सुबह चुपके से छोड़ गए, रात तक ढूंढती रही आंखें

- हॉस्पिटल की सुरक्षा फिर ताक पर, ओपीडी में कोई छोड़ गया तीन साल की बच्ची

- बच्चे को इधर-उधर घूमता देख हेल्प डेस्क मैनेजर ने बच्ची को किया पुलिस के हवाले

बरेली : उम्र तीन साल, चेहरे पर हल्की सी मुस्कान, लेकिन अपनों के इंतजार में टकटकी लगाए इस बच्ची को शायद नहीं मालूम कि उसकी जिंदगी की खुशियां काफूर होने वाली हैं। सैटरडे को डिस्ट्रिक्ट फीमेल हॉस्पिटल में भटक रही इस बच्ची को अपनी मां का इंतजार था। घंटों गुजरने के बाद भी बच्ची की सुध तक लेने कोई नहीं आया और वह अनाथ होने की कगार पर आ गई है।

क्या है पूरा मामला

सैटरडे करीब 11 बजे डिस्ट्रिक्ट फीमेल हॉस्पिटल में ओपीडी के दौरान सैकड़ों मरीज लाइन में लगे थे। वहीं, तीमारदार भी भारी संख्या में मौजूद थे। इसी बीच यहां मरीजों की सहूलियत के लिए बनाई हेल्प डेस्क की मैनेजर रश्मि सिंह ने बिल्डिंग के फ‌र्स्ट फ्लोर पर भूरे रंग के कपड़े पहने और सिर पर हरी कैप लगाए एक बच्ची को ओटी के दरवाजे पर पैर मारते देखा, वह बच्ची के पास गई। उससे कई बार मां-बाप और उसका नाम पूछा। बच्ची बस मुस्करा कर चुप हो जा रही थी।

रश्मि ने बच्ची को गोद में लिया और नीचे जाकर माइक पर एनाउंस किया कि यह बच्ची किसकी है हेल्प डेस्क रुम से आकर ले जाएं। 11 से 1 बजने तक भी जब कोई नहीं आया, तो उन्होंने सीएमएस डॉ। अलका शर्मा को सूचना दी। सीएमएस ने मौके पर आकर बच्ची से बात की और फौरन स्थानीय पुलिस चौकी को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ओपीडी का समय खत्म होने तक बच्ची के साथ रुकी। सभी को उम्मीद थी कि बच्ची के मां बाप आएंगे और उसे ले जाएंगे। लेकिन दो बजे ओपीडी खत्म होने तक कोई नहीं आया, तो प्रबंधन ने बच्ची को पुलिस के सुपुर्द कर दिया।

मां प्यास लगी है

सीएमएस डॉ। अलका शर्मा ने बच्ची से उसका नाम पूछा, तो उसने मुस्कराते हुए कहा, मां मुझे प्यास लगी है, पानी दो ना डॉ। शर्मा ने उसके बिस्कुट खिलवाया और पानी दिया। हालांकि बच्ची अपना नाम नहीं बता सकी।

बच्ची 11 बजे ओटी के पास घूम रही थी, मैं काफी देर वहां रही, एनाउंसमेंट भी कराया लेकिन घंटों बाद भी कोई नहीं आया। इसके बाद सीएमएम को सूचना दी।

रश्मि सिंह, हेल्प डेस्क मैनेजर।

बच्ची को कोई यहां छोड़कर चला गया। बच्ची से बातचीत की गई लेकिन वह कुछ नहीं बता सकी। उसे को पुलिस के सुपुर्द कर दिया है।

डॉ। अलका शर्मा, सीएमएस।