ये बात हेमा मालिनी ने बीबीसी से साथ एक साक्षात्कार के दौरान कही जब उनसे पूछा गया कि आजकल वो इतनी कम फ़िल्मों में ऐक्टिंग क्यों कर रही हैं.हेमा मालिनी का जवाब था, “मैं तो ऐक्टिंग करने के लिए हमेशा ही तैयार हूं। जब तक मैं स्क्रीन पर अच्छी दिखती हूं और लोग मुझे देखना पसंद करेंगे, मैं ऐक्टिंग करूंगी। साथ ही इसके लिए रोल भी तो मिलने चाहिए। हमारे लिए थोड़े ही आज के ज़माने में फ़िल्म बनाएंगे। वो तो सलमान ख़ान और कैटरीना कैफ़ को लेकर बनाएंगे फ़िल्म, हेमा मालिनी-धर्मेन्द्र को लेकर कोई बनाएगा नहीं ना.”

वो कहती हैं कि उनका ख़ुद का प्रोडक्शन हाउस है जिसमें वो अपनी मर्ज़ी की फ़िल्म बना सकती हैं और इस बात का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं कि कोई और निर्माता उनके पास रोल लेकर आए.

निर्देशक हेमा मालिनी

बतौर निर्देशक हेमा मालिनी की दूसरी फ़िल्म फ़िल्म ‘टेल मी ओ ख़ुदा’ दीवाली पर रिलीज़ हो रही है। इससे पहले उन्होंने 1992 में दिल आशना है का निर्देशन किया था.

इतने लंबे अंतराल के बाद निर्देशन करने की वजह हेमा जी ने बताई, “उस समय मेरे बच्चे बहुत छोटे थे और मैं उनके साथ ज़्यादा समय बिताना चाहती थी, इसलिए मैंने और फ़िल्मों का निर्देशन नहीं किया। साथ ही मैं अपने नृत्य में व्यस्त थी और बाद में फिर संसद सदस्य बनी। फिर जब ऐशा फ़िल्मों में आ गई तो अब सोचा अब मुझे ऐशा को लेकर अपनी घर की फ़िल्म बनानी चाहिए.”

‘टेल मी ओ ख़ुदा’ में हेमा मालिनी की बेटी ऐशा देओल मुख्य भूमिका में है। साथ में उनके पति धर्मेन्द्र भी नज़र आएंगे। ये पहला मौका है जब धर्मेन्द्र ने अपनी बेटी के साथ काम किया है.

बेटी और पति के साथ काम करने के अनुभव के बारे में हेमा जी का कहना था, “बेटी को निर्देशित करने में मुश्किल नहीं हुई, अगर कोई और हीरोइन होती तो शायद मुश्किल होता। धर्मेन्द्र जी के साथ काम करते हुए दिमाग़ में निजी रिश्ते की बात नहीं आई, बस यही लगा कि ये कितने बड़े कलाकार हैं जिन्हें मैं डिरेक्ट कर रही हूं। इतना ही नहीं, फ़िल्म में विनोद खन्ना, ऋषि कपूर और फ़ारूख़ शेख़ जैसे बेहतरीन कलाकार भी हैं जिनके साथ मैंने काम किया है और आज उन्हें डिरेक्ट कर रही हूं.”

हीरोईन, प्रोड्यूसर, डिरेक्टर- हेमा मालिनी को सभी सभी काम करने में मज़ा आया। हालांकि वो मानती हैं कि ऐक्टर से ज़्यादा चुनौती का काम निर्देशक का होता है.

उन्होंने कहा, “डायरेक्शन में दिक्कत बस यही होती है कि सेट पर ऐक्टर्स के इकट्ठे होने का इंतज़ार करना पड़ता है। लेकिन काम शुरु होने के बाद बहुत निर्देशक का काम संतोषदायक होता है। असली चुनौती निर्देशक की होती है। हर काम में निर्देशक का होना ज़रूरी होता है। ये मुश्किल काम है लेकिन इसे मज़ा लेते हुए तो और भी मज़ा आएगा.”

दीवाली पर ही शाहरुख़ ख़ान की बड़े बजट की बहुचर्चित, बहुप्रतिक्षित फ़िल्म रा वन भी रिलीज़ हो रही है। लेकिन हेमा मालिनी इसे कॉम्पीटीशन की तरह नहीं देखतीं। वो कहती हैं कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने शाहरुख़ को सबसे पहले फ़िल्म दिल आशना है में मौका दिया था और आज जब वो इतने मशहूर हो गए हैं, तो देखकर अच्छा लगता है.

हेमा मालिनी का कहना था, “रा वन के साथ कोई कॉम्पीटिशन नहीं है। हम फ़िल्म एक महीने पहले रिलीज़ कर रहे थे लेकिन उस समय बहुत सारी फ़िल्मस रिलीज़ हो रही थीं इसलिए तारीख़ बदली। लेकिन दिवाली पर छुट्टी होती है और लोग फ़िल्म देखने जाते हैं। वो एक से ज़्यादा फ़िल्में देखना चाहेंगे। तो ज़रूर पहले शाहरुख़ की रा वन देख लें, उसके बाद तो हमारी फ़िल्म देखने आएंगे ही.”

आम हो गए हैं

लगभग बीस साल बाद फिर से फ़िल्म बनाने वाली हेमा मालिनी को फ़िल्म बनाने से ज़्यादा मुश्किल काम उसका प्रचार लगा। वो कहती हैं कि वो एक बेहद निजी इंसान है लेकिन फ़िल्म के प्रचार के लिए उन्हें लोगों के बीच आना पड़ा है.

उनसे जब ये पूछा कि इतने सालों में क्या बदलाव आए हैं, तो हेमा मालिनी का कहना था, “बहुत सारे बदलाव आए हैं। आज जिस तरह से प्रचार होता है उसे देख कर हैरान होती हूं। आजकल तो जितना आप नज़र आएंगे उतना ही आपकी फ़िल्म चलेगी और अगर फ़िल्म को प्रमोट नहीं करोगे तो शायद फ़िल्म नहीं चलेगी। इस कॉम्पीटिशन में हमें भी उतरना पड़ गया है जबकि हम इसमें पड़ने वाले हैं नहीं, हम अलग किस्म के इंसान हैं। लेकिन फ़िल्म बनाकर हम आम हो गए हैं, हमें भी प्रमोशन की बस में चढ़ना पड़ा है.”

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