- सिटी में कॉलेज में टीचर्स की संख्या में है काफी कमी

- एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे विभाग

- सिटी के 19 सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में टीचर्स के 186 पद खाली

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। ऐसे स्थिति में सिटी के कई डिग्री कॉलेजों ऐसे हैं जहां पर टीचर्स की सीटें काफी खाली है। हाल यह है कि कई-कई डिपार्टमेंट्स में मात्र एक टीचर्स के भरोसे पढ़ाई हो रही है। कुछ कॉलेजों में तो डिपार्टमेंट हैं, लेकिन पढ़ाने के लिए कोई टीचर्स ही नहीं है। ऐसी स्थिति में इन कॉलेजों में पढ़ाई पार्ट टाइम टीचर्स के भरोसे चल रही है। दरअसल सिटी के क्9 सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में टीचर्स के क्8म् पद खाली हैं, जबकि इन कॉलेजों में करीब म्0 से म्भ् हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। ऐसा ही हाल पूरे स्टेट में है। जहां टीचर्स के क्क्.ख्7ख् पदों में से फ्97ब् पद खाली हैं। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है।

कोर्ट भी लगा चुकीं है फटकार

टीचर्स की कमी को लेकर हाईकोर्ट की ओर से सरकार को फटकार लगाई जा चुकी है। इसके लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए गए है। कृष्णा देवी ग‌र्ल्स कॉलेज में टीचर्स के सात, महिला पीजी कॉलेज में क्9 और विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज में क्0 पद खाली हैं। वहीं सबसे ज्यादा भ्ब् पद केकेसी में खाली और ख्9 पद बीएसएनवी में हैं खाली है। अल्पसंख्यक कॉलेजों में मैनेजमेंट टीचर्स के पद अपने स्तर पर भर सकता है, लेकिन लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज में टीचर्स के करीब एक दर्जन से अधिक की पद खाली हैं। यही हाल दूसरे अल्पसंख्यक कॉलेजों का भी है। इन कॉलेजों में पढ़ाई पार्ट टाइम टीचर्स के भरोसे कराई जा रही है।

हर साल बढ़ रही फ्फ् प्रतिशत सीटें

ग्रेजुएशन में स्टूडेंट्स के एडमिशन मिलने में हो रही प्रॉब्लम को देखते हुए स्टेट गवर्नमेंट हर साल फ्फ् प्रतिशत सीट बढ़ाने का निर्देश देती है। इससे कॉलेजों में स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है। वहीं रेग्युलर टीचर्स की संख्या घट रही है। केकेसी में ही लॉ के क्भ् सेक्शन हैं। हर सेक्शन में क्80 स्टूडेंट हैं लेकिन रेग्युलर टीचर्स महज आठ हैं। कॉमर्स में क्0 सेक्शन चलाने के जिम्मेदारी सात टीचर्स पर है। टीचर्स की कमी के कारण एआईएचए इकोनॉमिक्स व एजुकेशन जैसे विषयों की पढ़ाई करवाने में कठिनाई होती है। केकेसी के प्राचार्य डॉ। एसडी शर्मा का कहना है कि सरकार अगर टीचर्स के खाली पदों को भर दे तो टीचर्स स्टूडेंट्स पर पर्याप्त ध्यान दे पाएंगे।

टीचर्स व छात्र अनुपात बिगड़ा

ग्रेजुएशन कॉलेजों में हर ब्0 स्टूडेंट्स पर एक टीचर्स का अनुपात का मानक है, लेकिन सिटी के सहायता प्राप्त कॉलेजों में तो क्00 से लेकर फ्00 स्टूडेंट्स पर एक टीचर्स हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। कॉम्पटीशन के इस युग में अगर स्टूडेंट्स को बेहतर पढ़ाई की सुविधा नहीं मिल रही है। इसे देखते हुए कॉलेज परेशान है। इसका नतीजा यह होता है कि उनके यहां कई कोर्सेज की सीटें खाली रह जाती है।

टीचर्स की कमी का मामला स्टेट गवर्नमेंट के सामने कई बार उठाया, लेकिन गवर्नमेंट अधिक फिक्रमंद नहीं दिखती। जब टीचर्स ही नहीं होंगे तो गुणवत्तापरक शिक्षा की बात करने से क्या फ ायदा होगा। जल्द से जल्द टीचर्स भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए।

- डॉ। मनोज कुमार पांडेय,

अध्यक्ष लुआक्टा

कॉलेज का नाम कुल सीटें खाली सीटें

केकेसी क्फ्7 भ्ब्

डीएवी भ्7 ख्ख्

केकेवी 77 ख्9