जिनेवा (आईएएनएस)। डीपीए न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ के एक प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि हाल के महीने में भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी की वजह वायरस का भारतीय रूप है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे बहुत सारी वजहें हो सकती हैं। उदाहरण के लिए त्यौहार तथा अन्य आयोजनों में शामिल लोगों की वजह से संक्रमण में तेजी आई। ब्रिटिश कोरोना वायरस वैरियंट ने भी भारत के महामारी के मौजूदा हालात को गंभीर बनाने में अपना योगदान दिया।

1 दिसंबर को पहली बार सामने आया भारतीय वैरियंट

सोमवार को भारत में 24 घंटों के दौरान 350,000 से ज्यादा संक्रमण के नये मामले सामने आए। एक दिन का यह आंकड़ा दुनिया में सबसे अधिक था। 1.3 अरब की आबादी वाले देश भारत में अब तक 1.7 करोड़ से ज्यादा लोग कोविड-19 की वजह से संक्रमित हो चुके हैं। ब्रिटिश, दक्षिण अफ्रीकी तथा ब्राजीलियन कोविड-19 वैरियंट को डब्ल्यूएचओ 'वैरियंट ऑफ कंसर्न' के रूप में वर्गीकृत कर चुका है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में नया वैरियंट 1 दिसंबर, 2020 में पहली बार सामने आया था।

9 सप्ताह से संक्रमण तथा 6 सप्ताह से मौत की संख्या बढ़ रही

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वायरस का कोई वैरियंट तभी खतरनाक माना जाता है जब उससे ज्यादा आसानी से संक्रमण फैले तथा वह हमारे इम्यून सिस्टम को धता बताकर लोगों को गंभीर रूप से बीमार करे तथा अभी तक ज्ञात उपचार का उस पर प्रभाव न हो। साेमवार को डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने सोमवार को यहां कहा कि संक्रमण की वीकली रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 9 सप्ताह से संक्रमण में बढ़ोतरी नजर आ रही है। वहीं मौत की संख्या में भी पिछले 6 सप्ताह से बढ़ोतरी दिख रही है।

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