-किसी ने कहा ठीक किया नीतीश ने, तो किसी की राय में राजनीतिक नुकसान होगा

PATNA: पीएम नरेन्द्र मोदी व सीएम नीतीश कुमार की राजनीतिक 'जंग' तेज होती जा रही है। यहां तक कि नरेन्द्र मोदी के सरकारी कार्यक्रम में भी नीतीश कुमार नहीं गए। पहले से ही उन्होंने इसकी घोषणा कर रखी थी कि प्रोटोकॉल के तहत वे पीएम को एयरपोर्ट पर रिसीव तो कर लेंगे, पर आरा के प्रोग्राम में उनके पथ निर्माण मंत्री ललन सिंह ही शिरकत करेंगे। अब नीतीश कुमार के इस कदम को कई तरह से देखा जा रहा है। आखिरकार नीतीश कुमार क्यों पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते, जबकि कुछ दिनों पहले ही पटना के दो-दो कार्यक्रम में उन्होंने पीएम के साथ मंच साझा ही नहीं किया, बल्कि बिहार की तरक्की को लेकर उनपर उम्मीद भी जताई थी। राजनीतिक पंडित भी इसे लेकर दो राय रखते हैं। किसी का कहना है कि नीतीश कुमार पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ पूरे देश में एक मैसेज देना चाहते हैं कि वे एंटी मोदी हैं और इस धड़े का देश भर में वे एक चेहरा बनना चाहते हैं, जबकि दूसरी ओर यह भी राय रखने वालों की कमी नहीं कि नीतीश कुमार ने पीएम के प्रोग्राम का बायकॉट कर अपना ही कद नीचे किया है। वहीं, प्रोटोकॉल के तहत यह जरूरी नहीं कि पीएम स्टेट में जहां भी सरकारी कार्यक्रम में जाए, तो उनके साथ सीएम हो ही।

छवि के विपरीत किया काम

बिहार ही नहीं देश की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले एक्सपर्ट प्रो। एन के चौधरी की मानें, तो नीतीश कुमार की छवि शालीनता भरी, संतुलित पर्सनैलिटी के साथ-साथ विकास को लेकर चिंतित रहने वाले के तौर पर रही है, पर पीएम के साथ उनका न जाना मर्यादा का उल्लघंन है। वे चाहते तो आरा के प्रोग्राम से लौटने के बाद पटना में उनकी बातों का राजनीतिक जबाब दे सकते थे। पर, ऐसा न कर उन्होंने मोदी को ही राजनीतिक लाभ उठाने का अवसर दे दिया। प्रो। चौधरी का स्पष्ट मानना है कि नीतीश कुमार का पीएम के कार्यक्रम में शामिल होने से उनका सम्मान बढ़ता ही, कोई नुकसान नहीं होता। वहीं, पत्रकार व राजनीति विश्लेषक हेमन्त की मानें, तो केन्द्र सरकार किसी भी राज्य को उसका हक देकर अपमानित नहीं कर सकती। नीतीश कुमार लगातार बिहार का हक मांगते रहे हैं, पीएम ने आरा के सरकारी कार्यक्रम को राजनीतिक मंच बना दिया।

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नो रिटर्न का मैसेज दे रहे नीतीश

नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नीतीश कुमार एक मैसेज देना चाहते हैं। वे देशभर में एंटी मोदी और एंटी बीजेपी की भावना को मोबलाइज कर एक नई दिशा देना चाहते हैं। वे मोदी के कार्यक्रम में न जाकर अब लोगों को नो रिटर्न का मैसेज भी कन्वे कर रहे हैं और मोदी विरोध का देशभर में एक अलग ताकत बनना चाह रहे हैं

प्रो। एन के चौधरी, राजनीति विश्लेषक

प्रोटोकॉल नहीं व्यवहारिकता की बात है

पीएम जहां भी अपने सरकारी कार्यक्रम में जाएं, वहां सीएम मौजूद रहे ऐसा प्रोटोकॉल नहीं है। हां उनके आगमन पर उनका वेलकम करने का प्रोटोकॉल जरूर है। नीतीश कुमार ने वह फॉलो किया है। अगर व्यवहारिकता की बात करें, तो पीएम के प्रोग्राम में स्टेट में आने पर सीएम को शामिल होना चाहिए। इससे राज्य का ही भला होता है, लेकिन यह लीगल रिक्वॉयरमेंट कभी नहीं कहा जा सकता।

वी एस दुबे, एक्स चीफ सेक्रेटरी, बिहार

नीतीश कुमार ने दिखाई दूरदर्शिता

पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा न कर सीएम नीतीश कुमार ने दूरदर्शिता दिखाई है। उन्हें पता था कि पीएम का हमला किस तरह का हो सकता है। नीतीश और बिहार के बारे में जो कमेंट उन्होंने किया है, वह किसी भी राज्य के लिए अपमानित करने वाला है। बिहार बीमारू नहीं जुझारू है, केन्द्र कोई एहसान नहीं करता, अगर वह राज्य को हक देता है तो। कोई राज्य याचक नहीं होता, वह उसका हक होता है। अगर पीएम ने कहा है कि क्यों मांगते चल रहे, तो यह अपमानजनक है। मुझे यही लगता है मोदी का बीजेपीवाद और इंदिरा के कांग्रेसवाद की नकल है।

हेमन्त, पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक