आखिर फंड गया कहां
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह फंड गया कहां और इसका यूटिलाइजेशन क्यों नहीं हो पाया?  सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि नवंबर से लेकर मार्च तक पैसा डिपार्टमेंट के पास रहा, इसके बावजूद पैसे का यूज नहीं हो पाया।

बने कई प्रपोजल
पिछले साल ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कुछ बदलाव करने का प्रपोजल रखा गया था। जिसमें सिटी में ब्रेथ एनलाइजर लाने की डिमांड की गई थी। इसके साथ सिटी में कई प्रमुख ट्रैफिक प्वाइंट्स पर सीसीटीवी
कैमरे लगाने का प्रस्ताव भी रखा गया था। पर अभी तक इसके लिए किसी प्रकार की कवायद नहीं की जा रही है। इसके चलते ट्रैफिक व्यवस्था दिनों-दिन लचर होती जा रही है। सिटी में रस ड्राइविंग को भी रोकने के लिए कई तरह के प्रपोजल रखे गए लेकिन न तो ये प्रपोजल पास हुए और न ही इन्हें कभी सीरियसली लिया गया।

पिछले साल आया था फंड
ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए कई बार गवर्नमेंट की ओर से फंड आ चुका है पर किसी न किसी कारण से यह लैप्स हो जाता है और डेवलपमेंट का काम अधूरा रह जाता है। एमवीआई अवधेश कुमार ने बताया कि पिछले साल नवंबर में 5 लाख रुपए का फंड आया था पर रूल के अकॉर्डिंग 31 मार्च तक इसे यूज नहीं किया गया जिसके चलते यह लैप्स कर गया और डिपार्टमेंट को वापस करना पड़ा। डीटीओ जार्ज कुमार का कहना है कि इस संदर्भ में फिलहाल कोई फंड नहीं आया है जबकि एमवीआई का कहना है कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के पास करोड़ों रुपए का फंड आया हुआ है। अगर इस बार भी इस फंड को यूटिलाइज नहीं किया गया तो फिर से ये पैसा भी लैप्स हो जाएगा।

भेजी गई है लिस्ट
इस संदर्भ में हाल ही में डीसी को लिस्ट भेजी गई है। एमवीआई और डीटाओ ने बताया कि करीब दो महीने पहले डीसी को एक लिस्ट भेजी गई जिसमें ट्रैफिक को प्रॉपर वे में ऑपरेट करने के कई तरह के इक्विपमेंट मंगाने की मांग की गई है। ट्रैफिक डीएसपी राकेश मोहन सिन्हा का कहना है कि फिलहाल ट्रैफिक डिपार्टमेंट के पास किसी प्रकार का इक्विपमेंट नहीं है.  डीसी को भेजी गई लिस्ट के बाद ही डिसाइड होगा कि कौन-कौन से इक्विपमेंट आने हैं।

ट्रैफिक को प्रॉपर रेगुलेट करने के लिए कई इक्विपमेंट्स की जरूरत है पर डिपार्टमेंट के पास इक्विपमेंट्स नहीं हैं।
-राकेश मोहन सिन्हा, डीएसपी ट्रैफिक