कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। आरती साहा भारत की लंबी दूरी की तैराक थीं। ब्रिटिश शासन में कोलकाता में जन्मी, आरती ने चार साल की उम्र में तैराकी करना शुरू कर दिया था, और उनकी प्रतिभा को सचिन नाग ने देखा था। वह इंग्लिश चैनल को पार करने की कोशिश करने के लिए भारतीय तैराक मिहिर सेन से प्रेरित थी। 1959 में वह अंग्रेजी चैनल पर तैरने वाली पहली एशियाई महिला बनीं। 1960 में, वह पद्म श्री से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बनीं।

तैराकी में बनाए बड़े रिकाॅर्ड
इंग्लिश वेबसाइट चैनल स्वीमिंग डोवर पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक, 1946 और 1956 के बीच, आरती ने कई तैराकी प्रतियोगिताओं में भाग लिया। 1945 और 1951 के बीच उन्होंने पश्चिम बंगाल में 22 राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की। आरती कंप्टीशन में 100 मीटर फ्रीस्टाइल, 100 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक और 200 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक में हिस्सा लेती थी। 1948 में, उन्होंने मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया। जहां आरती ने 100 मीटर फ्रीस्टाइल और 200 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक में सिल्वर मेडल जीता और 200 मीटर फ्रीस्टाइल में ब्रांज पर कब्जा किया। साल 1949 में आरती ने तैराकी का ऑल इंडिया रिकाॅर्ड भी बनाया। जब 1951 में पश्चिम बंगाल स्टेट चैंपियनशिप में उन्होंने 100 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक रेस 1 मिनट 37.6 सेकंड में पूरी कर ली। तब आरती ने डॉली नजीर के रिकॉर्ड को तोड़ा था। उसी टूर्नामेंट में, आरती ने 100 मीटर फ्रीस्टाइल, 200 मीटर फ्रीस्टाइल और 100 मीटर बैक स्ट्रोक में नया स्टेट लेवल रिकॉर्ड स्थापित किया।

12 साल की उम्र में ओलंपिक में लिया भाग
आरती साहा ने 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में हमवतन डॉली नजीर के साथ भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह चार महिला प्रतिभागियों में से एक थीं और भारतीय दल की सबसे कम उम्र की सदस्य थीं। उस वक्त आरती की उम्र सिर्फ 12 साल थी। खेल महाकुंभ कहे जाने वाले ओलंपिक में, उन्होंने 200 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक इवेंट में भाग लिया। हालांकि वह मेडल नहीं जीत पाई।

इंग्लिश चैनल पार करने की पहली प्रेरणा
आरती को ब्रजेन दास से इंग्लिश चैनल पार करने की पहली प्रेरणा मिली। 1958 में बटलिन इंटरनेशनल क्रॉस चैनल स्विमिंग रेस में, ब्रजेन दास ने अंग्रेजी चैनल को पार करने वाले भारतीय उपमहाद्वीप के पहले व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक डेनिश मूल की महिला तैराक ग्रेटा एंडरसन ने 11 घंटे और 1 मिनट का समय लिया और पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रथम स्थान पर रहीं। इसने पूरी दुनिया में महिला तैराकों को प्रेरित किया। आरती ने अपनी जीत पर ब्रजेन दास को एक बधाई संदेश भेजा। उन्होंने कहा कि वह भी इसे प्राप्त करने में सक्षम होगी। उन्होंने अगले साल के आयोजन के लिए बटलिन इंटरनेशनल क्रॉस चैनल स्विमिंग रेस के आयोजकों को आरती के नाम का प्रस्ताव दिया।

तेज बहाव के चलते पहला प्रयास विफल
24 जुलाई 1959 को, वह अपने मैनेजर डॉ अरुण गुप्ता के साथ इंग्लैंड के लिए रवाना हुईं। काफी अभ्यास के बाद, आरती ने 13 अगस्त से इंग्लिश चैनल में अपना अंतिम अभ्यास शुरू किया। इस समय के दौरान, उन्हें डॉ बिमल चंद्रा ने सलाह दी, जो 1959 के बटलिन इंटरनेशनल क्रॉस चैनल स्विमिंग रेस में भी भाग ले रहे थे। वह इटली में नेपल्स में एक अन्य तैराकी प्रतियोगिता से इंग्लैंड पहुंचे थे। प्रतियोगिता में 23 देशों की 5 महिलाओं सहित कुल 58 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। यह रेस 27 अगस्त 1959 को केप ग्रिस नेज, फ्रांस से सैंडगेट, इंग्लैंड के लिए स्थानीय समयानुसार 1 बजे निर्धारित की गई थी। हालांकि, आरती साहा की पायलट नाव समय पर नहीं पहुंची। ऐसे में उन्हें अपनी रेस 40 मिनट देर से शुरू करनी पड़ी। सुबह 11 बजे तक, वह 40 मील से अधिक तैर चुकी थी और इंग्लैंड के 5 मील के दायरे में आ गई थी। तभी एक विपरीत दिशा से तेज धारा आरती के सामने आ गई जिसका उन्होंने मुश्किल से सामना किया। नतीजतन, शाम 4 बजे तक, वह केवल दो और मील तक तैर सकती थी। इसी के साथ उनका पहला प्रयास विफल रहा मगर आरती ने हार नहीं मानी।

फिर 16 घंटे तैरकर रचा इतिहास
29 सितंबर 1959 को, आरती ने दूसरी बार इंग्लिश चैनल को पार करने का मन बनाया। इस बार फिर उन्होंने फ्रांस के केप ग्रिस नेज से अपनी यात्रा शुरू की। वह 16 घंटे और 20 मिनट तक तैरती रही, कड़ी लहरों से जूझती हुई आखिरकार वह सैंडगेट, इंग्लैंड पहुँचने में सफल रही। इस दौरान उन्होंने 42 मील की दूरी तैरकर पूरी की। इंग्लैंड के तट पर पहुँचने पर, आरती ने सबसे पहले भारतीय ध्वज फहराया। विजयलक्ष्मी पंडित ने सबसे पहले उन्हें बधाई दी। जवाहर लाल नेहरू और कई प्रतिष्ठित लोगों ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें बधाई दी। 30 सितंबर को, ऑल इंडिया रेडियो ने आरती साहा की इस उपलब्धि की घोषणा की।