-सोमवार को भी नोएडा, अलीगढ़, दिल्ली से लौटते रहे कामगार

- सैकड़ों किमी दूर से पैदल आ रहे लोग, घर पहुंचने की चाहत

Meerut । देश में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की। इसका असर यह हुआ कि काम धंधा सब बंद हो गया। अब जब काम नहीं, तो रहने और खाने के इंतजाम भी दुश्वार हो गए। ऐसे में कई लोग घरों से मीलों दूर जहां-तहां फंस गए। कोरोना के भय और भूख ने जब मिलकर सताया तो उन्हें घर से ज्यादा कुछ सुरक्षित नहीं लग रहा। इसीलिए भूख-प्यास की परवाह किए बगैर लोग मीलों का सफर तय करने के लिए पैदल ही निकल पड़े। जहां उन्हें रास्ते में न कहीं सिर छिपाने का प्रबंध मिला और न ही स्वास्थ्य चेकअप का संतोष।

लोगों के आने का सिलसिला

सोमवार को भी दिल्ली, हरियाणा, नोएडा, अलीगढ़ समेत अन्य आसपास के इलाकों से कामगारों व अन्य लोगों के आने का सिलसिला जारी रहा। कई मील पैदल, ट्रक व अन्य साधन से चलकर लोग मेरठ पहुंचे। नोएडा सेक्टर 62 में अपनी दुकान बंद करके रामराज जा रहे फुरकान के साथ उसका छोटा भाई एहसान था। फुरकान दोनों पैरों से दिव्यांग होने के कारण अपनी ट्राई साइकिल पर सवार होकर घर जा रहा था। जब साइकिल खींचते-खींचते उसके हाथ थके तो एहसान ने धक्का लगाकर भाई की मदद की। बताया कि वहां परचून की दुकान चलाते हैं। काम बंद होने से आमदनी भी बंद हो गई। राशन भी धीरे-धीरे खत्म होने लगा था। ऐसे में घर लौटना ही उचित लगा।

अहमदाबाद से लौट रहे लोग

अहमदाबाद से सोमवार को कामगारों का एक जत्था मेरठ पहुंचा। टोली में शामिल युवक रवि, सुमित ने बताया कि वो सभी शामली के पास फतेहपुर खेड़ा जा रहे हैं। कंपनी बंद होने से रहने-खाने का ठिकाना भी छिन गया। धीरे-धीरे रुपये भी खत्म हो रहे थे। ऐसे में घर लौटना ही एक आखिरी रास्ता बचा था। वहीं, अलीगढ़ से चलकर परतापुर बाईपास पहुंचे वृद्ध सुल्लढ़ प्रजापति के साथ उनकी पत्नी मुन्नीदेवी भी थीं। पैदल और एक निजी कार सवार से मदद मांगकर वह यहां तक पहुंचे। दोनों ने बताया कि वह 15 किमी। दूर और पैदल चलकर चनसारा गांव जाएंगे।