कोल्हान यूनिवर्सिटी (केयू) के डिफरेंट कॉलेजेज से बीएड करने वाले सैकड़ों एससी, एसटी और ओबीसी कैटेगरी के स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड नहीं मिल रहा है। गवर्नमेंट के वेलफेयर डिपार्टमेंट द्वारा यह स्टाइपेंड इन कैटेगरी के स्टूडेंट्स को दिया जाता है। स्थिति यह है कि स्टूडेंट्स कोर्स करके चले जाते हैं लेकिन उन्हें यह पैसा नहीं मिल पाता। बाद में यह पैसा वापस वेलफेयर डिपार्टमेंट को चला जाता है।

50 परसेंट हैं इन कैटेगरी में
बीएड करने वाले टोटल स्टूडेंट्स में 50 परसेंट रिजर्व कैटेगरी के स्टूडेंट्स की संख्या है। इनमें एसटी कैटेगरी के 26 परसेंट, एससी के 10 परसेंट और ओबीसी के 14 परसेंट स्टूडेंट्स शामिल हैं। प्रत्येक कॉलेज में बीएड की 100 सीट्स हैं, यानी प्रत्येक कॉलेजेज में इन स्टूडेंट्स की संख्या 50 है।

इन कॉलेजेज में है बीएड
केयू के 14 कंस्टीट्यूएंट कॉलेजेज में से 7 में बीएड की पढ़ाई होती है। इनमें, सिटी के ग्रेजुएट कॉलेज, को-ऑपरेटिव कॉलेज और वीमेंस कॉलेज, जमशेदपुर के अलावा टाटा कॉलेज चाईबासा, वीमेंस कॉलेज चाईबासा, बहरागोरा कॉलेज और जेएलएन कालेज चक्रधरपुर शामिल हैं। इसके अलावा सिटी स्थित केयू के एफिलिएटेड कॉलेज केसीसी और लोयला बीएड कॉलेज में भी यह कोर्स होता है।

किसकी कितनी फीस
केयू के कॉलेजेज में बीएड कोर्स के लिए जेनरल और ओबीसी कैटेगरी के स्टूडेंट्स के लिए 24 हजार, एससी, एसटी कैटेगरी के स्टूडेंट्स के लिए 21 हजार रुपए फीस है। जेनरल कैटेगरी को छोड़ तीनों ही कैटेगरी के स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड दिया जाता है। इनमें एससी और एसटी कैटेगरी के स्टूडेंट्स को 26 हजार और ओबीसी कैटेगरी के स्टूडेंट्स को 24 हजार रुपए स्टाइपेंड के रूप में मिलते हैं।

इनको है स्टाइपेंड का इंतजार
को-ऑपरेटिव कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा उपलब्ध कराए गए इन कैटेगरीज के स्टूडेंट्स में अधिराज सोरेन, बादल सिंह सरदार, जैयंती हंसदा, दीपाली मंडी, अर्जुन बेसरा, सरमा हंसदा, तुलसी पुक, प्रितम टुडू, जीवेन जैकब लकरा, मिर्जा जनता, ज्योती बारला, नीतू केरकेट्टा, संजीव रजक, बिपलप रजक, कन्हैया कुमार बारिक, आशीष शीट, सुमिता कुमारी, जीतन महतो, सशोधर महतो, मो। शबीर अली, मुंटू राम महतो आदि शामिल हैं।

नहीं हुई बात
इस मसले पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने डिस्ट्रिक्ट वेलफेयर ऑफिसर पी बारला से बात करने की कोशिश की। बताया गया कि वे छुट्टी पर हैं। उनके मोबाइल पर कई बार रिंग करने पर भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

कौन है जिम्मेवार?
स्टाइपेंड नहीं मिलने पर स्टूडेंट्स परेशान हैं। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि स्टाइपेंड के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया जाता है इसलिए इसमें कॉलेज का कोई रोल नहीं है। स्टूडेंट्स कहते हैं कि ऑनलाइन अप्लाई करने का डेट निकल जाता है, लेकिन उन्हें पता नहीं चल पाता। ऐसे में कॉलेज की जिम्मेवारी बनती है कि स्टूडेंट्स को सही समय पर जानकारी अवेलेवल कराई जाए।