110 सिटी बसें राजधानी में

2 हजार सिटी बसों की जरूरत

4545 ऑटो चलते हैं सिटी में

17 हजार ई रिक्शा भी मौजूद

- पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम ठीक न होने से लोग कर रहे निजी वाहनों में सफर

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LUCKNOW: राजधानी में बढ़ते एयर पॉल्यूशन का एक कारण यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बेहतर न होना भी है. जिसके चलते लोग मजबूरी में निजी वाहनों से सफर करने पर मजबूर हैं. मेट्रो चलने से उम्मीद थी कि लोग निजी वाहनों की जगह मेट्रो से सफर करेंगे लेकिन मेट्रो का किराया अधिक होने से ऐसा पूरी तरह हो नहीं पा रहा है. जब तक रोड से वाहनों का लोड कम नहीं होगा, तब तक एयर पॉल्यूशन पर नियंत्रण करना संभव नहीं है.

तो बन जाएगी बात

राजधानी में चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया तक मेट्रो का संचालन हो रहा है. सिटी बस, ऑटो और ई रिक्शा की तुलना में मेट्रो का किराया अधिक है. जिससे लोग इसमें सफर करने से कतराते हैं. वहीं सिटी बसों का संचालन ठीक न होने होने से भी लोग अपना वाहन यूज करने पर मजबूर हैं. मेट्रो का किराया कम हो और सभी रूट पर सिटी बसों का संचालन ठीक से हो तो रोड पर निजी वाहनों की संख्या कम हो सकती है.

बसें भी हैं कम

सिटी बस प्रबंधन के अनुसार राजधानी में 2 हजार बसों की जरूरत है लेकिन चल 110 रही हैं. 50 हजार यात्री डेली इसमें सफर करते हैं. वहीं 4545 मौजूद ऑटो में 1.5 लाख लोग यात्रा करते हैं. 17 हजार ई रिक्शा भी करीब 1 लाख लोगों को मंजिल तक पहुंचाते हैं. सिटी बस प्रबंधन का कहना है कि अगर यहां पर्याप्त संख्या में सिटी बसें चलाई जाएं तो निश्चित ही ऑटो और ई रिक्शा की संख्या में कमी आएगी. इससे दो फायदे होंगे. पहला तो ऑटो-टेम्पो कम होने से एयर पॉल्यूशन कम होगा, वहीं ई रिक्शा कम होने से रोड पर जाम भी नहीं लगेगा.

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ऐसे तो सांस लेना हो जाएगा मुश्किल

एयर पॉल्यूशन तभी कम होगा जब राजधानी में वाहनों की संख्या में कमी आएगी, लेकिन यहां तो इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. आइए एक नजर डालते हैं बढ़ते प्राइवेट वाहनों की संख्या पर..

वर्ष टू व्हीलर फोर व्हीलर टोटल

2017-18 16 लाख 20 हजार 3 लाख 44 हजार 19 लाख 60 हजार

2018-19 17 लाख 3 लाख 75 हजार 21 लाख 82 हजार

कोट

प्राइवेट वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है. डेली करीब 200 से अधिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन होता है. रोड पर 21 लाख से अधिक वाहन हैं, जबकि 19 लाख के करीब वाहन पिछले साल सड़क पर थे.

राघवेंद्र सिंह, एआरटीओ प्रशासन

आरटीओ ऑफिस, ट्रांसपोर्ट नगर

परिवहन विभाग

कोट

ई बसों के आने से राजधानी में प्रदूषण की समस्या कम होगी. इन बसों से धुंआ नहीं निकलता है. इससे लोगों का काफी राहत मिलेगी.

आरिफ सकलेन

एमडी, सिटी बस प्रबंधन