माना जा रहा है कि जोहानेसबर्ग के बाहरी इलाक़े में स्थित एक 95,000 लोगों की क्षमता वाले स्टेडियम में राष्ट्रीय शोक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.

इसके बाद नेल्सन मंडेला का शव राजधानी प्रीटोरिया में तीन दिन तक दर्शना के लिए रखा जाएगा और फिर उनके गांव कुनु लिए ले जाया जाएगा, जहाँ 14 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार होगा.

जोहानेसबर्ग में उनके घर के बाहर और सोवेटो की सड़कों पर लोगों की भीड़ जमा हो रही है. उनके सम्मान में कुछ ने फूल चढ़ाए तो कुछ अन्य ने रंगभेद के दौर के मुक्ति गीत गाए.

दुनिया भर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है. अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि वो मंडेला के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.

अफ़्रीका की सरकारी इमारतों और दुनिया भर में अफ्रीकी दूतावासों में शोक पुस्तिकाएं रखी जा रही हैं.

देर रात दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा की ओर से एक राष्ट्रीय टीवी प्रसारण में मंडेला की मौत की घोषणा करने के बाद झंडे आधे झुक गए.

रंगभेद के ख़िलाफ़ 27 साल जेल में बिताने वाले नेल्सन मंडेला 1994 में दक्षिण अफ़्रीका के पहले काले राष्ट्रपति बने थे. समय के साथ मंडेला दुनिया के सबसे सम्मानित राजनीतिज्ञ बन गए.

इलाज

दुनिया भर में नेल्सन मंडेला की मौत पर शोक

लंबे समय तक उनके सहयोगी रहे आर्चबिशप डेसमंड टुटु ने कहा, "भगवान हम दक्षिण अफ़्रीकियों पर बहुत मेहरबान रहा जो उसने बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण में नेल्सन मंडेला को हमारा राष्ट्रपति बनाया."

केपटाउन में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "मंडेला ने एक विभाजित देश को साथ आना सिखाया."

मंडेला लंबे समय तक फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त रहे. गत सितंबर महीने में अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद से घर पर ही उनका इलाज चल रहा था.

सोवेटो में उनके पुराने घर विलाकाज़ी स्ट्रीट, जहां मंडेला 1940 से 50 तक तक रहे थे, के बाहर मंडेला की मौत की ख़बर आते ही रात में ही लोग इकट्ठा होने लगे थे. सुबह होते-होते यह संख्या बढ़ने लगी.

दुनिया भर में नेल्सन मंडेला की मौत पर शोक

लोगों ने रंगभेद के दौर के मुक्ति गीत गाए जिनमें एक के बोल थे, "हमने उस जगह को नहीं देखा है जहां मंडेला हैं, उस जगह को जहां उन्हें रखा गया है."

शोक व्यक्त कर रही एक महिला टेरी मोकोएना ने कहा, "हम उनकी ज़िंदगी और जो उन्होंने हमारे लिए किया उसका जश्न मना रहे हैं."

जोहानेसबर्ग के उपनगर ह्यूटन में स्थित उनके वर्तमान निवास के बाहर भी भीड़ एकत्र हो गई है.

झुके झंडे

दुनिया भर में नेता, प्रतिष्ठित व्यक्ति और आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

भारत सरकार ने मंडेला के निधन पर पाँच दिन के शोक की घोषणा की है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनकी मौत पर दुख व्यक्त किया.

ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने कहा कि मंडेला की मौत के बारे में जानकर उन्हें 'भारी दुख' हुआ.

दुनिया भर में नेल्सन मंडेला की मौत पर शोक

बकिंघम पैलेस से जारी एक बयान में कहा गया, " अपने देश के भले के लिए वे बिना थके काम करते रहे और आज एक शांत अफ़्रीका में उनकी विरासत को देख सकते हैं."

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, "उन्होंने जो हासिल किया उसकी किसी आदमी से उम्मीद नहीं की जा सकती. आज, वो घर चले गए हैं."

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने मंडेला को "इंसाफ़ के लिए महामानव और ज़मीन से जुड़ी इंसानी प्रेरणा" बताया.

दक्षिण अफ़्रीका के साथ ही वॉशिंगटन डीसी और पेरिस में भी झंडे आधे झुके हुए हैं. विश्व फ़ुटबॉल संघ फ़ीफ़ा ने भी अपने झंडे झुकाने के आदेश जारी किए हैं.

प्रीटोरिया में मंडेला की ज़िंदगी और विरासत पर संसद का एक विशेष संयुक्त सत्र बुलाया जा सकता है. जोहाने

सबर्ग में बीबीसी संवाददाता वुलड्रिज के अनुसार दक्षिण अफ़्रीका में ऐसा राजकीय अंतिम संस्कार कभी नहीं हुआ होगा. दुनिया भर के नेता, प्रतिष्ठित व्यक्ति और चाहने वाले इसमें पहुंचेंगे.

ख़ासतौर पर दूरदराज के इलाक़े कुनु में इतने लोगों के आने पर किए जाने वाले इंतज़ाम बड़ी चुनौती साबित होंगे.

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