा। लगभग एक दर्जन छोटी-बड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन तो हुआ, किंतु कागजों पर। पब्लिक यूटीलिटी की इन योजनाओं की लेटलतीफी और लापरवाही आमजन की उम्मीदों पर भारी पड़ रही है। आई नेक्स्ट की पड़ताल में इन योजनाओं की यथास्थिति उभरकर आई

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल

आरआरटीएस (रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम) द्वारा दिल्ली के सराय काले खां से मेरठ मोदीपुरम तक दो चरणों में कार्य किया जाना है। इसकी कुल दूरी 90 किमी होगी। केंद्रीय परियोजना राजनैतिक उपेक्षा के चलते अधर में है।

मेट्रो रेल परियोजना

मेरठ में मेट्रो प्रोजेक्ट के लागत की कुल कीमत लगभग 8 से 10 हजार करोड रखी गई है। लखनऊ में एक ओर जहां मेट्रो का शुभारंभ हो गया तो मेरठ में भूमि पूजन तक नहीं हुआ। विशेषज्ञों ने बताया कि केंद्र और राज्य के बीच तालमेल न होने से परियोजना अधर में है। परियोजना की डीपीआर कैबिनेट की मंजूरी के लिए सीएम की टेबिल पर है।

डेडीकेटिड फ्रेट कॉरीडोर

देश में दो डीएफसी बनाए जा रहे हैं। 1840 किमी लंबा ईस्टर्नल डीएफसी कलकत्ता से लुधियाना तक जाएगा। मेरठ से गुजरने वाला ई‌र्स्टन डीएफसी सिंगल लेन होगा, जो भूमि अधिग्रहण न होने के चलते अधर में लटका है।

स्मार्ट सिटी

मेरठ को स्मार्ट सिटी में शामिल करने के लिए जून माह में गुजरात की कंपनी ने एक प्रोजेक्ट तैयार किया था। चौथी सूची में मेरठ का नाम न आने से जहां जनता की उम्मीदे कम हुई है तो वहीं जनप्रतिनिधि अभी भी झूठी दिलासा दे रहे हैं।

इंटरनेशनल एयरपोर्ट

सूबे के नौ उन शहरों में मेरठ भी शामिल है जिनमें इंटरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना होनी है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच विभिन्न घटनाक्रमों के बाद इस प्रोजेक्ट को अब पाइप लाइन में फांस दिया गया है। राजनेताओं की बयानबाजी जारी है।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे

मेरठ से दिल्ली तक 7566 करोड़ की लागत से 74 किलोमीटर का एक्सप्रेस वे बनाया जाएगा। परियोजना पूरी होने का अनुमानित समय है ढाई वर्ष। दो जगहों पर टोल प्लाजा भी बनेगा। भूमि अधिग्रहण हो गया किंतु अभी तक एनएचएआई ने परियोजना की शुरूआत नहीं की है।