कानपुर। Republic day 2020 गणतंत्र दिवस हर साल यह गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन ही सेलिब्रेट होता है। गणतंत्र दिवस एक तीन दिवसीय उत्सव है जिसमें ड्रिल और कला-प्रदर्शन होता है। बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन गणतंत्र दिवस की समाप्ति के रूप में होता है। शाम के 6 बजते ही बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज को उतार लिया जाता है तथा राष्ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस का समापन होता है। आजादी मिलने के लगभग ढाई साल बाद 26 जनवरी, 1950 को ही भारत का संविधान लागू हुआ था। अाधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक 26 जनवरी की तारीख गणतंत्र दिवस के रूप में इसलिए चुनी गई थी क्योंकि संयोग से इसी दिन (26 जनवरी 1930) पूर्ण स्वराज दिवस की जयंती भी थी।

1950 को संविधान सभा के सदस्यों ने सविंधान पर किया था हस्ताक्षर

1948 की शुरुआत में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान का मसौदा तैयार कर उसे संविधान सभा में प्रस्तुत किया। नवंबर 1949 में इस मसौदे में कुछ संशोधन कर इसे स्वीकार किया गया। भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था। इसके बाद इसे 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था। ये प्रतियां अभी भी संसद के पुस्तकालय में संरक्षित हैं और स्वतंत्र भारत के महत्वपूर्ण अवशेषों में से एक हैं। संविधान पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे उस दिन बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी यह अच्छा शगुन माना गया।

इसाई स्तुति 'मेरे साथ रहें' को गणतंत्र दिवस समारोह में बजाया जाता

गणतंत्र दिवस के दिन स्पेशल प्रोग्राम होते है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति के राष्ट्रीय ध्वज फहराते ही 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यह सलामी नौसेना और सेना के जवानों द्वारा भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सैनिकों को सम्मान देने के लिए दी जाती है। गणतंत्र दिवस पर वीर चक्र, महा वीर चक्र, परम वीर चक्र, कीर्ति चक्र और अशोक चक्र जैसे वीरता पुरस्कारों से लोगों को सम्मानित किया जाता है। इस दाैरान एक इसाई स्तुति 'मेरे साथ रहें' को गणतंत्र दिवस के समारोह में बजाया जाता है। यह कहा जाता है कि यह स्तुति महात्मा गाँधी को बेहद पसंद थी।

National News inextlive from India News Desk