पाकिस्तान ने ठुकराई चीन की मदद

पाकिस्तान ने अपनी एक बड़ी परियोजना में चीन के आर्थिक प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक पाकिस्तान के एक अखबार ने बताया कि चीन ने 14 अरब डॉलर करीब 915 अरब रुपये के दियामेर-भाशा बांध के निर्माण में पाकिस्तान को मदद का प्रस्ताव दिया था।  जिसे पाकिस्तान ने ठुकरा दिया। खबर के मुताबिक पाकिस्तान ने चीन से कह दिया है कि वह बांध के निर्माण को अपनी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपीईसी परियोजना से बाहर रखे। पाकिस्तान स्थित सूत्रों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय कर्जदाता इस परियोजा में पैसा देने के लिए तमाम कड़ी शर्तें लगा रहें हैं। इसके चलते परियोजना का खर्च 14 अरब डॉलर हो गया है जो शुरुआत में पांच अरब डॉलर था।

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श्रीलंका ने जब चीन को कहा ना

हंबनटोटा बंदरगाह को लेकर चीन के साथ हुई डील के बाद अब श्री लंका हंबनटोटा एयरपोर्ट भारत को दे सकता है। सामरिक तौर पर अहम हंबनटोटा बंदरगाह का 70 फीसदी हिस्सा श्री लंका ने चीन की फर्म को दे दिया था। अब श्री लंका की सरकरा इसी बंदरगाह के पास बने हुए एयरपोर्ट का संचालन भारत को सौंपने पर विचार कर रही है। भारत इस एयरपोर्ट में 40 साल तक 70 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 205 मिलियन डॉलर निवेश करेगा। श्रीलंका को अभी तक इस एयरपोर्ट के संचालन के लिए 8 प्रस्ताव मिले हैं। जिनमें चीन का भी है प्रस्ताव है। कोलंबो भारत के प्रस्ताव पर अलग से विचार कर रहा है। यह एयरपोर्ट कोलंबो से 250 किलोमीटर दक्षिण में बना हुआ है। 209 मिलियन डॉलर की लागत से बने इस एयरपोर्ट में 190 मिलियन डॉलर चीन की तरफ से मिले थे।

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नेपाल ने हाइड्रो प्रॉजेक्ट पर दिया चीन को झटका

नेपाल ने चीन को झटका देते हुए एक हाइड्रो प्रॉजेक्ट के लिए चीन की कंपनी का ठेका रद्द कर दिया है। नेपाल के डेप्युटी पीएम कमल थापा ने ट्वीट कर बुढ़ी गंडकी हाइड्रोपावर प्रॉजेक्ट पर चीनी कंपनी के ठेका को रद्द करने की जानकारी दी है। यह ठेका अब भारत की कंपनी एनएचपीसी को मिल सकता है। डेप्युटी पीएम कमल थापा ने ट्वीट किया कि संसदीय समिति के निर्देश के बाद कैबिनेट मीटिंग में चीनी कंपनी गजूबा ग्रुप के साथ किए गए समझौते को खत्म कर दिया गया है। यह समझौता नेपाल के ओबीओआर में शामिल होने की सहमति देने के बाद ही अस्तित्व में आया था। करीब एक साल पहले नेपाल की प्रचंड सरकार में चीन की कंपनी गजूबा वाटर ऐंड पावर कंपनी लिमिटेड ने इस प्रॉजेक्ट को हासिल किया था। इस प्रॉजेक्ट के तहत नेपाल के केंद्रीय और पश्चिमी क्षेत्रों में बुढ़ी गंडकी के ऊपर वाटर स्टोरेज डैम बनाए जाने थे। नेपाल का यह कदम वन बेल्ड वन रोड जैसी योजना से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने में जुटे चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

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